यीशु मसीह का छठवां क्रूस वाणी – “पूरा हुआ”
यूहन्ना 19:29-30 --
[29]वहां एक सिरके से भरा हुआ एक बरतन रखा था, अतः उन्होंने सिरके में भिगोए हुए स्पंज को जूफे पर रखकर उसके मुंह से लगाया।
[30]जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा, “पूरा हुआ”; और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए।
29 A jar of wine vinegar was there, so they soaked a sponge in it, put the sponge on a stalk of the hyssop plant, and lifted it to Jesus’ lips.
30 When he had received the drink, Jesus said, “It is finished.” With that, he bowed his head and gave up his spirit.
पृष्ठभूमि -
Jn19:29 – कभी कभी बहुमूल्य दाखरस या सिरके में गॉल नामक दवाई मिला दी जाती थी [Mt27:34]। यह मिश्रण उस व्यक्ति के दर्द को कुछ हद तक कम कर देता था,जो क्रूस पर दुःख उठा रहा होता था। जूफा झाड़ के समान एक पौधा है जिसका तना सख्त तथा मजबूत होता है।
मत्ती 27:34 - उन्होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्तु उस ने चखकर पीना न चाहा।
पित्त मिलाया हुआ दाखरस – यह औषध सम्भवतः एक जहरीले और कड़वे पौधे का रस था। यह रस या तो यीशु को बेहोश कर देता या उसकी मृत्यु शीघ्रता से हो जाती। वास्तव में, क्रूस की मृत्यु बहुत धीमी और दर्दनाक होती थी। कभी कभी एक व्यक्ति मृत्यु से पहले कई दिनों तक क्रूस पर दुःख उठाता था।
Jn19:30 – यीशु के शब्द न केवल यह दिखाते हैं कि उसका पार्थिव शरीर अब समाप्त हो रहा था, लेकिन जो कार्य परमेश्वर ने उसे करने के लिये भेजा था,कि वह संसार के पापों के लिये अपना बलिदान दे , वह पूरा हो गया था।
‘पूरा हुआ' का ग्रीक(Greek) शब्द Tetelestai है, जिसका अर्थ है - Paid in full; It is completed; It is finished. तथा Hebrew में The Sacrifice is Accomplished (बलिदान पूरा हुआ) है।
ग्रीको-रोमन दुनिया के सांस्कृतिक इतिहास की अवधि 5 वीं या 6 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच की है जिसमें यह प्रथा प्रचलित था कि ग्रीको-रोमन काल में Tetelestai शब्द का प्रयोग किया जाता था , जो इस प्रकार से है -
1.सेवक/कर्मचारी (Servant/Employee) के द्वारा कार्य को पूरा कर लेने पर Tetelestai शब्द का उपयोग किया करते थे -
नए नियम के समय में, जब एक मालिक या अधिकारी के द्वारा एक सेवक या कर्मचारी को सौंपे गए एक दिन का कार्य को पूरा कर लिया गया था या किसी एक विशेष कार्य के कर्तव्य को पूरा लिया गया था या परियोजना कार्य (Project Work) को पूरा कर लिया गया था, तो वह अपने मालिक या अधिकारी (Boss) को “Tetelestai” कहा जाता था। यह इस बात का संकेत था कि उसे जो कुछ भी सौंपा गया था वह अब पूरा हो चुका है।
2.कलाकार (Artists) के द्वारा अपनी कलाकृति को पूरा कर चुका होता था तो Tetelestai शब्द का प्रयोग करते थे -
जब कोई कलाकार चाहे वह चित्रकार या मूर्तिकार ही क्यों न हों, वह किसी एक कला का भाग को पूरा कर चुका होता था,तो वह कलाकार “Tetelestai” घोषित करता था। यह भी इस बात का संकेत था कि उनकी उत्कृष्ट कृति पूर्ण हो चुकी थी। अब और आंशिक सुधार या दुरुस्त या संशोधन करने की जरूरत नहीं रह गई है, काम पूरा हो गया।
जब यीशु इस दुनिया में आया, तो उसने हमें बताया कि उसका काम क्या था: खोए हुए और टूटे हुए संसार को मुक्ति प्रदान करना।
लूका 19:10 - क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उनका उद्धार करने आया है।
इसलिए यीशु अपने अंतिम शब्दों में यह घोषणा कर रहा था कि जिस काम के लिए वह आया था --- वह पूरा हो गया है। यीशु ने संसार के उद्धार को पाने का कार्य को क्रूस पर अपना बलिदान देकर पूरा कर लिया गया। और इसमें कुछ घटाना-बढ़ाना या समायोजन की आवश्यकता नहीं रह गया था – उद्धार का सब कार्य पूरा हो गया था।
कुलुस्सियों 2:17 – क्योंकि ये सब आने वाली बातों की छाया हैं, पर मूल वस्तुएं मसीह की हैं।
1पतरस 1:20 – उसका ज्ञान तो जगत की उत्पत्ति के पहिले ही से जाना गया था, पर अब इस अन्तिम युग में तुम्हारे लिये प्रगट हुआ।
2 तीमुथियुस 1:9 – जिस ने हमारा उद्धार किया, और पवित्र बुलाहट से बुलाया, और यह हमारे कामों के अनुसार नहीं; पर अपनी मनसा और उस अनुग्रह के अनुसार है जो मसीह यीशु में सनातन से हम पर हुआ है।
3. व्यापार में ऋणी के द्वारा ऋण का पूर्ण चुकता करने पर Tetelestai शब्द का प्रयोग किया जाता था -
शायद यीशु के दिनों में “Tetelestai” का उपयोग सामान्यतः कर्ज वसूली से सम्बध्द था। जब एक व्यक्ति के द्वारा किसी ऋण की अंतिम किश्त का भुगतान कर दिया हो तो उन्हें एक रसीद जारी कर दी जाती थी। जिस पर “Tetelestai” शब्द की मुहर लगी हुई होती थी, जो यह प्रमाणित करता था कि उस पर अब कोई वसूली हेतु राशि बकाया नहीं रह गया है, उसने अपना ऋण पूर्ण रूप से भुगतान कर चुका दिया है। बाइबल कहती है कि हमारे पाप ने परमेश्वर के लिए एक ऋणी (कर्जदार) बनाया, जिसे हम कभी भी चुका नहीं सकते थे। लेकिन जब यीशु हमारे पाप का कर्ज को हमेशा के लिए क्रूस पर बलिदान देकर चुका दिया गया है।
इब्रानियों 10:12-13,18
[12]पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ा कर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
[13]और उसी समय से इसकी बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पांवों के नीचे की पीढ़ी बनें।
[18]और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।
4.कैदी के द्वारा सजा की अवधि पूर्ण कर जेल से रिहा होने पर उसके अभियोग पत्र पर जज द्वारा Tetelestai सील मुहर लगा दिया जाता था –
जब रोमी नागरिक को किसी अपराध के लिए दोषी पाया गया,तो उसे जेल में डाल दिया जाता था। उस कैदी के कक्ष के दरवाजे पर “दोष प्रमाण पत्र” (Debt certificate) कील से ठोंक दिया जाता था और जब सजा काटकर कारागार से रिहा होता था,तब अभियोग को दरवाजे से हटा दिया जाता था और उस पर जज द्वारा Tetelestai शब्द लिखकर हस्ताक्षर कर दिया जाता था। इस तरह कैदी अपराध की सजा और बंधन से स्वतंत्र हो जाता था।
कुलुस्सियों 2:14-15 -
[14]और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला; और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर साम्हने से हटा दिया है।
[15]और उसने प्रधानताओं और अधिकारों को अपने ऊपर से उतार कर उन का खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के कारण उन पर जय-जय-कार की ध्वनि सुनाई।
5.याजक (Priests) के द्वारा बलिदान देने की प्रक्रियान्तर्गत कार्य को पूरा कर लेने पर बलिदान पूरा हुआ के लिए Tetelestai शब्द का प्रयोग किया जाता था -
Tetelestai शब्द का प्रयोग पुराने नियम की बलिदान प्रणाली के अन्तर्गत बलिदान पूरा हुआ के रूप में किया जाता था। प्रत्येक वर्ष, यहूदी प्रायश्चित का दिन में, महायाजक मंदिर में प्रवेश करता था और इस्राएल के लोगों के पापों के लिए एक विशेष बलिदान चढ़ाता था। जैसे ही महायाजक पशु को मार देता, वह बलि के स्थान से बाहर निकलता और साधारण लोगों के बैठने का स्थान [परमपवित्र स्थान एवं पवित्र स्थान के अलावा प्रतीक्षा स्थान] पर प्रतीक्षा कर रही लोगों को इब्रानी भाषा में “Tetelestai (पूरा हुआ)” घोषित करता था। इस बलिदान में, इस्राएल के सभी पापों को प्रतीकात्मक रूप से उस मेम्ने पर रखा गया था जो उनके स्थान पर मारा गया और दंडित किया गया। फिर भी बाइबल सिखाती है कि यह बलिदान पद्धति वास्तव में कभी पूर्ण या समाप्त नहीं हुई थी क्योंकि उस मेम्ने का बलिदान अपूर्ण और अस्थायी था। परन्तु जब यीशु क्रूस पर मरा, तो वह सारे पापों के लिए सिद्ध और अन्तिम बलिदान बन गया।
1 पतरस 3:18 - इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात् अधर्मियों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
इब्रानियों 10:5-7
[5]इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, कि बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार किया।
[6]होम-बलियों और पाप-बलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ।
[7]तब मैं ने कहा, देख, मैं आ गया हूं, (पवित्र शास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्छा पूरी करूं।
रोमियो 8:1
[1]सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
इब्रानियों 9:12,26 -
[12]और बकरों और बछड़ों के लोहू के द्वारा नहीं, पर अपने ही लोहू के द्वारा एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया, और अनन्त छुटकारा प्राप्त किया।
[26]नहीं तो जगत की उत्पत्ति से लेकर उस को बार बार दुख उठाना पड़ता; पर अब युग के अन्त में वह एक बार प्रगट हुआ है, ताकि अपने ही बलिदान के द्वारा पाप को दूर कर दे।
इसलिए “पूरा हुआ” कहकर यीशु यहूदी देश के लोगों को संकेत दे रहा था कि अब मंदिरों में बलिदान देने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसने क्रूस पर अपना बलिदान दिया और बलिदान की प्रथा को समाप्त कर दिया है।
6. सैनिक (Soldiers) जब लड़ाई के मैदान में जंग जीतकर वापस लौट आने पर Tetelestai शब्द का प्रयोग किया जाता था।
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
आइए, क्रूस पर यीशु के छठवीं वाणी – पूरा हुआ (Tetelestai) वाक्यांश पर ध्यान दें तो हमारे मन-मस्तिष्क में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या पूरा हुआ या क्या पूरा होना था, जो अब पूरा हो गया है। इसके बारे में हम बाइबल के वचन के सन्दर्भ में 04 मुख्य बिंदु पर मनन-चिंतन करें -
I.प्रभु यीशु मसीह ने परमेश्वर के पाप-मुक्ति योजना को पूरा किया-
हमारे प्रभु यीशु मसीह ने संसार में मानव जाति के कल्याण के लिये परमेश्वर के पाप मुक्ति की योजना को पूरा किया। अब हम, इस संसार में प्रभु यीशु मसीह के आने का उद्देश्य को जानेंगे।
1.व्यवस्था या भविष्यवक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने नहीं, परन्तु समस्त कार्य पूरा हुआ।
मत्ती 5:17-18 -
[17]यह न समझो, कि मैं व्यवस्था या भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूं।
[18]लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।
2.सुसमाचार प्रचार का कार्य पूरा हुआ ।
लूका 4:18 -कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उस ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्धुओं को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं।
3.अनन्त जीवन देने का कार्य पूरा हुआ।
यूहन्ना 10:10 - चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं।
4.शैतान के कामों को नाश करने का कार्य पूरा हुआ।
1यूहन्ना 3:8 - जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
5.सत्य की गवाही देने का कार्य पूरा हुआ।
यूहन्ना 18:37 – पीलातुस ने उस से कहा, तो क्या तू राजा है? यीशु ने उत्तर दिया, कि तू कहता है, क्योंकि मैं राजा हूं; मैं ने इसलिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं जो कोई सत्य का है, वह मेरा शब्द सुनता है।
6.बपतिस्मा लेने का कार्य पूरा हुआ।
लूका 12:49-50 -
[49]मैं पृथ्वी पर आग लगाने आया हूं; और क्या चाहता हूं केवल यह कि अभी सुलग जाती !
[50]मुझे तो एक बपतिस्मा लेना है; और जब तक वह न हो ले तब तक मैं कैसी व्यथा में रहूंगा !
वह जिस आग की बात करता है वह परमेश्वर की पवित्रता की शुद्ध करने वाली आग है ।
पुराने नियम के अनुसार जब बलि चढ़ाई जाती थी तब स्वर्ग से आग उतरती थी जो उस बलि को जला देती थी। यह आग इस बात का प्रतीक था कि परमेश्वर ने बलि को स्वीकार किया है। पापों की क्षमा के लिए पशुबलि चढ़ाना सर्व-श्रेष्ठ था। इसकी धार्मिक क्रिया यह था कि व्यक्ति के पापों को पशु के ऊपर रख कर उसकी बलि चढ़ाई जाती थी। इससे वह व्यक्ति अपने सारे पापों से मुक्त हो जाते थे।
7.सेवा-सत्कार का कार्य पूरा हुआ।
मरकुस 10:45 - क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।
8.खोए हुओं को ढूंढने और उनका उद्धार करने का कार्य पूरा हुआ ।
लूका 19:10 - क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है।
9.जगत के पाप हरने का कार्य पूरा हुआ।
यूहन्ना 1:29 - दूसरे दिन उस ने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है।
परमेश्वर का मेम्ना- यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने कहा कि यीशु एक मेम्ने के समान था जो वध होने के लिये शान्तिपूर्वक ले जाया जायेगा (Isa1:29,53:4-12) ताकि वह परमेश्वर के लोगों को छुड़ा सके। मेम्ना उस मेम्ने को भी दर्शाता है जिसे याजकों द्वारा फसह के पर्व पर वध किया जाता था (Ge12),जो इस बात का स्मरण दिलाने के लिये मनाया जाता था कि कैसे परमेश्वर ने इस्राएलियों को मिस्र की दासता से छुड़ाया था। प्रेरित पौलुस ने यीशु को “हमारा फसह का मेम्ना” कहकर संबोधित किया जो हमारे लिये पहले ही से बलिदान किया गया था (1Co5:7; Ro3:24,25; Heb10:12-14; Rev5:6-13)
10.पापियों का उध्दार करने का कार्य पूरा हुआ।
1तीमुथियुस 1:15 - यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिनमें सबसे बड़ा मैं हूं।
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
II बाईबल के पुराना नियम में नबियों, भविष्यवक्ताओं के द्वारा यीशु के जन्म संबंध में की गई भविष्यवाणियां प्रभु यीशु मसीह में पूरी हुई –
1.यीशु का एक कुमारी से जन्म व नाम रखने की भविष्यवाणी ।
यशायाह 7:14 - इस कारण प्रभु आप ही तुम को एक चिन्ह देगा। सुनो, एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानूएल रखेगी।
यशायाह 9:6 - क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत, युक्ति करने वाला, पराक्रमी परमेश्वर, अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा।
2.यीशु के जन्म लेने के स्थान की भविष्यवाणी ।
मीका 5:2 - हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरूष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करने वाला होगा; और उसका निकलना प्राचीन काल से, वरन् अनादि काल से होता आया है।
3.चेलों का यीशु मसीह को छोड़कर भागने की भविष्यवाणी।
जकर्याह 13:7 - सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे तलवार, मेरे ठहराए हुए चरवाहे के विरुद्ध अर्थात जो पुरूष मेरा स्वजाति है, उसके विरुद्ध चल। तू उस चरवाहे को काट, तब भेड़-बकरियां तितर-बितर हो जाएंगी; और बच्चों पर मैं अपने हाथ बढ़ाऊंगा।
4.प्रभु यहोवा ने नबियों द्वारा बोलने की भविष्यवाणी।
आमोस 3:7 - इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्वक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रकट किए कुछ भी न करेगा।
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
III. क्रूस पर उपहास, दर्द-पीड़ाओं के बारे में भविष्यवाणियां प्रभु यीशु मसीह में पूरी हुई (यीशु के पीड़ा व दर्द का वर्णन-Isa.53) -
1.थप्पड़ और घूंसे मारे जाने की भविष्यवाणी।
यशायाह 50:6 - मैं ने मारने वालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचने वालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और थूकने से मैंने मुंह न छिपाया।
2. उपहास करने की भविष्यवाणी।
भजन संहिता 22:7-8 -
[7]वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं,
[8]कि अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उससे प्रसन्न है।
3.निन्दा करने की भविष्यवाणी।
भजन संहिता 69:9 - क्योंकि मैं तेरे भवन के निमित्त जलते जलते भस्म हुआ, और जो निन्दा वे तेरी करते हैं, वही निन्दा मुझ को सहनी पड़ी है।
4. वध के समय शांत रहने की भविष्यवाणी।
यशायाह 53:7 - वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
भजन संहिता 38:13-14 -
[13]परन्तु मैं बहिरे की नाईं सुनता ही नहीं, और मैं गूंगे के समान मूंह नहीं खोलता।
[14] वरन् मैं ऐसे मनुष्य के तुल्य हूं जो कुछ नहीं सुनता, और जिसके मुंह से विवाद की कोई बात नहीं निकलती।
5.दुष्टों के संग क्रूस पर चढ़ाये जाने की भविष्यवाणी।
यशायाह 53:9 - और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी॥
6.चिट्ठी डालकर वस्त्र बांट लेने की भविष्यवाणी।
भजन संहिता 22:17-18 -
[17]मैं अपनी सब हडि्डयां गिन सकता हूं; वे मुझे देखते और निहारते हैं;
[18]वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।
7.गुनाहगारों के लिए प्रार्थना करने की भविष्यवाणी।
भजन संहिता 109:4 - मेरे प्रेम के बदले में वे मुझ से विरोध करते हैं, परन्तु मैं तो प्रार्थना में लवलीन रहता हूं।
8.कोई हड्डी न तोड़ने की भविष्यवाणी।
भजन संहिता 34:20 - वह उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है; और उन में से एक भी टूटने नहीं पाती।
9.शरीर का बेधे जाने की भविष्यवाणी।
जकर्याह 12:10 - और मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों पर अपना अनुग्रह करने वाली और प्रार्थना सिखाने वाली आत्मा उण्डेलूंगा, तब वे मुझे ताकेंगे अर्थात जिसे उन्होंने बेधा है, और उसके लिये ऐसे रोएंगे जैसे एकलौते पुत्र के लिये रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहिलौठे के लिये करते हैं।
10.हाथ और पैरों का छेदे जाने की भविष्यवाणी।
भजन संहिता 22:16 - क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
IV यीशु की क्रूस मृत्यु के बाद की भविष्यवाणियां भी स्वयं प्रभु यीशु मसीह में पूरा हुआ।
1. मृत्यु के बाद धनी व्यक्ति के संगी हुआ।
यशायाह 53:9 - और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का उपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
“यूसुफ नाम अरिमतियाह का एक धनी मनुष्य था, जो महासभा का सदस्य और प्रतिष्ठित स्वभाव का था, और उनकी सम्मति और काम को न माना; वह पीलातुस के पास गया, और यीशु की लोथ मांगी, और उसने यीशु को अपनी नई कब्र में था दिया गया, है, जो चट्टान में खोदी गई थी। उस स्थान के पास जहां यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, और उसे सुगन्ध द्रव्य के साथ महीन मलमल में लपेटा गया, जैसा कि यहूदियों में धनवानों और बड़े लोगों को गाड़ने की रीति थी।"
2.अधोलोक में प्रभु यीशु मसीह ने सुसमाचार का प्रचार किया।
भजन संहिता 68:18 - तू ऊंचे पर चढ़ा, तू लोगों को बन्धुवाई में ले गया; तू ने मनुष्यों से, वरन् हठीले मनुष्यों से भी भेंटें लीं, जिस से याह परमेश्वर उन में वास करे।
1 पतरस 3:18-19-
[18]इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात् अधमिर्यों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुंचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
[19]उसी में उस ने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया।
यहूदा 1:6 - फिर जो र्स्वगदूतों ने अपने पद को स्थिर न रखा वरन् अपने निज निवास को छोड़ दिया, उसने उनको भी उस भीषण दिन के न्याय के लिये अन्धकार में जो सदा काल के लिये है बन्धनों में रखा है।
इफिसियों 4:8-12 -
[8]इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्धुवाई को बान्ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।
[9] उसके चढ़ने से, और क्या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था।
[10]और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश से ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे।
[11]और उस ने कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया।
[12]जिस से पवित्र लोग सिद्ध हों जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए।
प्रकाशित वाक्य 1:18 - मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं।
यीशु क्रूस पर मर गए, किन्तु मौत उसे पकड़ नहीं सकी। उसने मौत को हरा दिया और वह फिर से जी उठ खड़ा हुआ। यीशु अब हमेशा-हमेशा के लिए जीवित है, और वह फिर कभी नहीं मर सकता।
यीशु के पास मरे हुए लोगों के स्थान- अधोलोक की कुंजियाँ हैं। इसका तात्पर्य है कि मृत्यु और अधोलोक पर यीशु मसीह का पूरा अधिकार है तथा जीवन और मृत्यु दोनों यीशु मसीह के नियंत्रण में हैं। वह अपने लोगों को मृत्यु के द्वारा नए जीवन में ले जाने में पूर्णतः सक्षम है। अतः हमें विश्वास करना है कि यीशु ही परमेश्वर है।
प्रकाशित वाक्य 20:11-14-
[11]फिर मैं ने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उस को जो उस पर बैठा हुआ है, देखा, जिस के साम्हने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उन के लिये जगह न मिली।
[12]फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया।
[13]और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।
[14]और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।
3. यीशु का पुनरुत्थान हुआ।
भजन संहिता 16:9 – इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।
यूहन्ना 11:25-26 -
[25]यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।
[26]और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?
4. यीशु का स्वर्गारोहण हुआ।
यूहन्ना 3:13 - और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात् मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है।
2 कुरिन्थियों 12:2 - मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूं, चौदह वर्ष हुए कि न जाने देह सहित, न जाने देह रहित, परमेश्वर जानता है, ऐसा मनुष्य तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया।
भजन संहिता 24:7-10-
[7]हे फाटकों, अपने सिर ऊंचे करो। हे सनातन के द्वारों, ऊंचे हो जाओ। क्योंकि प्रतापी राजा प्रवेश करेगा।
[8]वह प्रतापी राजा कौन है? परमेश्वर जो सामर्थी और पराक्रमी है, परमेश्वर जो युद्ध में पराक्रमी है!
[9]हे फाटकों, अपने सिर ऊंचे करो हे सनातन के द्वारों तुम भी खुल जाओ! क्योंकि प्रतापी राजा प्रवेश करेगा!
[10]वह प्रतापी राजा कौन है? सेनाओं का यहोवा, वही प्रतापी राजा है।
यशायाह 52:13 - देखो, मेरा दास बुद्धि से काम करेगा, वह ऊंचा, महान और अति महान हो जाएगा।
------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
यीशु ने क्रूस पर पाप, शैतान और मृत्यु से विजय हासिल किया, जिसका विवरण निम्नानुसार है -
1-यीशु ने क्रूस पर पाप को हराया और पाप पर विजयी हुआ-
आदि में शैतान ने मनुष्य को अदन वाटिका के भले बुरे के ज्ञान का वृक्ष का फल खाने के लिए बहकाया, वे लालच में पड़कर फल खाए और परमेश्वर की आज्ञा उल्लंघन करके पाप में गिरे। चूंकि परमेश्वर पवित्र है इसलिए परमेश्वर ने उन्हें अदन वाटिका से निकाल दिया। इस प्रकार पाप के कारण परमेश्वर से मानव जाति का सम्बन्ध टूट गया। इस तरह पाप पूरे संसार में फैल गई और पाप से मृत्यु आई। परमेश्वर की योजना हमारे पाप-मुक्ति के लिए प्रभु यीशु मसीह ने क्रूस पर बलिदान देकर पाप पर विजयी हुआ। अब हमें पाप के बंधन से स्वतंत्र कर दिया।
रोमियो 3:23-24 –
[23]इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
[24]परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
रोमियो 6:6 - क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें।
2- यीशु ने क्रूस पर शैतान को निकम्मा किया और शैतान पर विजयी हुआ –
आरंभ से ही शैतान ने मनुष्यों को बहकाते, फुसलाते हुए पापों में गिराते आ रहा है और हमेशा मारने व फड़ खाने की युक्ति करते रहा है किन्तु प्रभु यीशु मसीह ने क्रूस पर शैतान को बुरी तरह से हरा दिया है और शैतान से विजय पा लिया है।
इब्रानियों 2:14 -15 -
14- इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।
15- और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।
प्रकाशित वाक्य 12:11 - और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली।
3- यीशु ने क्रूस पर मृत्यु का खुल्लमखुल्ला मज़ाक उड़ाया, पराजित किया और मृत्यु पर विजयी हुआ –
हमारे प्रभु यीशु मसीह ने क्रूस पर मृत्यु को भी बुरी तरह से हरा दिया है और जब उसने पाप को हराया तो हमें अनन्त काल की मृत्यु से भी बचा लिया है।
रोमियो 6:23 - क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।
कुलुस्सियों 2:14-15 -
[14]और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला; और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर साम्हने से हटा दिया है।
[15]और उस ने प्रधानताओं और अधिकारों को अपने ऊपर से उतार कर उन का खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के कारण उन पर जय-जय-कार की ध्वनि सुनाई।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
यीशु जीवन पर्यन्त आज्ञाकारी बना रहा-
फिलिप्पियों 2:7-11 -
[7] वरन् अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
[8]और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
[9]इस कारण परमेश्वर ने उस को अति महान भी किया, और उस को वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
[10]कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
[11]और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
हमारा कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व –
मत्ती 28:18-20 –
[18]यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।
[19]इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।
[20]और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।
प्रभु यीशु मसीह ने क्रूस पर हमारे पाप-मुक्ति के लिए अपना लहू बहाया और पाप, शैतान और मृत्यु पर जय पाया। अब हमें शैतान से डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि शैतान तो हारा हुआ है और मृत्यु से भी डरने की जरुरत नहीं है क्योंकि मृत्यु के बाद ही हमारे लिए अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा है। इस प्रकार प्रभु यीशु मसीह ने परमेश्वर से हमारा मेल-मिलाप का कार्य को पूरा कर दिया है, जो अदन वाटिका में आदम के अनाज्ञाकारिता के कारण परमेश्वर से हमारा अलगाव या सम्बन्ध-विच्छेद हो गया था। प्रभु यीशु मसीह ने हम सबों को यह निर्देश दे गया है कि -
(1) संसार के सभी लोगों के लिए सुसमाचार प्रचार करना है, चेला बनाना है और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा देना है, ताकि कोई एक मनुष्य भी नाश न हो, वरन् अनन्त जीवन पायें।
(2) हम स्वयं प्रभु यीशु मसीह के आज्ञाओं, विधियों एवं शिक्षाओं का पालन करें और इन्हीं आज्ञाओं, विधियों एवं शिक्षाओं को सब देश-देश के लोगों को मानना व पालन करना सिखाएं ।
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------