यीशु ने शिष्यों के इन्कार करने की भविष्यवाणी किया [Jesus Predicts Disciple’s Denial]
मत्ती 26:31-35-
[31]तब यीशु ने उन से कहा; तुम सब आज ही रात को मेरे विषय में ठोकर खाओगे; क्योंकि लिखा है, कि मैं चरवाहे को मारूंगा; और झुण्ड की भेड़ें तित्तर बित्तर हो जाएंगी।
Then Jesus told them, “This very night you will all fall away on account of me, for it is written: “ ‘I will strike the shepherd, And the sheep of the flock will be scattered.’
[32]परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊंगा।
But after I have risen, I will go ahead of you into Galilee.”
[33]इस पर पतरस ने उस से कहा, यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाएं तो खाएं, परन्तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊंगा।
Peter replied, “Even if all fall away on account of you, I never will.”
[34]यीशु ने उस से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि आज ही रात को मुर्गे के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा।
“Truly I tell you,” Jesus answered, “this very night, before the rooster crows, you will disown me three times.”
[35]पतरस ने उस से कहा, यदि मुझे तेरे साथ मरना भी हो, तौभी, मैं तुझ से कभी न मुकरूंगा: और ऐसा ही सब चेलों ने भी कहा।
Peter declared, “Even if I have to die with you, I will never disown you.” And all the other disciples said the same. --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
पृष्ठभूमि –
परमेश्वर ने संसार की सृष्टि की और सब कुछ परमेश्वर से ही उत्पन्न हुआ। परमेश्वर ने अदन की वाटिका में सब भांति के वृक्ष उगाए जो देखने में मनोहर और खाने में अच्छे थे और वाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया (Ge2:9)। आदम को वाटिका की देखभाल(काम करने और रक्षा) के लिए रखा।
परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी कि तू वाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है, पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा। इसके बावजूद भी आदम और हव्वा ने भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाये और पाप में पड़ गये। परिणामत: परमेश्वर ने आदम और हव्वा को वाटिका से निकाल दिया। इसी संबंध-विच्छेद को पुनः जोड़ने के लिए प्रभु यीशु मसीह इस संसार में आया ताकि हम अनन्त जीवन को प्राप्त करने पायें। इसी क्रम में प्रभु यीशु मसीह अपने मिशन (सेवकाई-कार्य) को पूरा करने के बहुत ही करीब अर्थात् एक दिन से भी कम का समय था और सारे मानव जाति के पाप को हर लेने का समय निकट था। इसलिए अपने मिशन कार्य के अंतिम क्षणों में चेलों के संग फसह खाने का पर्व मनाया, जिसे रात्रि-भोज या अंतिम-भोज के नाम से भी जानते हैं। जो हमारे जीवन में हमेशा के लिए एक यादगार पवित्र दिवस बन गया है। आजकल हम इसे अपने पाप-मोक्षण के लिए रविवार को पादरी से प्रभु-भोज या यूखिरिष्ट के रूप ग्रहण करते हैं, यीशु ने अपने शिष्यों को रोटी और प्याले के प्रतीकों के माध्यम से बार-बार पाप के लिए क्रूस पर अपने बलिदान को याद करना सिखाया है। उन्होंने उसी रात को खाने के बाद एक साथ भजन भी गाया अर्थात् यीशु का क्रूसीकरण के पहले रात में अपने शिष्यों के साथ अंतिम-भोज के बाद जब वे जैतून पहाड़ से गतसमनी की वाटिका की यात्रा के मध्य मार्ग पर संसार के उद्धार के कार्य को पूरा करने आगे बढ़ रहे थे। उस समय प्रभु यीशु के साथ उनके 11 शिष्य भी थे, तभी यीशु ने शिष्यों के इन्कार की भविष्यवाणी के यह वचन कहा। गतसमनी बगीचे में यहूदा इस्करियोती ने चूम्बन के प्रतीकात्मक चिन्ह के माध्यम से महायाजकों, पुरनियों और लोगों की एक बड़ी भीड़ ने यीशु को पकड़वाया और धार्मिक नेताओं और महासभाओं में मुक़दमा चला । अंततः यीशु को परमेश्वर का पुत्र होने का दावा के कारण क्रूस मृत्यु का दण्ड दिया गया और यीशु हमारे पापों के लिए क्रूस पर मर गए और तीसरे दिन यीशु मसीह मृतकों में से जी उठा। परिणामत: प्रभु यीशु मसीह ने शैतान को हराया और मृत्यु से जय पाया। इस प्रकार प्रभु यीशु ने अनन्त जीवन के मार्ग प्रशस्त किया।
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यीशु का चेलों के प्रति भविष्यवाणी भविष्यवाणी का पुष्टीकरण -
1.यीशु के विषय में ठोकर से खाने की भविष्यवाणी -
Mt.26:31 - तब यीशु ने उन से कहा; तुम सब आज ही रात को मेरे विषय में ठोकर खाओगे; क्योंकि लिखा है, कि मैं चरवाहे को मारूंगा; और झुण्ड की भेड़ें तित्तर बित्तर हो जाएंगी। तुम सब आज ही रात को मेरे विषय में ठोकर खाओगे।
प्रत्युत्तर – इस पर पतरस ने उस से कहा, यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाएं तो खाएं, परन्तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊंगा (Mt.26:33)।
“मेरे विषय में” – वाक्यांश का तात्पर्य है कि उनकी असफलता न केवल अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा के डर के कारण था, बल्कि यीशु के दुःख सहने के उद्देश्य को समझने में असफल होने के कारण भी रहा होगा।
“ठोकर खाओगे” – वाक्यांश का यूनानी शब्द – Skandalizo है जिसका मूल अर्थ – ठोकर या ठोकर का कारण या फंदा या जाल लगाना है। नया नियम में इसका प्रयोग बहुत बार (करीबन 27 बार) अलंकारिक (1.अलंकारपूर्ण; चमत्कारपूर्ण; अलंकृत ढंग से कहा हुआ 2. बनावटी; कृत्रिम) रूप में किया गया है। प्रेरितों के सामने शीघ्र ही ऐसी परिस्थितियां आने वाली थी जिससे उन्हें ठोकर लगना था और उसके प्रति अपने समर्पण के भाव से गिर जाना था।
Skan- dal- id’-zo =
"to trip somebody up" or, idiomatically,
"to cause someone to sin."
This verb appears 29 times in 27 New Testament verses [Mt.13 + Mk. 08 + Lk. 02 + Jn. 02+ 1Co.01+ 2Co.01]
फिर यीशु ने जकर्याह 13:7 में से दूसरा खण्ड के वचन का सार स्पष्ट किया कि “मैं चरवाहे को मारूंगा; और झुण्ड की भेड़ें तित्तर बित्तर हो जाएंगी।“
“भेड़-बकरियां” शब्द मूलतः इस्राइलियों के लिए कहा गया था तथा “मैं” शब्द का प्रयोग परमेश्वर के लिए कहा गया है, जिसने पहले ठहराया था कि यीशु लोगों के पापों के लिए दुःख उठाए और मरे।
जैसा कि जकर्याह 13:7 में लिखा है कि सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे तलवार, मेरे ठहराए हुए चरवाहे के विरुद्ध अर्थात् जो पुरूष मेरा स्वजाति है, उसके विरुद्ध चल। तू उस चरवाहे को काट, तब भेड़-बकरियां तितर-बितर हो जाएंगी; और बच्चों पर मैं अपने हाथ बढ़ाऊंगा।
यीशु, जो कि चरवाहा है, यूहन्ना 10:14 में कहता है “ अच्छा चरवाहा मैं हूं; जिस तरह पिता मुझे जानता है, और मैं पिता को जानता हूं।“
इब्रानियों 13:20 -
अब शान्तिदाता परमेश्वर जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान रखवाला है सनातन वाचा के लोहू के गुण से मरे हुओं में से जिला कर ले आया।
1 पतरस 2:25 -
क्योंकि तुम पहिले भटकी हुई भेड़ों की नाईं थे, पर अब अपने प्राणों के रखवाले और अध्यक्ष के पास फिर आ गए हो।
यहां यीशु की गिरफ्तारी के समय चेलों के भाग जाने की भविष्यवाणी के रूपक के रूप में इस्तेमाल किया गया।
यशायाह 53:4,6,10 -
[4]निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
[6]हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया॥
[10]तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
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2.पुनरूत्थान के बाद गलील में मिलने की भविष्यवाणी -
Mt.26:32 –
मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊंगा।
“तुम से पहले गलील को जाऊंगा” – का शाब्दिक अर्थ “ पुनरूत्थान के बाद गलील को पहले पहुंचूंगा” है।
यीशु ने आशा और आनन्द के शब्दों के साथ दुःख और उदासी का अपना संदेश दिया।एक बार फिर उसने प्रतिज्ञा की कि वह जी उठेगा।
मत्ती 16:21-
उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं।
मत्ती 17:9 -
जब वे पहाड़ से उतर रहे थे तब यीशु ने उन्हें यह आज्ञा दी; कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से न जी उठे तब तक जो कुछ तुम ने देखा है किसी से न कहना।
मत्ती 17:21-22 -
[21]जब वे गलील में थे, तो यीशु ने उन से कहा; मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा।
[22]और वे उसे मार डालेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा।
मत्ती 20:19 -
और उस को अन्यजातियों के हाथ सोंपेंगे, कि वे उसे ठट्ठों में उड़ाएं, और कोड़े मारें, और क्रूस पर चढ़ाएं, और वह तीसरे दिन जिलाया जाएगा।
और उनसे पहले गलील को जाएगा। उसके जी उठने के बाद एक स्वर्गदूत ने उन स्त्रियों के द्वारा जो रविवार प्रातः कब्र पर आई थी। प्रेरितों को उसकी बात याद दिलाई।
मत्ती 28:7,10,16 -
[7]और शीघ्र जाकर उसके चेलों से कहो, कि वह मृतकों में से जी उठा है; और देखो वह तुम से पहिले गलील को जाता है, वहाँ उसका दर्शन पाओगे, देखो, मैं ने तुम से कह दिया।
[10]तब यीशु ने उन से कहा, मत डरो; मेरे भाईयों से जाकर कहो, कि गलील को चलें जाएं वहाँ मुझे देखेंगे॥
[16]और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था।
मरकुस 16:7 - परन्तु तुम जाओ, और उसके चेलों और पतरस से कहो, कि वह तुम से पहिले गलील को जाएगा; जैसा उस ने तुम से कहा था, तुम वहीं उसे देखोगे।
मत्ती 14:22 -
और उस ने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढ़ाया, कि वे उस से पहिले पार चले जाएं, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
चरवाहा अपने झुण्ड के आगे-आगे उनकी अगुवाई करते हुए चलता है।
यूहन्ना 10:4 -
और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं।
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3. यीशु के विषय में पतरस का ठोकर न खाने की घोषणा -
मत्ती 26:33 -
इस पर पतरस ने उस से कहा, यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाएं तो खाएं, परन्तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊंगा।
इस वचन में प्रेरित पतरस ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा था कि “मैं कभी भी ठोकर न खाऊंगा।“ यह पतरस की विशेषता ही था कि वह यह बात बेबाकी से कह दिया जबकि दूसरे प्रेरित केवल सोच ही रहे थे।
मत्ती 14:28 -
पतरस ने उस को उत्तर दिया, हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।
मत्ती 16:16 –
शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।
मत्ती 17:4 -
इस पर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, हमारा यहां रहना अच्छा है; इच्छा हो तो यहां तीन मण्डप बनाऊं; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।
मत्ती 18:21 -
तब पतरस ने पास आकर, उस से कहा, हे प्रभु, यदि मेरा भाई अपराध करता रहे, तो मैं कितनी बार उसे क्षमा करूं, क्या सात बार तक?
मत्ती 19:27 -
इस पर पतरस ने उस से कहा, कि देख, हम तो सब कुछ छोड़ के तेरे पीछे हो लिये हैं: तो हमें क्या मिलेगा?
यह पहली बार नहीं था कि पतरस ने यीशु के ईश्वरीय पूर्वज्ञान की बात को काटा था। पहले वह यीशु की अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी को चुनौती देने तक चला गया था जिसमें पतरस ने कहा था कि “ हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा [Mt.16:22 का दूसरा खण्ड]।
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4.मुर्गे के बांग देने से पहिले यीशु का तीन बार मुकरने की भविष्यवाणी -
Mt.26:34 -
मैं तुम से सच कहता हूं, कि आज ही रात को मुर्गे के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा।
प्रत्युत्तर – पतरस ने उस से कहा, यदि मुझे तेरे साथ मरना भी हो, तौभी, मैं तुझ से कभी न मुकरूंगा: और ऐसा ही सब चेलों ने भी कहा (Mt26:35)।
यीशु ने भविष्यवाणी किया था कि सब प्रेरित ठोकर खाएंगे और तितर-बितर हो जाएंगे अर्थात् सब चेले यीशु को छोड़कर भाग जाएंगे।[Mt26:31] परन्तु इस वचन में यीशु ने पतरस पर अपना ध्यान केन्द्रित रखा, जैसा कि लिखा है “मैं तुम से सच कहता हूं, कि आज ही रात को मुर्गे के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा।“ प्रभु यीशु मसीह को मालूम था कि पतरस का विरोध सच्चे मन से था, नहीं तो वह यीशु के प्रति इतना जोश-भरी लहजे से नहीं बोला होता।
पतरस ने यीशु का इन्कार एक बार नहीं बल्कि तीन बार इन्कार किया। यीशु ने यह स्पष्ट किया कि वह पतरस द्वारा किये जाने वाले इन्कार मुर्गे के बांग देने से पहले, तीन बार इन्कार करेगा। किन्तु मरकुस 14:30 के अनुसार उस रात को मुर्गे के दो बार बांग देने से पहिले, तीन बार यीशु से मुकर जाएगा। रब्बियों की परम्परा से यह पता चलता है कि यहूदी लोग यरूशलेम में मुर्गे नहीं पालते थे। पहली सदी में यह परम्परा था या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। परन्तु यहूदी नियम रोमियों को मुर्गे पालने से रोक नहीं पाए। मुर्गे इतनी निरन्तरता से बांग देते थे कि रात के तीसरे पहर को (करीबन प्रातः 3.00 बजे ) “मुर्गे के बांग देने के समय” के रूप में जाना जाता था (Mk.13:35)
यीशु ने न केवल पतरस के इन्कारों की भविष्यवाणी की वरन् विश्वासी लोगों में उसके लौट आने की भी भविष्यवाणी की।
लूका 22:31-32 -
[31]शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाईं फटके।
[32]परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।
यह वचन हमें बतलाता है कि प्रभु यीशु ने पतरस के लिए प्रार्थना की कि वह अपना विश्वास खो न दें। इसके बाद में यीशु ने पतरस को समझाया कि “जब तू फिरे,तो अपने भाईयों को स्थिर करना”
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5. पतरस का यीशु से कभी न मुकरने की घोषणा -
Mt.26:35 -
पतरस ने उस से कहा, यदि मुझे तेरे साथ मरना भी हो, तौभी, मैं तुझ से कभी न मुकरूंगा: और ऐसा ही सब चेलों ने भी कहा।
इस वचन में सबसे बुरे परिणाम की कल्पना करते हुए,पतरस ने यीशु मसीह से कहा,यदि मुझे तेरे साथ मरना भी हो, तौभी, मैं तुझ से कभी न मुकरूंगा: और ऐसा ही सब चेलों ने भी कहा।
लूका 22:33 -
उस ने उस से कहा; हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, वरन् मरने को भी तैयार हूं।
यीशु के प्रति पतरस का समर्पण यीशु के लिए उसके शत्रुओं पर उसके तलवार चलाने से स्पष्ट होता है। जैसा कि यूहन्ना 18:10 में लिखा है – “शमौन पतरस ने तलवार, जो उसके पास थी, खींची और महायाजक के दास पर चलाकर, उसका दाहिना कान उड़ा दिया, उस दास का नाम मलखुस था।“ वह उसके लिए लड़ने को तैयार था। परन्तु बाद में पतरस दूसरों के के साथ भाग गया (मरकुस 14:50) और अन्त में उसने उसका इन्कार किया (मत्ती 26:69-75)।
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पतरस का पश्चाताप –
पतरस की अन्तरात्मा जाग उठी थी। उसने कुछ ही समय पहले अपने घोषणा को स्मरण किया कि वह अपने प्रभु यीशु के साथ बंदीगृह जाने और मरने को भी तैयार था। उसने अपने दुःख को याद किया जब उध्दारकर्ता ने उसे ऊपरी कोठरी में बताया कि वह उसी रात अपने परमेश्वर का तीन बार इन्कार करेगा।
पतरस ने यीशु को यह कहते हुए याद किया, “शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेहूं की नाई फटके। परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे, और जब तू फिरे,तो अपने भाईयों को स्थिर करना (लूका22:31,32)। उसने डर के साथ खुद की निष्ठा को याद किया। अपने अपराध को सहन करने में असमर्थ, वह कक्ष से बाहर चला गया। और उसने यीशु के शब्दों को याद किया, “जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो : आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है”(मत्ती 26:41)। यदि पतरस ने प्रार्थना किया होता, तो वह अपनी परीक्षा में विफल नहीं होता। पतरस ने अपने पाप का पश्चाताप दिल की गहराई से दु:खी मन के साथ किया।
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पतरस को प्रभु यीशु की क्षमा –
पुनरूत्थान के बाद, यीशु ने अपने आप को तिबिरियास झील के किनारे चेलों पर प्रगट (यूहन्ना 21-19)। यह पुनरूत्थान के बाद यीशु मसीह का तीसरा प्रकटीकरण है। भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा [यूहन्ना 21:15]। पतरस ने एक बार घोषणा की थी कि यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाएं तो खाएं, परन्तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊंगा [मत्ती 26:33]। लेकिन अब वह यीशु के इन्कार के बाद दीन हो गया। खुद पर भरोसा नहीं था कि उसका प्यार उसके भाईयों से बढ़कर है और यीशु ने उससे कहा, मेरी भेड़ों को चरा।
यूहन्ना 21:16-17-
[16]उस ने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर।
[17]उस ने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उस ने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा।
आम तौर पर, पतरस ने प्रभु यीशु का तीन बार इन्कार किया था और यीशु ने पतरस से अपने प्यार और वफादारी का तीन बार आश्वासन दिया था। सब शिष्यों से पहले, यीशु ने पतरस के पश्चाताप और रूपांतरण की गहराई को दिखाया। इस प्रकार यीशु ने उन्हें दिखलाया कि पतरस अब झुण्ड के लिए एक चरवाहा बनने को तैयार था। अन्ततः यीशु ने पतरस को अपने भाईयों के विश्वास को दुबारा हासिल करने का सुअवसर प्रदान किया। सब प्रेरितों ने यीशु के प्रति अपने सच्चे समर्पण को व्यक्त किया, पर पतरस का समर्पण और सबसे अधिक सच्चा लगता है।
तो आइए, हम मसीही विश्वासी भी प्रेरित पतरस की भांति प्रभु यीशु पर विश्वास करें और उसका अनुसरण करें और उसके प्रति सच्चा समर्पण-भाव रखें। हम जागते रहें और निरन्तर प्रार्थना करते रहें कि हम परीक्षा में न पड़ें। आमीन।