|| यीशु ने कहा, "देखो, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ। मेरा पुरस्कार मेरे पास है और मैं प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का प्रतिफल दूँगा। मैं अल्फा और ओमेगा; प्रथम और अन्तिम; आदि और अन्त हूँ।" Revelation 22:12-13     
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यूहन्ना द्वारा यीशु का बपतिस्मा


 

01.07.2021                             यूहन्ना द्वारा यीशु का बपस्तिमा

मत्ती 3:13-17

[13]उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे  यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया।

[14]परन्तु यूहन्ना यह कह कर उसे रोकने लगा, “मुझे तो तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?”

[15]यीशु ने उसको यह उत्तर दिया,  “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली।

[16]और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उसने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा।

[17]और देखो, यह आकाशवाणी हुई : “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं।”

बपतिस्मा [Baptism] का अर्थ –          

Greek – Baptizo = to immerse,to wash, to dip.

Hebrew – Mikveh = an immersion [Ritual Cleansing]

“बपतिस्मा”  यूनानी [Greek] भाषा के “बैपटिज़ो” [Baptizo] शब्द से लिया गया है। यूनानी भाषा में “बैपटिज़ो”[Baptizo] शब्द का अर्थ है – “डुबोना, भीतर गाड़ना, दफ़न करना।”

मसीहियत [Christianity]  की स्थापना से लगभग 200 वर्ष पूर्व यूनानी में लिखी गई पुराना नियम की पुस्तक को “सेप्टुआजिन्ट” [Septuagint] कहा जाता है। यूनानी भाषा की बाइबल में जिन शब्दों को इस्तेमाल में लाया गया है, वह यह है –

[I]  “बैपटिज़ो” [Baptizo] - “डुबोने” के लिए ,

[ii] “रहानटिज़ो” [Rhantizo] - “छिड़कने” के लिए ,

[iii] “चिओ” [Chaos] - “उड़ेलने” के लिए 

लैव्यव्यवस्था 14:15-16 -

[15]और याजक उस लोज भर तेल में से कुछ ले कर अपने बाएं हाथ की हथेली पर डाले,

[16]और याजक अपने दाहिने हाथ की उंगली को अपने बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उंगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के।

लैव्यव्यवस्था 14:15-16 के वचन में हमें इन तीनों शब्दों का उल्लेख मिलता है जो स्पष्टता से  इन तीनों शब्दों को अलग-अलग ढंग से बतलाया गया है जैसे –  याजक तेल डालें या उड़ेले (चिओ), फिर उंगली को डुबोए (बैपटिज़ो) और फिर छिड़के (रहानटिज़ो) । इस वचन से यह स्पष्ट है कि बैपटिज़ो शब्द को डुबोने के लिए इस्तेमाल किया जाता है । इस प्रकार बपतिस्मा [Baptism] ईसाई धर्म का  धार्मिक संस्कार की क्रिया है जो यूनानी [Greek] शब्द βαπτίζω Baptizo से लिया गया है जिसका अर्थ है -- “डुबोना”, “प्रक्षालन करना” (जल से सफ़ाई करना; धोना) [लूका11:38], और “धार्मिक स्नान”।

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हमारे धर्म-ग्रंथ में कई प्रकार के बपतिस्मे बताए गए हैं जैसे ---

1.जीवन के लिए सृजन का बपस्तिमा [The baptism of creation to life] – उत्प.1:2,7; 2पत.3:6-7.

2.नूह का बपस्तिमा [The baptism of Noah] – उत्प.6:1- 7:24, 1पत.3:20-21.

3.मूसा का बपस्तिमा [The baptism of Moses from Egypt] – निर्ग.14:19-31, 1कुरि.10:1-4.

4.धार्मिक क्रिया से शुध्दिकरण का बपस्तिमा [The baptism of Ritual Cleansing] – लैव्य.8:5-8, गिन.8:6-7; 19:13,20.

5.यूहन्ना के द्वारा पश्चाताप का बपस्तिमा [The baptism of John unto repentance]  मत्ती3:1-6.

6.यीशु की मृत्यु का बपतिस्मा [The baptism of Y’shua into His Body] रोमि.6:3-5, मर.10:38,39, लूका 12:50.

7.परमेश्वर की सेवकाई [सेवा-कार्य] के लिए आत्मा [पवित्र आत्मा] का बपतिस्मा [The baptism in the Spirit of God for ministry] – मत्ती3:11, लूका3:16.

8.आग से शुध्दिकरण का बपस्तिमा [The baptism of fire for purification] मत्ती3:11, लूका3:16, 1पत.4:12-16.

9.यीशु मसीह के चेलों द्वारा दिया गया बपतिस्मा [यीशु के बलिदान होने के पूर्व] – यूह.4:2.

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मसीही युग से पहले का बपतिस्मा 

यद्यपि प्रेरितों के कामों का वर्णन के अनुसार कलीसिया के जन्म और विकास में बपस्तिमे का बहुत महत्व था । ऐसा प्रतीत होता है कि यहूदी लोग गैर-यहूदियों में से धर्म-परिवर्तन करने वालों को अपने धर्म में मिलाने के लिए बपतिस्मा देते थे ।  

मसीही युग में ही बपतिस्मा को अधिक अच्छे तरह से जाना- पहचाना गया, हालांकि यह नया विधि नहीं है । बल्कि यह विधि सृष्टि के आरंभ से ही प्रचलन में है । धर्म-शास्त्र में बपतिस्मा की प्रथा कलीसिया की स्थापना से पहले से ही की गई है। प्राचीन समय के यहूदी अन्य विश्वासियों में से आते हुए लोगों को बपतिस्मा के द्वारा उनके “शुद्ध” स्वभाव के होने के चिन्ह के रूप में दर्शाते हैं।

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बपतिस्मा का विधान 

ईसाईयत [Christianity] में, बपतिस्मा, जल के प्रयोग के साथ किया जाने वाला एक धार्मिक कृत्य है । यह मसीहियों का प्रथम धार्मिक संस्कार है, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को कलीसिया (चर्च) की सदस्यता प्रदान की जाती है । यीशु का बपतिस्मा, यूहन्ना बपतिस्ता (बपतिस्मा-दाता, बपतिस्मा देने वाला) द्वारा किया गया था । प्रारंभिक ईसाईयों में बपतिस्माधारी (Baptizand) को पूरी तरह या आंशिक रूप से डुबोना बपतिस्मा का सामान्य रूप था।

ऐतिहासिक रूप से निमज्जन अर्थात् गोता या डुबकी लगाकर स्नान करना ही प्रथम सदी में प्रयुक्त विधि थी और इसके बाद निमज्जन के द्वितीयक तरीकों के रूप में डुबोने एवं छिड़काव का प्रयोग प्रारंभ हुआ, जहां पर निमज्जन संभव नहीं था।

इस क्रिया का मतलब है “डुबकी दिलाना” या पानी के अंदर डालकर निकालना । यीशु की यह माँग थी कि जो उसका चेला बनना चाहता है उसे बपतिस्मा लेना आवश्यक होगा। 

बपतिस्मा-दाताओं का विश्वास है कि मसीही बपतिस्मा विश्वासकर्ता का जल में निमज्जन है। यह आज्ञापालन का एक कार्य है - जो सूली पर चढ़ाये गये, दफनाये गये तथा फिर जिला उठाये गये । 

 “मृत्यु तथा पाप” पर केंद्रित जीवन के पुराने तरीके को “दफनाना”, तथा परमेश्वर पर केंद्रित एक मसीही के रूप में एक नये जीवन की शुरुआत करने के लिये  “पुनरुत्थान” विशिष्ट रूप से हम मसीहियों का  विश्वास है । यूहन्ना 3:3-5 में यह दृष्टिकोण निहित है कि जल से बपतिस्मा आध्यात्मिक रूप से एक मसीही के “पुनः जन्म लेने” का प्रतीक है या यूं कहें कि “बपतिस्मा स्वयं की मृत्यु तथा प्रभु यीशु मसीह में पुनः जीवित होने का प्रतीक है।“

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यूहन्ना बपतिस्ता द्वारा सम्पन्न बपतिस्मा

 यूहन्ना बपतिस्ता, बपतिस्मा देता था, वह चाहता था कि उसके उपदेश के सुनने वाले अपने पापों से पश्चाताप करके बपतिस्मा ले [लूका 3:1-8, यूह.3:22-23, प्रेरि.13:24,18:25] ।

यूहन्ना बपतिस्मा-दाता का सेवा-कार्य के 03 मुख्य भाग हैं - 

1.प्रभु का मार्ग तैयार करना -

मन फिराओ और बपतिस्मा लो । स्वर्ग का राज्य निकट है --- की अवधारणा के आधार पर यूहन्ना बपतिस्ता ने यहूदिया के जंगल में और यरदन के आस-पास के सारे प्रदेश में पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करके प्रभु का मार्ग तैयार किया । जिसके कारण यरूशलेम और सारे यहूदिया और यरदन के आस-पास के स्थानों के लोग यूहन्ना बपतिस्ता के पास आये और अपने-अपने पापों को मानकर यरदन नदी में उससे बपतिस्मा लिये।  (यूहन्ना 1:6-7; 23, मत्ती 3:2,6)

मत्ती 3:2 -मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है ।

यूहन्ना 1:[6] - एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था । [7]यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं ।

मत्ती 3:6 - और अपने अपने पापों को मानकर यरदन नदी में उस से बपतिस्मा लिया ।

2.प्रभु को प्रकट करना-

मैं इसीलिए आया कि प्रभु को इस्राएल पर प्रकट करूं (यूहन्ना 1:15; 27;29;31) । 

यूहन्ना 1:31- और मैं तो उसे पहिचानता न था, परन्तु इसलिये मैं जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि वह इस्त्राएल पर प्रगट हो जाए।

यीशु को उनके सेवा-कार्य का आरम्भ करा देना ही यूहन्ना बपतिस्ता का अंतिम अभिप्राय था ।

 यीशु मसीह ने खुद यूहन्ना बपतिस्ता के  इस महान उद्देश्य से पीछे हटने पर उसके और अपने लिए कहा कि हमें इस काम को इसी तरीके से घटने देना है, अन्यथा यीशु मसीह कैसे प्रगट होता [मत्ती 3:14] । मत्ती 3:15 - यीशु ने उस को यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली । 

3.वह बढ़े मैं घटूँ-

यूहन्ना का बपतिस्मा पापों की क्षमा के लिए मन फिराव का बपतिस्मा था, अर्थात इसमें केवल मन फिराव हो रहा था- पापों की क्षमा के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पापों की क्षमा केवल यीशु के बलिदान द्वारा ही संभव था।

यूहन्ना बपतिस्ता के द्वारा यरदन नदी के तट पर जल से बपतिस्मा संस्कारित कार्य सम्पन्न किया। जिसका विवरण हमें चारों सुसमाचार में मिलता है [मत्ती3:6, मर.1:4,लूका3:3, यूह.1:24,21]। इस सुसमाचार में स्पष्ट लिखा है कि यूहन्ना ”पाप-क्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का उपदेश देता था” [मर.1:4]। जिन लोगों ने यूहन्ना का उपदेश सुनकर अपने पापों के लिए पश्चाताप किया था, यूहन्ना ने उन्हें जल का बपस्तिमा दिया और उनसे कहा, “जो मेरे बाद आनेवाले हैं, वह मुझसे अधिक शक्तिशाली हैं । मैं तो झुक कर उनके जूते का फीता खोलने योग्य भी नहीं हूं। मैंने तुम लोगों को जल से बपतिस्मा दिया है । परन्तु वह तुम्हें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देंगे”[मर.1:7-8] । इस प्रकार यूहन्ना का बपस्तिमा मात्र मन-फिराव [पश्चाताप] का सूचक था ।

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यीशु का बपस्तिमा

यीशु की इब्लीस से परीक्षा और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार आरम्भ करने के पूर्व, यीशु ने यूहन्ना बपतिस्ता से बपतिस्मा लिया था । इसका वर्णन हमें चारों सुसमाचार में मिलता है [मत्ती3:16, मर.1:9-11, लूका 3:21-22, यूह.1:31-34] ।

मत्ती 3:13 में हम देखते हैं कि यीशु स्वयं यूहन्ना बपतिस्ता के पास इस उद्देश्य से आया था कि यूहन्ना उसे बपतिस्मा दे। यीशु का बपस्तिमा लेने का 04 मुख्य कारण थे –

1.परमेश्वर की धार्मिकता को पूरा करने के लिये,

2.सब लोगों के सामने एक उदाहरण रखने के लिये,

3.अपने को मसीह सिद्ध करने के लिये,

4.अपने स्वर्गीय पिता को प्रसन्न करने के लिये ।

1.परमेश्वर की धार्मिकता को पूरा करने के लिये -

मत्ती 3:14 में यूहन्ना, यीशु को रोकते हैं और कहते हैं कि “मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है ?”

यीशु ने मत्ती 3:15 में यूहन्ना बपस्तिता से कहा था, “कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली ।”

भजन संहिता 119:172 - मैं तेरे वचन का गीत गाऊंगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएं धर्ममय हैं ।

मत्ती 5:18 – लोप करने नहीं, परन्तु पूरा करने आया हूं, क्योंकि मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।   

यूहन्ना 10:35 – यदि उस ने उन्हें ईश्वर कहा जिन के पास परमेश्वर का वचन पहुंचा (और पवित्र शास्त्र की बात लोप नहीं हो सकती।)                                 

2 पतरस 1:21- क्योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे ।

धार्मिकता के लिए  परमेश्वर की व्यवस्थायें जो मूसा के द्वारा दी गई थी तथा अन्य नबियों द्वारा बताई गई थी । जिसमें शुद्ध करने के लिए नहाने, धोने, छिड़काव के विभिन्न तरीके थे । ( निर्ग 29:4, 30:19, लैव्य 8:6, 14:51, 15:11, 13, 16:24; गिन. 5:23, 8:7, 19:13, 18, 21, 31:23) और यह बपतिस्मा उसी शुद्धिकरण की व्यवस्था को पूरा करना है ।

यीशु ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिये बपतिस्मा लिया था । इसी बात पर बल देकर यूहन्ना 6:38 में यीशु ने यह कहा था, “क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन् अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं ।” 

2.सब लोगों के सामने एक उदाहरण रखने के लिये –

यीशु ने इसलिये भी बपतिस्मा लिया था ताकि वह अन्य सब लोगों के सामने एक उदाहरण रखें । पौलुस ने थिस्सलुनीकियों के बारे में कहा था कि वे “और तुम बड़े क्लेश में पवित्र आत्मा के आनन्द के साथ वचन को मान कर हमारी और प्रभु की सी चाल चलने लगे ।” [1थिस्सलुनीकियों 1:6]। यदि वे प्रभु का अनुसरण कर रहे थे तो उन्होंने बपतिस्मा भी अवश्य ही लिया होगा । यीशु ने परमेश्वर पिता की आज्ञाओं को मानकर हमें सिखाया है कि परमेश्वर की प्रत्येक आज्ञा को मानना हमारा कर्तव्य है । यूहन्ना 9:4 के अनुसार यीशु ने कहा था, कि जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता ।

यीशु ने इस बात का भी उदाहरण हमारे सामने रखा है कि जिन बातों को वह सिखाता था वह उन्हें स्वयं भी मानता था। यूहन्ना 3:5 में वह कहा था कि “मैं तुझ से सच सच कहता हूं; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता ।” ऐसा ही, मरकुस 16:16 में कहा था कि “जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा ।”

3.अपने को मसीह सिद्ध करने के लिये –

यीशु ने अपने मसीह होने को सिद्ध करने के लिये भी बपतिस्मा लिया था । यूहन्ना 1:31 में हम देखते हैं कि यूहन्ना बपतिस्ता ने यूं कहा था, “और मैं तो उसे पहिचानता न था, परन्तु इसलिये मैं जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि वह इस्राएल पर प्रगट हो जाए ।” 

4.अपने स्वर्गीय पिता को प्रसन्न करने के लिये- 

और अपने पिता को प्रसन्न करने के लिये भी, यीशु ने बपतिस्मा लिया था । क्योंकि मत्ती 3:17 में हम यूं पढ़ते हैं कि जैसे ही यीशु बपतिस्मा लेकर पानी में से ऊपर आया तो यह आकाशवाणी हुई  “कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं ।” अर्थात् वचन हमें बतलाता है कि यीशु के बपतिस्मा लेने के बाद ही परमेश्वर ने यीशु को अपना पुत्र घोषित किया था ।

इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रभु यीशु भी एक दिन यूहन्ना से बपतिस्मा ग्रहण करने यरदन नदी के तट पर पहुंचे। यद्यपि यीशु ने कोई पाप नहीं किया था जिसके लिए उसे पश्चाताप करना था । किन्तु जब यीशु ने भी यूहन्ना से बपतिस्मा लिया, तब कई अप्रत्याशित एवं आश्चर्यजनक घटनाएं घटित हुई। बपतिस्मा ग्रहण करते समय प्रभु यीशु प्रार्थना कर रहे थे [लूका3:21]। सुसमाचार लेखकों के अनुसार स्वर्ग खुल गया, पवित्र आत्मा कबूतर के रूप में यीशु पर उतरा और परमेश्वर पिता ने यीशु की ओर सम्बोधित  करते हुए कहा --- “तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूं” [मर.1:9-11] । इन आश्चर्यजनक एवं अनोखी घटनाओं का अर्थ यह है कि प्रभु यीशु परमेश्वर का पुत्र है जो हम पापियों को बचाने के लिये मनुष्य बना है [मत्ती1:21] । प्रभु यीशु न केवल मुक्तिदाता हैं, वरन् इम्मानुएल भी कहलाते हैं जिसका अर्थ है --- “परमेश्वर हमारे साथ” [मत्ती1:23] । भले ही यूहन्ना ने यीशु को जल से बपतिस्मा दिया था, लेकिन यरदन नदी में यीशु का बपतिस्मा यूहन्ना के बपतिस्मा से भिन्न है ।

यीशु के बपतिस्मे के बारे में हमें 05 बातों पर विशेष ध्यान रखना है  –

[1] जो बपतिस्मा यूहन्ना, क्रूस पर यीशु की मृत्यु से पहले देता था, उसे लेने से पहले मसीह पर विश्वास लाने को कहा जाता था । 

प्रेरितों के काम 19:4 – पौलुस ने कहा; यूहन्ना ने यह कहकर मन फिराव का बपतिस्मा दिया, कि जो मेरे बाद आने वाला है, उस पर अर्थात यीशु पर विश्वास करना ।

आज भी जब हम यीशु का बपतिस्मा लेते हैं तो हमें बपतिस्मा लेने से पहले यीशु पर विश्वास करना आवश्यक है । 

मरकुस 16:16 – जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा ।

[2] बपतिस्मा लेने से पहले मन फिराना ज़रुरी था ।

जब यूहन्ना ने लोगों को अपने पास बपतिस्मा लेने को आते देखा था उसने उनसे कहा था जैसा लिखा है कि 

मत्ती 3:8 – सो मन फिराव के योग्य फल लाओ । 

आज भी बपतिस्मा लेने से पहले सब लोगों को मन फिराने की आवश्यकता है । 

प्रेरितों के काम 2:38 – पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे ।

[3] बपतिस्मा लेने से पहले अंगीकार किया जाता था ।

मत्ती 3:6 -और अपने अपने पापों को मानकर यरदन नदी में उस से बपतिस्मा लिया ।

अब, आज भी जब लोग मसीह का  बपतिस्मा लेते हैं तो उन्हें बपतिस्मा लेने से पहले अंगीकार करना पड़ता है । यद्यपि अपने पापों का नहीं पर इस बात का कि मसीह परमेश्वर का पुत्र है, “कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करें, कि परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया,तो तू निश्चय उध्दार पाएगा । क्योंकि धार्मिकता के लिए मन से विश्वास किया जाता है ।” खोजे के मन परिवर्तन के सम्बन्ध में हमें बाइबल बताती है कि “ मार्ग में चलते-चलते वे किसी जल की जगह पहुंचे, तब खोजे ने कहा, देख यहां जल है, अब  मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है । फिलिप्पुस ने कहा,यदि तू सारे मन से विश्वास करता है तो हो सकता है । उसने उत्तर दिया मैं विश्वास करता हूं कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है…. और फिलिप्पुस और खोजा दोनों जल में उतर पड़े और उसने उसे बपतिस्मा दिया [प्रेरि.8:36-38]

[4] यूहन्ना का बपतिस्मा पापों की क्षमा के लिये था ।

मरकुस 1:4 – यूहन्ना आया, जो जंगल में बपतिस्मा देता था, और पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मे का प्रचार करता था ।

आज क्रूस पर यीशु की मृत्यु के बाद भी परमेश्वर की योजना में कोई परिवर्तन नहीं आया है । क्योंकि हनन्याह ने शाऊल के पास जाकर उससे कहा था कि प्रेरितों के काम 22:16 – अब क्यों देर करता है? उठ, बपतिस्मा ले, और उसका नाम लेकर अपने पापों को धो डाल ।

[5]मसीह का बपतिस्मा लेने से पवित्रात्मा का दान प्राप्त होता है I

जो बपतिस्मा यूहन्ना, यीशु की मृत्यु से पहले देता था, और जो बपतिस्मा यीशु के चेले,उसकी मृत्यु के बाद देते थे उनमें अंतर यह था कि यूहन्ना का बपतिस्मा लेने से पवित्रात्मा का दान नहीं मिलता था । किन्तु मसीह का बपतिस्मा लेने से  पवित्रात्मा का दान प्राप्त होता है [प्रेरि.2:38] । यूहन्ना का बपतिस्मा किसी भी नाम में नहीं दिया जाता था, किन्तु मसीह का बपतिस्मा दिया जाता है [मत्ती28:19, प्रेरि.2:38] । यूहन्ना का बपतिस्मा इसलिए दिया जाता था कि लोग उसे लेकर आने वाले राज्य में प्रवेश करने के लिये अपने आप को तैयार करें । यूहन्ना के बारे में लिखा है कि “…  प्रभु के लिए एक योग्य प्रजा तैयार करें [लूका1:17] ।” पर मसीह की मृत्यु के बाद अब उसका बपतिस्मा लेकर लोग उसके राज्य अर्थात् उसकी कलीसिया में प्रवेश करते हैं [यूह.3:5, प्रेरि.2:38,41,47, 1कुरि.12:13, गला.3:7] ।

यीशु द्वारा निर्दिष्ट ख्रीस्तीय बपतिस्मा 

•यीशु मसीह ही परमेश्वर का एकमात्र मेमना है, जो बलि किया गया है । जो उसका मांस खाता और लहु पीता है, अनन्त जीवन उसका है (यूह.6:53) ।

इस्राएलियों के शुद्धिकरण की परंपरा-

1.काना नगर के विवाह भोज में पत्थर के 6 मटके इस कार्य के लिए रखे थे ।

2.फरीसी के घर में यीशु मसीह का भोजन- 

जब तक भली भांति हाथ न धो ले नहीं खाते थे (मत्ती 15:2, मरकुस 7:3) ।

पानी से शुद्ध न कर लें भोजन नहीं करते (मरकुस 7:4)।

3.मूसा का व्यवस्था का पालन  

नहाने धोने की विभिन्न विधियां (इब्रानी 9:10)।

बपतिस्मों (इब्रानी 6:2)।

4.यीशु मसीह का अंतिम भोज से पहले।

चेलों का पाँव धोना (यूहन्ना 13:5)

सर भी धो दे (यूहन्ना 13:9)

हाथ भी धो दे (यूहन्ना 13:9)

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•पौलुस की पत्रियों में, बपतिस्मा के द्वारा – यीशु मसीह के साथ एकता, उसकी मृत्यु में सहभागिता की बात की गई है, अर्थात बपतिस्मा=क्रूस पर चढ़ाया जाना (रोमियो-6:3; 1कुरि1:13; 12:13; 13:13) ।

बपतिस्मा की 3 बात पौलुस की पत्रियों में-

1.उसके साथ क्रूस पर चढाए गए– (रोमियो 6:6)

2.उसके साथ गाड़ दिये गए-(रोमियो 6:4, कुलु 2:12)

3.उसके जी उठने की समानता में एकता (रोमियो 6:5, कुलु 2:12)

•ख्रीस्तीय बपतिस्मा महिमावान ख्रीस्त के आदेश के अनुसार बपतिस्मा है । पुनरुत्थित प्रभु यीशु ने स्वर्गारोहण के पहले अपने शिष्यों से मत्ती 28:18-20 में कहा ---

[18]यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।

[19]इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।

[20]और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।

प्रभु यीशु मसीह के इस आदेश का पालन करते हुए कलीसिया प्रेरितों के समय से लेकर पीढ़ी दर पीढ़ी मसीह में विश्वास करनेवालों को बपतिस्मा देते हुए आया है । हम सभी विश्वासियों ने भी यही बपतिस्मा ग्रहण किये हैं ।

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बपतिस्मा परमेश्वर के परिवार में हमारा नया आध्यात्मिक जन्म है । बपतिस्मा का जल पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से हमें ईश्वरीय जीवन प्रदान करता है । प्रभु यीशु ने एक दिन फरीसियों के सरदार नीकुदेमुस से कहा था –  मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता [यूहन्ना 3:3 ] । यीशु ने उनसे दुबारा कहा -- मैं तुझ से सच सच कहता हूं; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता  [यूहन्ना 3:5 ] । यीशु हमें यहां दो बातें बताते हैं –

1.बपतिस्मा परमेश्वर  के परिवार अर्थात् कलीसिया में हमारा दुबारा जन्म है अर्थात् अपनी माता के गर्भ से हम सबका प्रथम जन्म हुआ और बपतिस्मा संस्कार में “जल और पवित्र आत्मा से” हम मसीहियों का दुबारा जन्म भी हुआ [यूह.3:5] ।

2.हमारा दुबारा जन्म पवित्र आत्मा एवं बपतिस्मा-जल से होता है। बपतिस्मा का जल संजीवन-जल कहलाता है [यूह.4:10] ।

इस प्रकार बपतिस्मा संस्कार ही हमारे परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियों के रूप में दोबारा जन्म लेने का चिन्ह [संस्कार] है, जैसे कि सृष्टि के आरंभ में परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था [उत्प.1:2] । 

बपतिस्मा संस्कार की सम्पूर्ण धार्मिक विधि  बपतिस्मा जल की आशीष होती है । जल जीवन का प्रतीक है । जल के बिना जीवन संभव नहीं है । परमेश्वर ने जल से ही जीवन उत्पन्न किया । ठीक उसी प्रकार बपतिस्मा-जल से परमेश्वर ने हम सबों को नव जीवन प्रदान किया है । इसलिए बपतिस्मा संस्कार के जल पर  विशेष प्रार्थना के द्वारा पवित्र आत्मा की सृजन-शक्ति का आह्वान किया जाता है ताकि कलीसिया में नया जन्म प्राप्त करें । 

हम मसीही विश्वासियों के लिये बपतिस्मा संस्कार परमेश्वर के राज्य में जाने का प्रवेश द्वार के समान है । बपतिस्मा संस्कार ग्रहण किये बिना कोई भी अन्य धार्मिक संस्कार ग्रहण नहीं किया जा सकता है । बपतिस्मा संस्कार जीवन में मात्र एक बार ही दिया जाता है । यही कारण है कि कलीसिया का यह प्रथम धार्मिक संस्कार—बपतिस्मा की छाप हमारे जीवन में सदा बनी रहती है । बपतिस्मा संस्कार से हमें जो  कृपायें मिली है, वह है – 

(i) आदि पाप की क्षमा अर्थात् आदि पाप के कलंक से मुक्ति,

(ii) परमेश्वर की लेपालक/दत्तक सन्तान बनने का अधिकार [2कुरि.5:17, गला.4:5-7,3:26-28, 2पत.1:4, 1यूह.3:1], 

(iii) हमारा शरीर पवित्र आत्मा का मन्दिर [लूका1:35,3:22, 1कुरि.6:15;19, मर.9:42-48, मत्ती18:6-9], 

(iv) कलीसियायी परिवार की सदस्यता [इफि.4:4-6],  और 

(v) बपतिस्मा संस्कार की अमिट छाप । 

अन्य सभी धार्मिक संस्कार बपतिस्मा संस्कार की कृपाओं को हमारे जीवन में पोषित, विकसित एवं फलदायी बनाने के लिए होते हैं ।

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