|| यीशु ने कहा, "देखो, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ। मेरा पुरस्कार मेरे पास है और मैं प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का प्रतिफल दूँगा। मैं अल्फा और ओमेगा; प्रथम और अन्तिम; आदि और अन्त हूँ।" Revelation 22:12-13     
Home

My Profile

Topics

Words Meaning

Promises of God

Images

Songs

Videos

Feed Back

Contact Us

Visitor Statistics
» 1 Online
» 11 Today
» 2 Yesterday
» 13 Week
» 137 Month
» 5628 Year
» 41442 Total
Record: 15396 (02.03.2019)

नष्ट मत कर (Do Not Destroy)


 

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

            " नष्ट मत कर " नामक धुन पर संगीत निर्देशक  के लिये आसाप का स्तुती गीत

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
                     

Psalm75:5-10 - " नष्ट मत कर "
5 अपना सींग बहुत ऊँचा मत करो, न सिर उठा कर ढिठाई की बात बोलो ।
6 क्योंकि बढ़ती न तो पूरब से, न पच्छिम से, और न जंगल की ओर से आती है; 
7 परन्तु परमेश्वर ही न्यायी है, वह एक को घटाता और दूसरे को बढ़ाता है। 
8 यहोवा के हाथ में एक कटोरा है, जिसमें का दाखमधु झागवाला है; उसमें मसाला मिला है, और वह उसमें से उँडेलता है, निश्चय उसकी तलछट तक पृथ्वी के सब दुष्ट लोग पी जाएँगे॥ 
9 परन्तु मैं तो सदा प्रचार करता रहूँगा, मैं याकूब के परमेश्वर का भजन गाऊँगा। 
10 दुष्टों के सब सींगों को मैं काट डालूँगा, परन्तु धर्मी के सींग ऊँचे किए जाएंगे।

Psalm 75:5-10 -
5 Do not lift your horns against    heaven; do not speak so defiantly.’”
6 No one from the east or the west  or from the desert can exalt    themselves.                                     
7 It is God who judges:   He brings    one down, he exalts  another.
8 In the hand of the Lord is a cup full of foaming wine mixed  with spices;  he pours it out, and all the wicked of the earth  drink it down to its very dregs.
9 As for me, I will declare  this forever;   I will  sing     praise to the God of  Jacob,
10 who says, “I will cut off the horns    of all the wicked, but the horns of the righteous will  be lifted up ."        
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
पृष्ठभूमि --
 भजन संहिता   बाइबल  की  भजनों  और प्रार्थनाओं  की पुस्तक  है । दरअसल , इन भजनों  और  प्रार्थनाओं  में  परमेश्वर  की  स्तुति के गीत  लिखे हैं  जो  संगीत के साथ  गाए व  बजाए जा सकते हैं ।" भजन  संहिता " की पुस्तक में 150 भजनों का  संकलन है ।

 ये भजन और प्रार्थनाएँ  विभिन्न  लेखकों  द्वारा  एक लम्बी  अवधि के दौरान  लिखे गए हैं । इन्हें  इस्राएली  लोगों ने संकलित किया गया था  और  वे परमेश्वर की  आराधना के लिये  इनका 
उपयोग किया करते थे।अन्तत: यह संग्रह उनके पवित्रशास्त्र का अंग बन गया।

 ये धार्मिक  कविताएँ  कई प्रकार की  हैं  - परमेश्वर की  स्तुति  और  आराधना के गीत,  सहायता, सुरक्षा,  और  उध्दार  के लिये प्रार्थनाएँ;  क्षमा प्राप्ति के लिये  निवेदन; परमेश्वर की  आशीषों के लिये धन्यवाद  के  गीत; और शत्रुओं को  दण्ड  देने की याचना । ये  प्रार्थनाएँ  व्यक्तिगत और  सामूहिक  दोनों है; कुछ प्रार्थनाएँ  एक व्यक्ति की गहन भावनाओं  को चित्रित करती है , जबकि अन्य प्रार्थनाएँ परमेश्वर के  सम्पूर्ण  लोगों की  आवश्यकताओं  और  भावनाओं  को  अभिव्यक्त  करती है ।

 भजन संग्रह का प्रभु यीशु ने भी प्रयोग किया था।नया नियम के लेखकों ने इन्हें उध्दत किया 
था और मसीही  कलीसिया के  आरम्भ  ही से यह आराधना की बहुमूल्य पुस्तक  बन गई थी ।

 रूप -रेखा -
150 भजनों को 5 संग्रहों  या पुस्तकों में  इस प्रकार  विभाजित  किया गया है - 
1. भजन -1- 41.
2. भजन - 42 -72.
3. भजन  - 73 - 89.
4. भजन - 90 - 106.
5. भजन  - 107-150.

 भजनों का लेखक -
कई भजनों के शीषर्को से उनके लेखकों के नामों का पता लग जाता है कि वे किस लेखक के संकलन से लिए गये हैं  जैसे - भजन 41,42.

73 भजनों  में  दाऊद का नाम  लेखक के रूप में  दिया गया है । दाऊद  को भजन  लिखने  तथा वाद्य  बजाने का  वरदान  प्राप्त  था - 1Sa16:23 -
2Sa23:1-
और दाऊद ने  मन्दिर में  सेवा के लिए  गायकों के  विभिन्न  दलों  को नियुक्त किया था -- 1Cr15:16-18-
16:7; 37:42-

दाऊद ने गायकों और संगीतज्ञों  03 दलों को  लेवी के  गोत्र के  03 परिवारों के  03 अगुवों के  अधीन नियुक्त किया।ये 03 व्यक्ति थे - आसाप , हामान ,और एथान (यहूदूतून)-- 
1Ch6:31-48-
1Ch15:17-19-
1Ch16:5,42-
इन्होंने मिलकर कई भजन लिखे  जिनमें से कुछ  को  भजन  संहिता  की  पुस्तक में  सम्मिलित किया गया है  जैसे  -- भजन 50 , 73-78 , 88-89.

 02 भजन  सुलैमान  द्वारा  भी लिखे गए हैं  भजन  72,127.

 01 भजन  मूसा  द्वारा  लिखा  हुआ  भी पाया जाता है  भजन -90.
 भजनों की  भाषा  -  इब्रानी ।
 इस्राएल  राष्ट्र के लिए  परमेश्वर की  जो भी  इच्छा  थी वह मसीह में पूरी  हुई । मसीह  जो इस्राएल का सच्चा रूप है उसने लोगों के पापों के दु:ख का इतना बोझ सहा कि अन्त में उसे पापों के उस बोझ के कारण परमेश्वर के पूर्ण क्रोध को  सहना पड़ा। परन्तु  अन्त में  वह विजयी  हुआ जिससे कि लोग ऐसे महान  राज्य में  प्रवेश कर सके जिसकी  उन्होंने कभी कल्पना  भी नही की थी --- 
Ps 22:19-32
Php2:7-11--
Rev5:9-14-

भजनों के प्रकार :--
1. मसीहा संबंधी भजन  --  मसीह के व्यक्तित्व व उसके कार्य के विषय में बताते है।
2. विलाप के भजन  -- सहायता हेतु परमेश्रर को एक पुकार।
3. गवाही के भजन  --  दूसरों को बताना कि  परमेश्वर ने क्या किया।
4. यात्रा के भजन  --  पवित्र नगर यरुशलेम की ओर यात्रा करते हुए गाए गए गीत।
5.शाप वाचक भजन  --  दुष्ट लोगों पर दण्ड की कामना।
6. पश्चाताप के भजन  -- पाप पर दुखी होना।
7. बुध्दि के भजन  --  ईश्वर भक्तों के लिए मार्गदर्शन।
8. ऐतिहासिक भजन  --  इस्राएल जाति के साथ,परमेश्वर द्वारा पूर्व में किए व्यवहार पर दृष्टि डालना।
9.प्रकृति-संबंधी भजन  --  परमेश्वर के सृजनात्मक कार्य में परिलक्षित उसकी हस्तकला।

अभिव्यक्तियाँ  --
1. सेला --  विराम, उत्तरोत्तर उच्च स्वर या संगीत का एक छोटा भाग हो सकता है।
2.मश्कील  --  सम्भवतः मननशील या शिक्षाप्रद अथवा कौशलपूर्ण भजन।
3. मिक्ताम  --  सम्भवतः विनोदपूर्ण कविता या प्रायश्चित का भजन।
4. पाताल  --  अधोलोक।
5. अलतशहेत  --  नष्ट मत करो ।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Ps75:5- अपना सींग बहुत ऊंचा मत करो, न सिर उठा कर ढिठाई की बात बोलो।
                                                                ★
 सींग  --  कई जानवारों के सिर में सींग पाये जाते हैं जैसे --- बैल, बकरा और हिरण। सींग, हड्डियों का बना होता है कि वे उससे लड़े। सींग, ताकत और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए 
भजनकार आसाप इस भजन में चित्रण किया है। घमण्डी लोगों के सिरों में सींग नहीं होता इसलिए उनसे कहता है सींग ऊँचा मत करो।
1.अश्शूर के राजा सन्हेरीब(Is36,37) --
परमेश्वर ने अश्शूर के राजा सन्हेरीब से हिजकिय्याह राजा को बचाया। अश्शूर देश यहूदा के उत्तर-पूर्व में स्थित है।सन्हेरीब ने यहूदा के सब गढ़वाले नगर पर चढ़ाई करके जीत लिया।किन्तु जब वह यहूदा की राजधानी यरूशलेम पर चढ़ाई का योजना बनाया था तब यहोवा के दूत ने निकलकर अश्शूरियो के छावनी में 150 000 पुरूषों को मारा और भोर को जब लोग जब उठे तब क्या देखा कि शव ही शव पड़े 
हैं।तब अश्शूर का राजा सन्हेरीब चल दिया और नीनवे में रहने लगा। वहाँ वह अपने देवता निस्रोक के मंदिर में दण्डवत कर रहा था कि इतने में उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शेरसेर ने उसको तलवार से मार डाला।
2. कुछ लोगों को अपनी जाति या गोत्र पर घमण्ड होता है।
Ac10:34-35 --तब पतरस ने कहा," अब मुझे निश्चय हुआ कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता,वरन् हर जाति में जो उससे डरता और धर्म के काम करता  है, वह उसे भाता है।
3. कुछ लोग अपने आपको बुध्दिमान बड़ा समझकर घमण्ड करते है।किन्तु यिर्मयाह 9:23-- यहोवा यों कहता है -  बुध्दिमान अपनी बुध्दि पर घमण्ड न करे,न वीर अपनी वीरता पर,न धनी अपने धन पर घमण्ड करें।
4. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो यह कहकर घमण्ड करते हैं कि हम अधिक पढ़े-लिखे तो नहीं है किन्तु फिर भी हमने यह या वह काम किया है।
5.आश्चर्यपूर्ण बात यह भी है कि कुछ लोगों को अपने निर्धन होने का अभिमान होता है। वे प्रत्येक अमीर आदमी की निन्दा करते है और सोचते है कि हर एक धनी बुरा इन्सान है।
6.कुछ लोग अपनी धार्मिकता पर घमण्ड करते हैं वे उस फरीसी की तरह सोचते हैं जिसके बारे में 
Lk18:21में पढ़ते है --
Lk18:11-  फरीसी खड़ा होकर अपने मन में यों प्रार्थना करने लगा, कि हे परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, कि मैं और मनुष्यों की नाईं अन्धेर करने वाला, अन्यायी और व्यभिचारी नहीं, और न इस चुंगी लेने वाले के समान हूँ।"

यहाँ गलती इस बात में है कि वह व्यक्ति अपनी अच्छाई की तुलना अन्य लोगों की अच्छाईयों के साथ कर रहा था; जबकि हमें अपनी तुलना मसीह के जीवन के साथ करके देखनी चाहिए।

किन्तु घमण्ड का परिणाम अच्छा नहीं निकलता है।घमण्ड के कारण मनुष्य को असफलता का सामना करना पड़ता है।
 Proverb 16:18 -> विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। 
Proverb 11:2 -  जब अभिमान होता, तब अपमान भी होता है, परन्तु नम्र लोगों में बुद्धि होती है। 
Proverb 13:10 -  झगड़े रगड़े केवल अंहकार ही से होते हैं, परन्तु जो लोग सम्मति मानते हैं, उनके पास बुद्धि रहती है।

यदि हम अपने जीवन का आदर्श यीशु मसीह को बना लें तो हम घमण्ड के पाप से छुटकारा पा सकते हैं।

 Php 2:5-8 -  जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। 
6 जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
8 और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 

1Sa 2:3 -  फूलकर अहंकार की ओर बातें मत करो, और अन्धेर की बातें तुम्हारे मुंह से न निकलें; क्योंकि यहोवा ज्ञानी ईश्वर है, और कामों को तौलने वाला है ।

Psalms 94:3-6 -  हे यहोवा, दुष्ट लोग कब तक, दुष्ट लोग कब तक डींग मारते रहेंगे? 
4 वे बकते और ढ़िठाई की बातें बोलते हैं, सब अनर्थकारी बड़ाई मारते हैं। 
5 हे यहोवा, वे तेरी प्रजा को पीस डालते हैं, वे तेरे निज भाग को दु:ख देते हैं। 
6 वे विधवा और परदेशी का घात करते, और अनाथों को मार डालते हैं।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Psalms 75:6 -  क्योंकि बढ़ती न तो पूरब से न पच्छिम से, और न जंगल की ओर से आती है।
                                                                   ★
East - West  <=>  Sunrise - Sunset.
पूरब - पश्चिम   =  उदयाचल - अस्ताचल। 

North - South <=> Mountains - Desert.
उत्तर - दक्षिण   =  पहाड़ - जंगल।

जंगल की ओर से -  दक्षिण की ओर से।

क्योंकि इस दिशा से अश्शूरी आ रहे थे।केवल आक्रमण की अपेक्षा करने के सिवाय, सहायता के लिए उत्तर दिशा की ओर से कोई ताक नहीं सकता था।
(Isa 36 -37 ; 2Ki 18-19 ; 2Ch 32:1-23)
 उत्तर दिशा को दर्शाया नहीं गया है अर्थात् यह एक गुप्त स्थान का प्रतीक है और परमेश्वर का परामर्श/सलाह/मशवरा इस दिशा से आने वाला है सिर्फ परमेश्वर की ओर से कयामत/अन्त का दिन आएगा।यह महत्व नहीं है कि किस दिशा से परमेश्वर न्याय करने के लिए आएगा।

Isa2:10 - यहोवा के भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टान में घुस जा, और मिट्टी में छिप जा।
 उध्दार -  परमेश्वर हमारे उध्दार के लिये हर पल तत्पर है।वह हमारे उध्दार के लिये अपना हाथ बढ़ाता और शैतान के पंजे से हमें छुड़ा लाता है।

Ac13:17-18 -  इन इस्त्राएली लोगों के परमेश्वर ने हमारे बापदादों को चुन लिया, और जब थे मिसर देश में परदेशी होकर रहते थे, तो उन की उन्नति की; और बलवन्त भुजा से निकाल लाया। 
18 और वह कोई चालीस वर्ष तक जंगल में उन की सहता रहा। 
परमेश्वर अपने विश्वासियों की सहायता हर पल करता है वह हमारा सहायक है।

मसीही जीवन जीने के निर्देश -
 Heb13:6 -  इसलिये हम बेधड़क होकर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
75:7 -  परन्तु परमेश्वर ही न्यायी है, वह एक को घटाता और दूसरे को बढ़ाता है। 
                                                                  ★
परमेश्वर न्यायकर्ता है वह अपने लोगों का और प्रत्येक व्यक्ति का न्याय करेगा।वह सच्चाई के साथ न्याय करता है।
दुष्ट व्यक्ति को नीचे गिराता है और नम्र व्यक्ति(धर्मी) को ऊपर उठाता है।
अनुचित न्याय की भर्त्सना -
Psalms 82:1-4 परमेश्वर की सभा में परमेश्वर ही खड़ा है; वह ईश्वरों के बीच में न्याय करता है। 
2 तुम लोग कब तक टेढ़ा न्याय करते और दुष्टों का पक्ष लेते रहोगे? 
3 कंगाल और अनाथों का न्याय चुकाओ, दीन दरिद्र का विचार धर्म से करो। 
4 कंगाल और निर्धन को बचा लो; दुष्टों के हाथ से उन्हें छुड़ाओ।

परमेश्वर सबका न्यायी  -
 Psalms94:2-7 - हे पृथ्वी के न्यायी उठ; और घमण्ड़ियों को बदला दे! 
3 हे यहोवा, दुष्ट लोग कब तक, दुष्ट लोग कब तक डींग मारते रहेंगे? 
4 वे बकते और ढ़िठाई की बातें बोलते हैं, सब अनर्थकारी बड़ाई मारते हैं। 
5 हे यहोवा, वे तेरी प्रजा को पीस डालते हैं, वे तेरे निज भाग को दु:ख देते हैं। 
6 वे विधवा और परदेशी का घात करते, और अनाथों को मार डालते हैं; 
7 और कहते हैं, कि याह न देखेगा, याकूब का परमेश्वर विचार न करेगा। पुत्र को अधिकार -
Jn5:22-23 -  और पिता किसी का न्याय भी नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है। 
23 इसलिये कि सब लोग जैसे पिता का आदर करते हैं वैसे ही पुत्र का भी आदर करें: जो पुत्र का आदर नहीं करता, वह पिता का जिस ने उसे भेजा है, आदर नहीं करता। मनुष्य जाति का पाप -
Ro 1:28-32 -  और जब उन्होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा, इसलिये परमेश्वर ने भी उन्हें उन के निकम्मे मन पर छोड़ दिया; कि वे अनुचित काम करें। 
29 सो वे सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और बैरभाव, से भर गए; और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्षा से भरपूर हो गए, और चुगलखोर, 
30 बदनाम करने वाले, परमेश्वर के देखने में घृणित, औरों का अनादर करने वाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी बुरी बातों के बनाने वाले, माता पिता की आज्ञा न मानने वाले। 
31 निर्बुद्धि, विश्वासघाती, मायारिहत और निर्दय हो गए। 
32 वे तो परमेश्वर की यह विधि जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले मुत्यु के दण्ड के योग्य हैं, तौभी न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं, वरन करने वालों से प्रसन्न भी होते हैं।

ईश्वर निष्पक्ष न्याय कर्त्ता -
Ro 2:16 -  जिस दिन परमेश्वर मेरे सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा मनुष्यों की गुप्त बातों का न्याय करेगा।
Heb12:22-24 -  पर तुम सिय्योन के पहाड़ के पास, और जीवते परमेश्वर के नगर स्वर्गीय यरूशलेम के पास। 
23 और लाखों स्वर्गदूतों और उन पहिलौठों की साधारण सभा और कलीसिया जिन के नाम स्वर्ग में लिखे हुए हैं: और सब के न्यायी परमेश्वर के पास, और सिद्ध किए हुए धमिर्यों की आत्माओं। 
24 और नई वाचा के मध्यस्थ यीशु, और छिड़काव के उस लोहू के पास आए हो, जो 
हाबिल के लोहू से उत्तम बातें कहता है। 
 James4:12 -  व्यवस्था देने वाला और हाकिम तो एक ही है, जिसे बचाने और नाश करने की सामर्थ है; तू कौन है, जो अपने पड़ोसी पर दोष लगाता है ? 
मनुष्यों को न्यायी होनी चाहिए -
अध्यक्ष -
Titus 1:7-9 -
6 जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के लड़के बाले विश्वासी हो, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं। 
7 क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए; न हठी, न क्रोधी,              न पियक्कड़, न मार पीट करने वाला, और न नीच कमाई का लोभी। 
8 पर पहुनाई करने वाला, भलाई का चाहने वाला, संयमी, न्यायी, पवित्र और जितेन्द्रिय हो। 
9 और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे; कि खरी शिक्षा से उपदेश दे सके; और विवादियों का मुंह भी बन्द कर सके।

दूसरों का न्याय नहीं करना -
 Ro 14:10-13 -
10 तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम 
सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे। 
11 क्योंकि लिखा है, कि प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे साम्हने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी। 
12 सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा॥ 
13 सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे। 
1Co4:5 - सो जब तक प्रभु न आए, समय से पहिले किसी बात का न्याय न करो: वही तो अन्धकार की छिपी बातें ज्योति में दिखाएगा, और मनों की मतियों को प्रगट करेगा, तब परमेश्वर की ओर से हर एक की प्रशंसा होगी।

सच्चाई से न्याय करें -
Jn7:24 -  मुंह देखकर न्याय न चुकाओ, परन्तु ठीक ठीक न्याय चुकाओ।

दूसरों पर दोष  लगाना -
Mt7:1-5 -
1 दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। 
2 क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा; और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये 
भी नापा जाएगा। 
3 तू क्यों अपने भाई की आंख के तिनके को देखता है, और अपनी आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता?। 
4 और जब तेरी ही आंख मे लट्ठा है, तो तू अपने भाई से क्योंकर कह सकता है, कि ला मैं तेरी आंख से तिनका निकाल दूं। 
5 हे कपटी, पहले अपनी आंख में से लट्ठा निकाल ले, तब तू अपने भाई की आंख का तिनका भली भांति देखकर निकाल सकेगा।
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Psalm75:8 -  यहोवा के हाथ में एक कटोरा है, जिस में का दाखमधु झाग वाला है; उस में मसाला मिला है, और वह उस में से उंडेलता है, निश्चय उसकी तलछट तक पृथ्वी के सब दृष्ट लोग पी जाएंगे।
                                                                     ★
मदिरापान  -
 संसार में अनेकों लोग शराब(ममदिरापान) के आदी हैं।इसके कारण भी अधिकतर लोग गरीब और निर्धन हैं क्योंकि लोग शराब पीना नहीं छोड़ सकते।

शराब पीने के लिये लोग चोरियाँ भी करते हैं। शराब एक ऐसी चीज है जो अनेकों अन्य पाप करने को प्रेरित करती है।

बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएँ, बीमारियाँ, आफतें लोगों पर केवल शराब के ही कारण आती है।

शराब जान लेवा तो है ही, पर प्राण अर्थात् आत्मा को भी विनाश करती है।
Prov 20:1 -
दाखमधु ठट्ठा करने वाला और मदिरा हल्ला मचाने वाली है; जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं। 
 Prov 23:30-32 -
30 उन की जो दाखमधु देर तक पीते हैं, और जो मसाला मिला हुआ दाखमधु ढूंढ़ने को जाते हैं। 
31 जब दाखमधु लाल दिखाई देता है, और कटोरे में उसका सुन्दर रंग होता है, और जब वह धार के साथ उण्डेला जाता है, तब उस को न देखना। 
32 क्योंकि अन्त में वह सर्प की नाईं डसता है, और करैत के समान काटता है। 
Habakkuk 2:15 -
15 हाय उस पर, जो अपने पड़ोसी को मदिरा पिलाता, और उस में विष मिलाकर उसको मतवाला कर देता है कि उसको नंगा देखे। 
Isa28:7 -
7 ये भी दाखमधु के कारण डगमगाते और मदिरा से लड़खड़ाते हैं; याजक और नबी भी मदिरा के कारण डगमगाते हैं, दाखमधु ने उन को भुला दिया है, वे मदिरा के कारण लड़खड़ाते और 
दर्शन पाते हुए भटक जाते, और न्याय में भूल करते हैं। 
Lk 21:34 -
34 इसलिये सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े। 
Eph 5:18 -
18 और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ। 
 शराब मनुष्य के मन और मस्तिक पर बुरा असर छोड़ती है। चरित्र को बिगाड़ती है और देह तथा आत्मा दोनों को हानि पहुँचाती है।
Gal 6:7-8 -
7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। 
8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। 
परमेश्वर के ठहराये नियमों का उल्लंघन करके हम उससे नहीं बच सकते।
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Psalm 75:9 -   परन्तु मैं तो सदा प्रचार करता रहूंगा, मैं याकूब के परमेश्वर का भजन गांऊगा।
                                                                    ★
याकूब =  याकूब का दूसरा नाम इस्राएल। कुलपति, इसाहक का पुत्र और इब्राहीम का पोता। उनके 12 पुत्र यहूदियों के 12वंशों के मूल पुरूष हैं।
Mt 19:28 -
28 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि नई उत्पत्ति से जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा के सिहांसन पर बैठेगा, तो तुम भी जो मेरे पीछे हो लिये हो, बारह सिंहासनों पर बैठकर इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करोगे। 
29 और जिस किसी ने घरों या भाइयों या बहिनों या पिता या माता या लड़केबालों या खेतों को मेरे नाम के लिये छोड़ दिया है, उस को सौ गुना मिलेगा: और वह अनन्त जीवन का अधिकारी होगा। 
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Psalm 75:10 - दुष्टों के सब सींगों को मैं काट डालूंगा, परन्तु धर्मी के सींग ऊंचे किए जाएंगे।
                                                                     ★

Ps101:8-
6 मेरी आंखें देश के विश्वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी कि वे मेरे संग रहें; जो खरे मार्ग पर चलता है वही मेरा टहलुआ होगा॥ 
7 जो छल करता है वह मेरे घर के भीतर न रहने पाएगा; जो झूठ बोलता है वह मेरे साम्हने बना न रहेगा॥ 
8 भोर ही भोर को मैं देश के सब दुष्टों को सत्यानाश किया करूंगा, इसलिये कि यहोवा के नगर के सब अनर्थकारियों को नाश करूं॥
Jer48:25-
25 यहोवा की यह वाणी है, मोआब का सींग कट गया, और भुजा टूट गई है। 
26 उसको मतवाला करो, क्योंकि उसने यहोवा के विरुद्ध बड़ाई मारी है; इसलिये मोआब अपनी छांट में लोटेगा, और ठट्ठों में उड़ाया जाएगा। 
1Sa2:1-
1 और हन्ना ने प्रार्थना करके कहा, मेरा मन यहोवा के कारण मगन है; मेरा सींग यहोवा के कारण ऊंचा, हुआ है। मेरा मुंह मेरे शत्रुओं के विरुद्ध खुल गया, क्योंकि मैं तेरे किए हुए उद्धार से आनन्दित हूं। 
2 यहोवा के तुल्य कोई पवित्र नहीं, क्योंकि तुझ 
को छोड़ और कोई है ही नहीं; और हमारे परमेश्वर के समान कोई चट्टान नहीं है॥
Ps89:17-
17 क्योंकि तू उनके बल की शोभा है, और अपनी प्रसन्नता से हमारे सींग को ऊंचा करेगा। 
Ps92:10-
10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं।
Ps148:14-
14 और उसने अपनी प्रजा के लिये एक सींग ऊंचा किया है; यह उसके सब भक्तों के लिये अर्थात इस्राएलियों के लिये और उसके समीप रहने वाली प्रजा के लिये स्तुति करने का विषय है। याह की स्तुति करो।
Ex9:16-
15 मैं ने तो अभी हाथ बढ़ाकर तुझे और तेरी प्रजा को मरी से मारा होता, और तू पृथ्वी पर से सत्यनाश हो गया होता; 
16 परन्तु सचमुच मैं ने इसी कारण तुझे बनाए रखा है, कि तुझे अपना सामर्थ्य दिखाऊं, और अपना नाम सारी पृथ्वी पर प्रसिद्ध करूं। 
Ro9:17-
15 क्योंकि वह मूसा से कहता है, मैं जिस किसी पर दया करना चाहूं, उस पर दया करूंगा, और जिस किसी पर कृपा करना चाहूं उसी पर कृपा करूंगा। 
16 सो यह न तो चाहने वाले की, न दौड़ने वाले की परन्तु दया करने वाले परमेश्वर की बात है। 
17 क्योंकि पवित्र शास्त्र में फिरौन से कहा गया, कि मैं ने तुझे इसी लिये खड़ा किया है, कि तुझ में अपनी सामर्थ दिखाऊं, और मेरे नाम का प्रचार सारी पृथ्वी पर हो। 

------------------------------------------------------✝ ✝ ✝--------------------------------------------------------


 


Disclaimer     ::     Privacy     ::     Login
Copyright © 2019 All Rights Reserved