|| यीशु ने कहा, "देखो, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ। मेरा पुरस्कार मेरे पास है और मैं प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का प्रतिफल दूँगा। मैं अल्फा और ओमेगा; प्रथम और अन्तिम; आदि और अन्त हूँ।" Revelation 22:12-13     
Home

My Profile

Topics

Words Meaning

Promises of God

Images

Songs

Videos

Feed Back

Contact Us

Visitor Statistics
» 1 Online
» 11 Today
» 2 Yesterday
» 13 Week
» 137 Month
» 5628 Year
» 41442 Total
Record: 15396 (02.03.2019)

महा उपवास काल (Lenten Season)


 

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

                                      महा उपवास काल ( Lenten Season) 

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

Jn17:17- 
सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है।
Lent is the Christian season of preparation before Easter. 
In Western Christianity, Ash Wednesday marks the first day, or the start of the season of Lent, which begins 40 days prior to Easter (Sundays are not included in the count).

Lent--
Fasting -उपवास, भूखा रहना ।
Repentance - पश्चाताप ।
Moderation - संयम ।
Spiritual  discipline- आध्यात्मिक  अनुशासन ।

1.Fasting -उपवास अर्थात् भूखा रहना -

•उपवास - सच्चा उपवास या सच्ची आराधना, कर्मकाण्डों और स्तुति और उपासना की विधियों से कहीं अधिक है। यहां उपवास का अर्थ यह भी है कि अन्य लोगों के साथ न्याय और सच्चाई के साथ व्यवहार किया जाए।

 

यशायाह नबी उपवास के बारे में यह कहता है --- अन्याय की बेड़ियों को तोड़ना,जुए के बंधन खोलना, पद्- दलितों को मुक्त करना, गुलामी समाप्त करना, भूखों को रोटी खिलाना,बेघर दरिद्रों को आश्रय देना, नंगों को कपड़ा देना तथा अपने भाई से प्रेम करना ही सबसे उत्तम उपवास है।

 

•यशायाह 58:6-7 -

6.मैं जो उपवास चाहता हूॅं, वह इस प्रकार है --- अन्याय की बेड़ियों को तोड़ना,जूए के बन्धन खोलना,पद्-दलितों को मुक्त करना और हर प्रकार की गुलामी समाप्त करना।

7.अपनी रोटी भूखों के साथ खाना, बेघर दरिद्रों को अपने यहाॅं ठहराना।जो नंगा है,उसे कपड़े पहनाना और अपने भाई से मुॅंह नहीं मोड़ना।

•यशायाह 58:6-7-

[6]जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह क्या यह नहीं, कि, अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहने वालों का जुआ तोड़कर उनको छुड़ा लेना, और सब जुओं को टूकड़े टूकड़े कर देना?

[7]क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बांट देना, अनाथ और मारे मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना, और अपने जातिभाइयों से अपने को न छिपाना?

 

2.Repentance (पश्चाताप) -

यूहन्ना बपतिस्ता ने पश्चाताप का उपदेश दिया और लोग अपने पाप स्वीकार करते हुए उससे पश्चाताप का बपतिस्मा ग्रहण करते थे - Mt.3:1-12.

 

यीशु ने भी यह कहते हुए अपने उपदेशों प्रारंभ किया,"पश्चाताप करो, स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है--Mt.4:17.

 

यीशु पापियों को पश्चाताप के लिए बुलाने के थे -- Mt.9:13.

 

उन्होनें पश्चाताप की आवश्यकता पर बल दिया - Lk13:1-5.

उदाहरण - 

निनिवे -Mt.12:41; जक्कई-Lk19:8; पापनी-स्त्री -Lk7:36-50.

दृष्टांत -

नाकेदार - Lk18:13-14; खोया हुआ सिक्का -Lk .15:18 ; यहूदा-27:3-5.

 

3.Moderation (संयम) -

•लूका 21:34-

[34]इसलिये सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े।

•1 थिस्सलुनीकियों 5:6-8-

[6]इसलिये हम औरों की नाईं सोते न रहें, पर जागते और सावधान रहें।

[7]क्योंकि जो सोते हैं, वे रात ही को सोते हैं, और जो मतवाले होते हैं, वे रात ही को मतवाले होते हैं।

[8]पर हम तो दिन के हैं, विश्वास और प्रेम की झिलम पहिनकर और उद्धार की आशा का टोप पहिन कर सावधान रहें।

•1 पतरस 1:13-

[13]इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलने वाला है।

•1 पतरस 5:8-

[8]सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।

•अध्यक्ष संयम हों -

•1 तीमुथियुस 3:2-3,8-

[2]सो चाहिए, कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति, संयमी, सुशील, सभ्य, पहुनाई करने वाला, और सिखाने में निपुण हो।

[3]पियक्कड़ या मार पीट करने वाला न हो; वरन कोमल हो, और न झगड़ालू, और न लोभी हो।

[8]वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दो रंगी, पियक्कड़, और नीच कमाई के लोभी न हों।

 

4.Spiritual discipline(आध्यात्मिक अनुशासन)

आध्यात्मिक अभ्यास या आध्यात्मिक अनुशासन आध्यात्मिक अनुभवों को प्रेरित करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परमेश्वर के आज्ञाओं एवं विधियों का पालन करना, नियमित बाइबल अध्ययन करना और परमेश्वर के वचनों पर मनन-चितंन करके आध्यात्म उन्नति करना है।

पवित्र- 
> मसीहियों को  ईश्वर की  तरह पूर्ण  एवं  पवित्र  बनना  है । ईश्वर ने हमें  चुना  जिससे  हम उसकी दृष्टि में     पवित्र और निष्कलंक बनें । - Eph1:4.
> परमेश्वर  मसीह  में  प्रकट हुआ अतएवं  मसीहियों को  मसीह का  प्रतिरूप  बनना है।-  Ro8:29.
   मसीह -जैसा  आचरण  करना है -1Jn2:6.
> मसीह  को और  उसके  मनोभावों  का धारण करना है ।
   यीशु  पर दृष्टि  लगाकर आगे बढ़ना है । Heb12:1.
> मसीह के लिये  जीवन  बिताना है । 2Co5:15.

परमेश्वर के  प्रति  कर्तव्य -- श्रध्दा -भक्ति,  डर, विश्वास,  आशा,  भरोसा,  आज्ञाकारिता,

साधना के  अन्य  अंग--
> मसीह  की  भाँति  प्रार्थना  करना।
> प्रभु -भोज से सम्बल प्राप्त  करना।
> हर प्रकार के  पाप से  दूर रहना। यीशु  किसी  भी कीमत पर पाप से  बचने   और  दूसरों के लिए  पाप       का  कारण  नहीं  बनने  का परामर्श  देते हैं ।
> क्षमा  मिल सकती है,  किन्तु  पश्चाताप   अनिवार्य है ।
> पश्चात्ताप के  अभाव में  नरकवास पाप का परिणाम  है ।
> जो लोग  मसीह के  हैं,  उन्होंने  वासनाओं  तथा  कामनाओं  सहित  अपने  शरीर को  क्रूस  पर चढ़ा  दिया । वासना, उपवास,  तपस्या,  संयम।

अनुशंसित सदगुण --
न्याय,  ईमानदारी,  दृढ़ता,  धर्मोत्साह, सहनशीलता,  कृतज्ञता, विनम्रता,  सादगी।

सच्चे मसीह के  मनोभाव---
"इस पृथ्वी पर  हमारा  कोई  स्थायी नगर नहीें, हम तो  भविष्य के  नगर की खोज में  लगे  हुए  है"

Heb13:14.

Lent is a time when many Christians prepare for Easter by observing a period of fasting, repentance, moderation and spiritual discipline. 
The purpose is to set aside time for reflection on Jesus Christ - his suffering and his sacrifice, his life, death, burial and  resurrection.

The Bible does not mention the custom of Lent, however, the practice of repentance and mourning in ashes is found in 

2 Samuel 13:19-
19 तब तामार ने अपने सिर पर राख डाली, और अपनी रंगबिरंगी कुतीं को फाढ़ डाला; और सिर पर हाथ रखे चिल्लाती हुई चली गई। 

Esther 4:1- 
1 जब मोर्दकै ने जान लिया कि क्या क्या किया गया है तब मोर्दकै वस्त्र फाड़, टाट पहिन, राख डालकर, नगर के मध्य जा कर ऊंचे और दुखभरे शब्द से चिल्लाने लगा; 

Job 2:8- 
7 तब शैतान यहोवा के साम्हने से निकला, और अय्यूब को पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया। 
8 तब अय्यूब खुजलाने के लिये एक ठीकरा ले कर राख पर बैठ गया। 
9 तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा। 

Daniel 9:3-
3 तब मैं अपना मुख परमेश्वर की ओर कर के गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करने लगा, और उपवास कर, टाट पहिन, राख में बैठ कर वरदान मांगने लगा। 

Matthew 11:21- 
21 हाय, खुराजीन; हाय, बैतसैदा; जो सामर्थ के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब के मन फिरा लेते। 

Spiritual Fasting -

Jesus himself affirmed in Luke 5:35.that after his death fasting would be appropriate for his followers. Spiritual fasting clearly has a place and a purpose for God's people today.

Fasting requires self-control and discipline as one denies the natural desires of the flesh.
During spiritual fasting, the believer's focus is removed from the physical things of this world and intensely concentrated on God. Put differently, fasting directs our hunger toward God. It clears the mind and body of earthly attentions and draws us close to God. So, as we gain spiritual clarity of thought while fasting, it allows us to hear God more clearly. 
Fasting also demonstrates a profound need for God's help and guidance through complete dependence upon him.

Matthew 6:16-18 -
16 जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
17 परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो। 
18 ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा॥

Old Testament
1.Moses fasted 40 days on behalf of Israel’s sin: 
Deuteronomy 9:9,18,25-29,10:10.
Dt9:9- जब मैं उस वाचा के पत्थर की पटियाओं को जो यहोवा ने तुम से बान्धी थी लेने के लिये पर्वत के ऊपर चढ़ गया, तब चालीस दिन और चालीस रात पर्वत ही के ऊपर रहा; और मैं ने न तो रोटी खाई न पानी पिया। 
Dt9:18- 
16 और मैं ने देखा कि तुम ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध महापाप किया; और अपने लिये एक बछड़ा ढालकर बना लिया है, और तुरन्त उस मार्ग से जिस पर चलने की आज्ञा यहोवा ने तुम को दी थी उसको तुम ने तज दिया। 
17 तब मैं ने उन दोनों पटियाओं को अपने दोनों हाथों से ले कर फेंक दिया, और तुम्हारी आंखों के साम्हने उन को तोड़ डाला। 
18 तब तुम्हारे उस महापाप के कारण जिसे करके तुम ने यहोवा की दृष्टि में बुराई की, और उसे रीस दिलाई थी, मैं यहोवा के साम्हने मुंह के बल गिर पड़ा, और पहिले की नाईं, अर्थात चालीस दिन और चालीस रात तक, न तो रोटी खाई और न पानी पिया। 
Dt9:25-29-
25 मैं यहोवा के साम्हने चालीस दिन और चालीस रात मुंह के बल पड़ा रहा, क्योंकि यहोवा ने कह दिया था, कि वह तुम को सत्यानाश करेगा। 
26 और मैं ने यहोवा से यह प्रार्थना की, कि हे प्रभु यहोवा, अपना प्रजा रूपी निज भाग, जिन को तू ने अपने महान् प्रताप से छुड़ा लिया है, और जिन को तू ने अपने बलवन्त हाथ से मिस्र से निकाल लिया है, उन्हें नष्ट न कर। 
27 अपने दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर; और इन लोगों की कठोरता, और दुष्टता, और पाप पर दृष्टि न कर, 
28 जिस से ऐसा न हो कि जिस देश से तू हम को निकाल कर ले आया है, वहां से लोग कहने लगें, कि यहोवा उन्हें उस देश में जिसके देश का वचन उन को दिया था नहीं पहुंचा सका, और उन से बैर भी रखता था, इसी कारण उसने उन्हें जंगल में निकाल कर मार डाला है। 
29 ये लोग तेरी प्रजा और निज भाग हैं, जिन को तू ने अपने बड़े सामर्थ्य और बलवन्त भुजा के द्वारा निकाल ले आया है॥
Dt10:10- 
10 मैं तो पहिले की नाईं उस पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात ठहरा रहा, और उस बार भी यहोवा ने मेरी सुनी, और तुझे नाश करने की मनसा छोड़ दी।

2.David fasted and mourned the death of Saul: 
2 Samuel 1:12-
12 और वे शाऊल, और उसके पुत्र योनातन, और यहोवा की प्रजा, और इस्राएल के घराने के लिये छाती पीटने और रोने लगे, और सांझ तक कुछ न खाया, इस कारण कि वे तलवार से मारे गए थे। 

3.David fasted and mourned the death of Abner: 
2 Samuel 3:35-
35 तब सब लोग उसके विषय फिर रो उठे। तब सब लोग कुछ दिन रहते दाऊद को रोटी खिलाने आए; परन्तु दाऊद ने शपथ खाकर कहा, यदि मैं सूर्य के अस्त होने से पहिले रोटी वा और कोई वस्तु खाऊं, तो परमेश्वर मुझ से ऐसा ही, वरन इस से भी अधिक करे। 
 

4.David fasted and mourned the death of his child: 
2 Samuel 12:16- 
16 और दाऊद उस लड़के के लिये परमेश्वर से बिनती करने लगा; और उपवास किया, और भीतर जा कर रात भर भूमि पर पड़ा रहा। 
 

5.Elijah fasted 40 days after fleeing from Jezebel: 
1 Kings 19:7-18-
7 दूसरी बार यहोवा का दूत आया और उसे छूकर कहा, उठ कर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है। 
8 तब उसने उठ कर खाया पिया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा। 
9 वहां वह एक गुफा में जा कर टिका और यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम? 
10 उन ने उत्तर दिया सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त मुझे बड़ी जलन हुई है, क्योकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, तेरी वेदियों को गिरा दिया, और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है, और मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं। 
11 उसने कहा, निकलकर यहोवा के सम्मुख पर्वत पर खड़ा हो। और यहोवा पास से हो कर चला, और यहोवा के साम्हने एक बड़ी प्रचण्ड आन्धी से पहाड़ फटने और चट्टानें टूटने लगीं, तौभी यहोवा उस आन्धी में न था; फिर आन्धी के बाद भूंईडोल हूआ, तौभी यहोवा उस भूंईडोल में न था। 
12 फिर भूंईडोल के बाद आग दिखाई दी, तौभी यहोवा उस आग में न था; फिर आग के बाद एक दबा हुआ धीमा शब्द सुनाईं दिया। 
13 यह सुनते ही एलिय्याह ने अपना मुंह चद्दर से ढांपा, और बाहर जा कर गुफा के द्वार पर खड़ा हुआ। फिर एक शब्द उसे सुनाईं दिया, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम? 
14 उसने कहा, मुझे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त बड़ी जलन हुई, क्योंकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, और तेरी वेदियों को गिरा दिया है और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है; और मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं। 
15 यहोवा ने उस से कहा, लौटकर दमिश्क के जंगल को जा, और वहां पहुंचकर अराम का राजा होने के लिये हजाएल का, 
16 और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिये आबेलमहोला के शापात के पुत्र एलीशा का अभिषेक करना। 
17 और हजाएल की तलवार से जो कोई बच जाए उसको येहू मार डालेगा; और जो कोई येहू की तलवार से बच जाए उसको एलीशा मार डालेगा। 
18 तौभी मैं सात हजार इस्राएलियों को बचा रखूंगा। ये तो वे सब हैं, जिन्होंने न तो बाल के आगे घुटने टेके, और न मुंह से उसे चूमा है। 

6.Ahab fasted and humbled himself before God: 
1 Kings 21:27-29- 
27 एलिय्याह के ये वचन सुनकर अहाब ने अपने वस्त्र फाड़े, और अपनी देह पर टाट लपेट कर उपवास करने और टाट ही ओढ़े पड़ा रहने लगा, और दबे पांवों चलने लगा। 
28 और यहोवा का यह वचन तिशबी एलिय्याह के पास पहुंचा, 
29 कि क्या तू ने देखा है कि अहाब मेरे साम्हने नम्र बन गया है? इस कारण कि वह मेरे साम्हने नम्र बन गया है मैं वह विपत्ति उसके जीते जी उस पर न डालूंगा पर न्तू उसके पुत्र के दिनों में मैं उसके घराने पर वह पिपत्ति भेजूंगा।

7.Darius fasted in concern for Daniel: Daniel 6:18-24-
18 तब राजा अपने महल में चला गया, और उस रात को बिना भोजन पड़ा रहा; और उसके पास सुख विलास की कोई वस्तु नहीं पहुंचाई गई, और उसे नींद भी नहीं आई॥ 
19 भोर को पौ फटते ही राजा उठा, और सिंहों के गड़हे की ओर फुर्ती से चला गया। 20 जब राजा गड़हे के निकट आया, तब शोक भरी वाणी से चिल्लाने लगा और दानिय्येल से कहा, हे दानिय्येल, हे जीवते परमेश्वर के दास, क्या तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, तुझे सिंहों से बचा सका है? 
21 तब दानिय्येल ने राजा से कहा, हे राजा, तू युगयुग जीवित रहे! 
22 मेरे परमेश्वर ने अपना दूत भेज कर सिंहों के मुंह को ऐसा बन्द कर रखा कि उन्होंने मेरी कुछ भी हानि नहीं की; इसका कारण यह है, कि मैं उसके साम्हने निर्दोष पाया गया; और हे राजा, तेरे सम्मुख भी मैं ने कोई भूल नहीं की। 
23 तब राजा ने बहुत आनन्दित हो कर, दानिय्येल को गड़हे में से निकालने की आज्ञा दी। सो दानिय्येल गड़हे में से निकाला गया, और उस पर हानि का कोई चिन्ह न पाया गया, क्योंकि वह अपने परमेश्वर पर विश्वास रखता था। 
24 और राजा ने आज्ञा दी कि जिन पुरूषों ने दानिय्येल की चुगली खाई थी, वे अपने अपने लड़के-बालों और स्त्रियों समेत लाकर सिंहों के गड़हे में डाल दिए जाएं; और वे गड़हे की पेंदी तक भी न पहुंचे कि सिंहों ने उन पर झपट कर सब हड्डियों समेत उन को चबा डाला॥ 

8.Daniel fasted on behalf of Judah's sin while reading Jeremiah’s prophecy: 
Daniel 9:1-19.

9.Daniel fasted regarding a mysterious vision from God: 
Daniel 10:3-13.

10.Esther fasted on behalf of her people: 
Esther 4:13-16.

11.Ezra fasted and wept for the sins of the returning remnant: 
Ezra 10:6-17.

12.Nehemiah fasted and mourned over the broken walls of Jerusalem:                   Nehemiah 1:4-2:10.

13.The people of Ninevah fasted after hearing the message of Jonah: Jonah 3.

New Testament
14(1) Anna fasted for the redemption of Jerusalem through the coming Messiah: 

Luke 2:37.
15 (2) Jesus fasted 40 days before his temptation and the beginning of his ministry: 
Matthew 4:1-11.
16 (3) The disciples of John the Baptist fasted: 
Matthew 9:14-15.
17 (4) The elders in Antioch fasted before sending off Paul and Barnabas: Acts 13:1-5.
18 (5) Cornelius fasted and sought God’s plan of salvation: 
Acts 10:30.
19 (6) Paul fasted three day fast after his Damascus Road encounter: 
Acts 9:9.
20 (7) Paul fasted 14 days while at sea on a sinking ship: 
Acts 27:33-34.
Verse of the Day: Spiritual Fasting - Luke 5:35
Repentance -
Definition: Repentance means a sincere turning away, in both the mind and heart, from self to God.

What faith leads us to receive the righteousness of God?
Calls for repentance are found throughout the Old Testament, such as 
Ezekiel 18:30-
30 प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, मैं तुम में से हर एक मनुष्य का न्याय उसकी चालचलन के अनुसार ही करूंगा। पश्चात्ताप करो और अपने सब अपराधों को छोड़ो, तभी तुम्हारा अधर्म तुम्हारे ठोकर खाने का कारण न होगा। 
31 अपने सब अपराधों को जो तुम ने किए हैं, दूर करो; अपना मन और अपनी आत्मा बदल डालो! हे इस्राएल के घराने, तुम क्यों मरो? 
32 क्योंकि, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, जो मरे, उसके मरने से मैं प्रसन्न नहीं होता, इसलिये पश्चात्ताप करो, तभी तुम जीवित रहोगे।

"Therefore,O house of Israel, I will judge you, each one according to his ways, declares the Sovereign LORD. Repent! Turn away from all your offenses; then sin will not be your downfall."

Jesus also calls for repentance:-

"The time has come," Jesus said. "The kingdom of God is near. Repent and believe the good news!" Mark 1:15- 
15 और कहा, समय पूरा हुआ है, और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो॥

Repentance is an essential part of salvation, requiring a turning away from the sin-ruled life to a life characterized by obedience to God.

The Holy Spirit leads a person to repent, but repentance itself cannot be seen as a "good work" that adds to our salvation.

The Bible states that people are saved by faith alone 

Ephesians 2:8-9-
8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 
9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे। 
10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया॥ 
However, there can be no faith in Christ without repentance and no repentance without faith. 
The two are inseparable.

Example: Repentance means turning away from sin to God.

                                                                   ★★★


Disclaimer     ::     Privacy     ::     Login
Copyright © 2019 All Rights Reserved