1Co15:35-49. Dated:- 28.05.2015.
पुनर्जीवित शरीर - 1Cointhians 15:35-49
मृत्यु और जीवन -
35 अब कोई यह कहेगा, कि मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं ?
36 हे निर्बुद्धि, जो कुछ तु बोता है, जब तक वह न मरे , जिलाया नहीं जाता।
37 और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूँ का, चाहे किसी और अनाज का।
38 परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है; और हर एक बीज को उसकी विशेष देह।
39 सब शरीर एक सरीखे नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछिलयों का शरीर और है।
सब कुछ नया हो गया -
40 स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और।
41 सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)।
42 मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।
43 वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ्य के साथ जी उठता है।
44स्वाभाविक देह बोई जाती है,और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।
जीवन के दो पहलू -
45 ऐसा ही लिखा भी है, कि प्रथम मनुष्य, अर्थात आदम, जीवित प्राणी बना और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना।
46 परन्तु पहिले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इस के बाद आत्मिक हुआ।
47 प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है।
48 जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही और मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही और भी स्वर्गीय हैं।
49 और जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।
The Resurrection Body - 1Corinthians 15:35-49
Death & Life -
35 But someone will ask, “How are the dead raised? With what kind of body will they come?”
36 How foolish! What you sow does not come to life unless it dies.
37 When you sow, you do not plant the body that will be, but just a seed, perhaps of wheat or of something else.
38 But God gives it a body as he has determined, and to each kind of seed he gives its own body.
39 Not all flesh is the same: People have one kind of flesh, animals have another, birds another and fish another.
All Things Became New -
40 There are also heavenly bodies and there are earthly bodies; but the splendor of the heavenly bodies is one kind, and the splendor of the earthly bodies is another.
41 The sun has one kind of splendor, the moon another and the stars another; and star differs from star in splendor.
42 So will it be with the resurrection of the dead. The body that is sown is perishable, it is raised imperishable;
43 it is sown in dishonor, it is raised in glory; it is sown in weakness, it is raised in power; 44 it is sown a natural body, it is raised a spiritual body.
If there is a natural body, there is also a spiritual body.
Two Stages of Life -
45 So it is written: “The first man Adam became a living being”; the last Adam, a life-giving spirit.
46 The spiritual did not come first, but the natural, and after that the spiritual.
47 The first man was of the dust of the earth; the second man is of heaven.
48 As was the earthly man, so are those who are of the earth; and as is the heavenly man, so also are those who are of heaven.
49 And just as we have borne the image of the earthly man, so shall we bear the image of the heavenly man.
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वचनों का व्याख्यान
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पृष्ठभूमि --
कुरिन्थ शहर -
एजियन और अद्रिया सागरों के मध्य के संकरे स्थल-संयोजक भूमि पर स्थित था । कुरिन्थुस एक बंदरगाह-शहर और धनाढ्य व्यवसायिक केन्द था। जो जहाज यूनान (ग्रीस ) के दक्षिणी छोर के चारों ओर की खतरनाक यात्रा से बचना चाहते थे, वे इस स्थल-संयोजक भूमि के आर-पार खींचे जाते थे ।
इस शहर को, 20000 लोगों की क्षमता वाली एक बाह्य नाट्यशाला, ऑलम्पिक के बाद दूसरे बड़े आयोजन के रूप में होने वाली प्रतिस्पर्धाओं, यूनानी, रोमी और पूर्व-देशीय लोगों की जनसंख्या और 1000वेश्याओं वाले अफ्रोदीत के विशाल मंदिर का गर्व था। कुरिन्थुस शहर की अनैतिक दशा इसी बात से स्पष्ट होती है कि यूनानी शब्द कुरिन्थियाज़ोमाई (शब्दशः, कुरिन्थियों की तरह व्यवहार करना) का अर्थ "व्यभिचार करना" हो गया था । बाजार के दक्षिण भाग में कई मदिरालय थे,और शराब पीने के कई पात्र शराब गोदाम से खोदकर निकाले गए हैं । कुरिन्थुस शहर हर प्रकार के पाप के लिए प्रसिद्ध था।
कुरिन्थुस की कलीसिया -
कुरिन्थुस में सबसे पहले सुसमाचार का प्रचार पौलुस के द्वारा उसकी द्वितीय मिशनरी यात्रा के दौरान 50 ईसवीं में हुआ था। अक्विला और प्रिसकिल्ला के साथ रहकर काम करते हुए पौलुस ने तब तक आराधनालय में प्रचार किया, जब तक कि विरोध ने उसे आराधनालय के निकट स्थित, तितुस यूस्तुस के घर जाने के लिए बाध्य न कर दिया। यहूदियों ने रोमी हाकिम गल्लियो के सामने पौलुस पर दोष लगाया परन्तु यह आरोप निरस्त हो गया और पौलुस 18 माह तक इसी शहर में रहा- Ac18:1-17, 1Co2:3. यहाँ से जाने के पश्चात्, पौलुस ने यहाँ की कलीसिया को एक पत्र लिखा जो खो गया है 1Co5:9, परन्तु कुरिन्थुस के विश्वासियों के विषय में व्याकुल करने वाले समाचार और उन प्रश्नों ने, जिन्हें उन्होंने पौलुस को एक पत्र 1Co7:1 के माध्यम से पूछा था, कुरिन्थियों की पहली पत्री के लिखे जाने के लिए प्रेरित किया । कलीसिया की विभिन्न समस्याएँ थी -
1. कलीसिया का विभाजन -1Co1:11.
2. अनैतिकता -1Co5: & 6:9-20.
3. विवाह, भोजन और आराधना, और
4. पुनरुत्थान के विषय में प्रश्न।
धर्मपथ से हटने वाले विश्वास और विस्मित करने वाली रीतियाँ ही इस कलीसिया की विशेषता थी।
लेखन-स्थल -
यह पत्री इफिसुस से लिखी गई- -1Co16:8.
विषय-वस्तु -
यह पत्री 'जोर देने में ' अति व्यवहारिक है, जो आत्मिक और नैतिक समस्याओं और प्रश्नों पर जोर देती है । यह पासबानीय ईश्वर ज्ञान पर एक विषय-पुस्तिका है । महत्वपूर्ण जोर देने के लिये इन विषयों को सम्मिलित किया गया है --
1. मसीह का न्याय सिंहासन-
-1Co3:11-15.
2. पवित्रात्मा का मंदिर -1Co6:19-20.
3. परमेश्वर की महिमा- 1Co10:31.
4. प्रभु-भोज --1Co11:23-24.
5. प्रेम ही सबसे महान है -1Co13.
6. वरदानों का उपयोग -1Co12 &13.
7. पुनरूत्थान का सिध्दान्त---1Co15.
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पुनरुत्थान(Resurrection)
●मृत्यु के पश्चात देह सहित जी उठना।
●'पुराना नियम' के विश्वासी लोगों को
अनन्त जीवन के बारे में स्पष्ट ज्ञान
नहीं था।यद्यपि उन्होंने कई बार ऐसे
पुनरुत्थान की आशा व्यक्त की जिसके
द्वारा वे मृत्यु की शक्ति से छुटकारा पा
जाएँगे।इसी प्रकार उनकी आशा थी कि
दुष्ट लोग भी दण्ड पाने के लिए जीवित हो
उठेंगे-
○Ps49:14-15-
14 वे अधोलोक की मानों भेड़- बकरियां ठहराए गए हैं; मृत्यु उनका गड़ेरिया ठहरी; और बिहान को सीधे लोग उन पर प्रभुता करेंगे; और उनका सुन्दर रूप अधोलोक का कौर हो जाएगा और उनका कोई आधार न रहेगा।
15 परन्तु परमेश्वर मेरे प्राण को अधोलोक के वश से छुड़ा लेगा, क्योंकि वही मुझे ग्रहण कर अपनाएगा।
○Da12:2-
2 और जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उनमें से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये।
● मसीह की मृत्यु के द्वारा परमेश्वर ने मृत्यु
की सामर्थ्य को तोड़कर पुनरुत्थान के
जीवन के स्वभाव को प्रकट किया -
○ 2Ti1:10-
10 पर अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु के प्रगट होने के द्वारा प्रकाश हुआ, जिसने मृत्यु का नाश किया, और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया।
○ Heb2:14-15-
14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उनके समान उनका सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।
15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।
●1Co15:21- चूँकि मृत्यु मनुष्य द्वारा आयी थी, इसलिए मनुष्य द्वारा ही मृतकों का पुनरुत्थान हुआ है ।
●1Co15:22- जिस तरह सब मनुष्य आदम के कारण मरते हैं, उसी तरह सब मसीह के कारण पुनर्जीवित किये जायेंगे।
●Mt22:23-यहूदियों के एक अल्पसंख्यक दल, अर्थात् सदूकियों का विचार था कि पुनरुत्थान है ही नहीं ।
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" पुनर्जीवित शरीर " का अर्थ -
यहूदी के जिन लोगों में "पुनरुत्थान" के विषय पर भ्रांतियाँ थी उन लोगों के लिए संत पौलुस 1Co15:35-49. के वचन में पुनरुत्थान का व्याख्यान प्राकृतिक घटनाक्रम की प्रवृत्ति के माध्यम से समझाया है। पुनरुत्थान की आशा से समझ, सुरक्षा तथा यीशु मसीह के पुनरुत्थान की प्रचार का वर्णन 1Co15:12-58 में वर्णित है ।
पुनरुत्थान के 03 मुख्य विषय है -
1. मृतकों का पुनरुत्थान से इनकार ।
2. पुनरुत्थान का समझ ही नहीं ।
3. पुनरुत्थान का आश्वासन(दृढ़ तथा
अटल)।
पुनरुत्थान के 03 मुख्य भाग है -
1.पुनरुत्थान का सुरक्षा - 1Co15:12-34.
2. पुनरुत्थान के स्वभाव का वर्णन
1Co -15:35-49.
3. पुनरुत्थान की महिमा का प्रचार -
1Co-15:50-58.
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------पुनरुत्थान के स्वभाव का वर्णन -
1. मृत्यु और जीवन - 1Co15:35-39.
2. सब कुछ नया - 1Co15:40-44.
3. जीवन के दो पहलू -1Co15:45-49.
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l. मृत्यु और जीवन(Death & Life) -
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" पुनरुत्थान की देह " के विषय में संत पौलुस बतलाता है कि यह प्रकृति के सैध्दांतिक व व्यवहारिक नियम के अनुसार पुनरुत्थान बिल्कुल सत्य और सही है।व्यवहारिकता में हम देखते हैं कि मसीह ने हमारे जीवन को कैसे बदल दिया है और हमारे भ्रांतियों को दूर किया और हममें पुनरुत्थान के विश्वास को दृढ़ किया है ।
●एक अन्य प्रश्न कि पुनरुत्थान किसके
समान है ?
● 1Co15:35 के अनुसार कोई पुछता है कि " मृतक कैसे जी उठता है ? और किस प्रकार के देह में आता है ? "
संत पौलुस कहता है कि "तुम मूर्ख हो ?" इस प्रश्न में उन्हें उनके विश्वास की कमी की संभावना नजर आता है और दूसरी तरफ पौलुस प्रकृति की ओर देखता है ।
●भविष्य के पुनरुत्थान की देह और वर्तमानकाल की भौतिक देह की तुलना पौधे और उस बीज से की जा सकती है जिससे वह बढ़ता है ।
मृत्यु और जीवन - 1Co15:35-39.
Verse 35- अब कोई यह कहेगा, कि मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं ?
Jer32:17- हे प्रभु यहोवा, तूने बड़े सामर्थ और बढ़ाई हुई भुजा से आकाश और पृथ्वी को बनाया है! तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है।
Heb11:3- विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो।
Verse 36- हे निर्बुद्धि, जो कुछ तु बोता है, जब तक वह न मरे , जिलाया नहीं जाता।
Jn12:24- मैं तुमसे सच सच कहता हूं, कि जब तक गेहूं का दाना भूमि में पड़कर मर नहीं जाता, वह अकेला रहता है परन्तु जब मर जाता है, तो बहुत फल लाता है।
Verse 37- और जो तू बोता है, यह वह देह नहीं जो उत्पन्न होनेवाली है, परन्तु निरा दाना है, चाहे गेहूँ का, चाहे किसी और अनाज का।
Verse 38- परन्तु परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार उसको देह देता है; और हर एक बीज को उसकी विशेष देह।
Ge1:12- तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिनमें अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Verse 39- सब शरीर एक सरीखे नहीं, परन्तु मनुष्यों का शरीर और है, पशुओं का शरीर और है; पक्षियों का शरीर और है; मछिलयों का शरीर और है।
Ge1:20- फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।
Ge1:24- फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया।
Ge1:26- फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
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सब कुछ नया हो गया - 1Co15:40-44.
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●Perishable (नश्वर) > Imperishable (अनश्वर ) - 42.
●Dishonor(दीनहीन) > Glory (महिमान्वित) -43.
●Weakness (दुर्बल )> Power (शक्तिशाली ) - 43.
●Natural body (प्राकृत शरीर )> Spiritual body(आध्यात्मिक शरीर)-44
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Verse 40- स्वर्गीय देह है, और पार्थिव देह भी है: परन्तु स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और।
●हनोक (Enoch)-
मृत्यु मनुष्य के पाप के बुरे परिणामों में से एक है, और आदम से नूह तक सभी पीढ़ियों के वंशावली के इतिहास में "मृत्यु"
शब्द बार बार दोहराया गया है - ●Ge5:5,8,11,14,17,20-
5 और आदम की कुल अवस्था 930 वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया।
8 और शेत की कुल अवस्था 912 वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया।
11 और एनोश की कुल अवस्था 905 वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया।
14 और केनान की कुल अवस्था 910 वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया।
17 और महललेल की कुल अवस्था 895 वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया।
20 और येरेद की कुल अवस्था 962 वर्ष की हुई: तत्पश्चात वह मर गया।
●फिर भी हनोक की घटना भिन्न थी । वह एक ऐसा मनुष्य था जिसने परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संगति रखने में अपना जीवन बिताया था और ऐसी घनिष्ठता के कारण परमेश्वर ने हनोक को उसकी मृत्यु पूर्व ही उठा लिया -
●Ge5:22-24-
22 और मतूशेलह के जन्म के पश्चात हनोक 300 वर्ष तक परमेश्वर के साथ साथ चलता रहा, और उसके और भी बेटे बेटियां उत्पन्न हुईं।
23 और हनोक की कुल अवस्था 365 वर्ष की हुई।
24 और हनोक परमेश्वर के साथ साथ चलता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया।
●Heb11:5-
इस प्रकार परमेश्वर ने धर्मियों को आशा दी कि मृत्यु की प्रत्यक्ष विजय चिरस्थायी नहीं है।मृत्यु पर परमेश्वर का अधिकार है।
1000रों वर्षों के पश्चात्, जब यहूदी स्वर्ग में तथा बाद के जीवन में अधिक रुचि लेने लगे तब हनोक में उनकी रुचि बढ़ गई ।
एक अन्य हनोक का नाम भी है जो बाइबल के प्रारम्भिक इतिहास से सम्बन्धित है । वह कैन का पुत्र था -
●Ge4:17-18-
17 जब कैन अपनी पत्नी के पास गया जब वह गर्भवती हुई और हनोक को जन्मी, फिर कैन ने एक नगर बसाया और उस नगर का नाम अपने पुत्र के नाम पर हनोक रखा।
18 और हनोक से ईराद उत्पन्न हुआ, और ईराद ने महूयाएल को जन्म दिया, और महूयाएल ने मतूशाएल को, और मतूशाएल ने लेमेक को जन्म दिया।
Jude14- और हनोक ने भी जो आदम से सातवीं पीढ़ी में था, इन के विषय में यह भविष्यद्ववाणी की, कि देखो, प्रभु अपने लाखों पवित्रों के साथ आया।
Heb11:5- विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Lk3:37-
●एलिय्याह (Elijah)-
9 वीं शताब्दी ई.पू. के महान नबी ।यहूदी जनता का आम विश्वास था कि वह जीवित है और बीच-बीच में पृथ्वी पर लौटते हैं - ●Mt27:47-49-
47 जो वहां खड़े थे, उन में से कितनों ने यह सुनकर कहा, वह तो एलिय्याह को पुकारता है।
48 उन में से एक तुरन्त दौड़ा, और स्पंज लेकर सिरके में डुबोया, और सरकण्डे पर रखकर उसे चुसाया।
49 औरों ने कहा, रह जाओ, देखें, एलिय्याह उसे बचाने आता है कि नहीं।
और मसीह के आगमन की घोषणा करने के लिए लौटेंगे । यूहन्ना बपतिस्ता को एलिय्याह समझा जाने लगा क्योंकि उन्होंने मसीह के आगमन की घोषणा की ।
●एलिशा अन्त तक एलिय्याह के साथ रहा और इसी बीच उसने एलिय्याह की आत्मा को भी उत्तराधिकार में पा लिया -
●2Ki2:8-12-
8 तब एलिय्याह ने अपनी चद्दर पकड़ कर ऐंठ ली, और जल पर मारा, तब वह इधर उधर दो भाग हो गया; और वे दोनों स्थल ही स्थल पार उतर गए।
9 उनके पार पहुंचने पर एलिय्याह ने एलीशा से कहा, उस से पहिले कि मैं तेरे पास से उठा लिये जाऊं जो कुछ तू चाहे कि मैं तेरे लिये करूं वह मांग; एलीशा ने कहा, तुझ में जो आत्मा है, उसका दूना भाग मुझे मिल जाए।
10 एलिय्याह ने कहा, तू ने कठिन बात मांगी है, तौभी यदि तू मुझे उठा लिये जाने के बाद देखने पाए तो तेरे लिये ऐसा ही होगा; नहीं तो न होगा।
11 वे चलते चलते बातें कर रहे थे, कि अचानक एक अग्नि मय रथ और अग्निमय घोड़ों ने उन को अलग अलग किया, और एलिय्याह बवंडर में हो कर स्वर्ग पर चढ़ गया।
12 और उसे एलीशा देखता और पुकारता रहा, हाय मेरे पिता! हाय मेरे पिता! हाय इस्राएल के रथ और सवारो! जब वह उसको फिर देख न पड़ा, तब उसने अपने वस्त्र पाड़े और फाड़कर दो भाग कर दिए।
यहूदियों का विचार था कि मसीह के आने से पहिले एलिय्याह अवश्य आएगा -
●Mal4:5-6-
5 देखो, यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले, मैं तुम्हारे पास एलिय्याह नबी को भेजूंगा।
6 और वह माता पिता के मन को उनके पुत्रों की ओर, और पुत्रों के मन को उनके माता-पिता की ओर फेरेगा; ऐसा न हो कि मैं आकर पृथ्वी को सत्यानाश करूं।
●Mk6:15- और औरों ने कहा, यह एलिय्याह है, परन्तु औरों ने कहा, भविष्यद्वक्ता या भविष्यद्वक्ताओं में से किसी एक के समान है।
●Mk8:27-28-
27 यीशु और उसके चेले कैसरिया फिलिप्पी के गावों में चले गए: और मार्ग में उस ने अपने चेलों से पूछा कि लोग मुझे क्या कहते हैं?
28 उन्होंने उत्तर दिया, कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला; पर कोई कोई एलिय्याह; और कोई कोई भविष्यद्वक्ताओं में से एक भी कहते हैं।
प्रभु यीशु ने बतलाया कि यह एलिय्याह जो मसीह से पहिले आनेवाला था वह यूहन्ना बपतिस्ता था-
●Mt11:10-14-
10 यह वही है, जिस के विषय में लिखा है, कि देख; मैं अपने दूत को तेरे आगे भेजता हूं, जो तेरे आगे तेरा मार्ग तैयार करेगा।
11 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उन में से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उस से बड़ा है।
12 यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के दिनों से अब तक स्वर्ग के राज्य पर जोर होता रहा है, और बलवान उसे छीन लेते हैं।
13 यूहन्ना तक सारे भविष्यद्वक्ता और व्यवस्था भविष्यद्ववाणी करते रहे।
14 और चाहो तो मानो, एलिय्याह जो आनेवाला था, वह यही है।
●Mt17:10-13-
10 और उसके चेलों ने उस से पूछा, फिर शास्त्री क्यों कहते हैं, कि एलिय्याह का पहले आना अवश्य है?
11 उस ने उत्तर दिया, कि एलिय्याह तो आएगा: और सब कुछ सुधारेगा।
12 परन्तु मैं तुम से कहता हूं, कि एलिय्याह आ चुका; और उन्होंने उसे नहीं पहचाना; परन्तु जैसा चाहा वैसा ही उसके साथ किया: इसी रीति से मनुष्य का पुत्र भी उन के हाथ से दुख उठाएगा।
13 तब चेलों ने समझा कि उस ने हम से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के विषय में कहा है।
●Lk1:17-
17 वह एलिय्याह की आत्मा और सामर्थ में हो कर उसके आगे आगे चलेगा, कि पितरों का मन लड़के बालों की ओर फेर दे; और आज्ञा न मानने वालों को धमिर्यों की समझ पर लाए; और प्रभु के लिये एक योग्य प्रजा तैयार करे।
●एलिय्याह का इस पृथ्वी का जीवन तब समाप्त हुआ जबकि उसे एक आँधी स्वर्ग में उठा ले गई-
●2Ki2:11-
11 वे चलते चलते बातें कर रहे थे, कि अचानक एक अग्नि मय रथ और अग्निमय घोड़ों ने उन को अलग अलग किया, और एलिय्याह बवंडर में हो कर स्वर्ग पर चढ़ गया।
●यीशु के रूपान्तरण के अवसर पर -
यीशु के दिव्य-रुपान्तर के समय एलिय्याह
और मूसा दिखाई दिए जो यीशु से उसकी मृत्यु के बारे में बातें कर रहे थे और उसकी आनेवाली महिमा का कुछ भाग देख रहे थे। ये दो व्यक्ति जिनमें से एक व्यवस्था का देनेवाला और दूसरा महान नबी था। ये दोनों अपने अपने युग के लोगों के प्रतिनिधि थे। उनकी उपस्थिति इस बात का प्रतीक था कि जिसके बारे में व्यवस्था और नबियों ने कहा था कि वह आ गया है ।पुराने समय की सभी आशाएं यीशु मसीह में पूरी हो चुकी थी -
●Lk9:28-31-
28 इन बातों के कोई आठ दिन बाद वह पतरस और यूहन्ना और याकूब को साथ लेकर प्रार्थना करने के लिये पहाड़ पर गया।
29 जब वह प्रार्थना कर ही रहा था, तो उसके चेहरे का रूप बदल गया: और उसका वस्त्र श्वेत होकर चमकने लगा।
30 और देखो, मूसा और एलिय्याह, ये दो पुरूष उसके साथ बातें कर रहे थे।
31 ये महिमा सहित दिखाई दिए; और उसके मरने की चर्चा कर रहे थे, जो यरूशलेम में होनेवाला था।
●Mt17:3-4-
3 और देखो, मूसा और एलिय्याह उसके साथ बातें करते हुए उन्हें दिखाई दिए।
4 इस पर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, हमारा यहां रहना अच्छा है; इच्छा हो तो यहां तीन मण्डप बनाऊँ; एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।
●Php3:20-21-
20 पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने ही बाट जोह रहे हैं।
21 वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिस के द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।
●मूसा और एलिय्याह - "संहिता और नबी " यहूदियों के लिए उनको धर्म का सर्वस्व था -
● Lk16:29-
29 इब्राहीम ने उससे कहा, उन के पास तो मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं, वे उन की सुनें।
● मूसा "संहिता" के प्रतिनिधि है और एलिय्याह "नबियों" के । अब शिष्य समझ गये कि पर्वत -प्रवचन में किया हुआ यीशु का यह दावा निराधार नहीं है -- मैं संहिता और नबियों के लेखों को. ....रद्द करने नहीं, बल्कि पूरा करने आया हूँ ।
Mt5:17-
17 यह न समझो, कि मैं व्यवस्था था भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों को लोप करने आया हूं।
Php3:20-
20 पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने ही बाट जोह रहे हैं।
21 वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिस के द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।
Mt13:43- उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमकेंगे; जिस के कान हों वह सुन ले।
Verse 41- सूर्य का तेज और है, चाँद का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)।
Da12:3- तब सिखाने वालों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा की नाईं प्रकाशमान रहेंगे।
Mt13:43- उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमकेंगे; जिस के कान हों वह सुन ले।
1Co15:58- सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।
Verse 42- मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।
●यह मृतकों का शरीर है । पवित्रता के आधार पर वैभव और महिमा के अधीन विभिन्न स्तरों पर उनकी आत्माएँ पायी जाती है ।इसके 07 स्तर निम्नवत् है :-
1.The Just - जो पवित्र वाचा को पालन करता है और किसी भी तरह के बुराइयों की अधीनता स्वीकार नहीं करता है उसे परमेश्वर की आशीष प्राप्त होता है ।
2.The Upright - ईमानदार /न्यायी - जो परमेश्वर के मार्ग पर चलना आनन्द और आदर की बात समझता है ।
3.The Perfect - जो एकता के साथ परमेश्वर के मार्ग में चलता है और उसके व्यवस्था के अनुसार कौतूहल पूर्वक जिज्ञासा नहीं रखता है ।
4.The Holy Onesपवित्र का - Ps16:3-
1 हे ईश्वर मेरी रक्षा कर, क्योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूं।
2 मैं ने परमेश्वर से कहा है, कि तू ही मेरा प्रभु है; तेरे सिवाए मेरी भलाई कहीं नहीं।
3 पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं, वे ही आदर के योग्य हैं, और उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूं।
5. पश्चातापी मनुष्य जो अपनी बेर्शमीपन का दीवार तोड़कर प्रभु की ओर अभिमुख होता है ।
6. जो मनुष्य, कुछ भी गुनाह, अपराध, अवहेलना नहीं किया है ।
7 . ईश्वरीय गुण जो हमारे मन अन्तरात्मा में है वह हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति का कारक बनने पाये।
Verse 43- वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ्य के साथ जी उठता है।
■अनादर से महिमा (तेज) तक -
●परमेश्वर अपने हाथों से प्रकृति की रचना की है वह भययक्त और विचित्रता से भरा है ताकि परमेश्वर की महिमा हो और पाप के कारण परमेश्वर ने मृत्यु और विनाश को भेजा हुआ है ।यह अनादर की स्थिति को निर्मित करता है ।
●महिमान्वित शरीर जी उठता है क्योंकि मृत्यु के बन्धनों से पापमुक्त होकर हमेशा के लिए अमरता प्राप्त करता है ।
■निर्बलता से सामर्थ्य तक -
●जब विघटन,नैतिक पतन और नाशमान का सिध्दान्त प्रबल होता है तो बीमारियाँ
भूमि में गड्ढा खोदने लगता है और मृत्यु उन्हें अपना शिकार बना लेता है ।
●निर्बलता का देनदारी किसी भी प्रकार के श्रम , क्षय/नष्ट के द्वारा ; आयु, बर्बादी के द्वारा ; रोग के द्वारा; विसर्जन, मृत्यु के द्वारा नहीं होता।
Verse 44- स्वाभाविक देह बोई जाती है,और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।
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जीवन की दो पहलू - 1Co15:45-49.
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● आदम ● यीशु मसीह
1.प्रथम आदम --- अन्तिम आदम
2.एक जीवन्त प्राणी बन गया । --- एक जीवनदायक आत्मा बन गया।
3.पहला प्राकृत --- दूसरा आध्यात्मिक
4.पहला पृथ्वी का --- दूसरा स्वर्ग का
5.पार्थिव --- स्वर्गीय
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Verse 45-.ऐसा ही लिखा भी है, कि प्रथम मनुष्य, अर्थात आदम, जीवित प्राणी बना और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना।
Ge2:7-
7 और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।
Ge1:2- और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था।
Jn1:4 - उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी।
Verse 46- परन्तु पहिले आत्मिक न था, पर स्वाभाविक था, इस के बाद आत्मिक हुआ।
Verse 47- प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है।
Ge2:7- और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया।
Verse 48- जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही और मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्वर्गीय है, वैसे ही और भी स्वर्गीय हैं।
Verse 49- और जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।
Ro5:14-19-
14 तौभी आदम से लेकर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया।
15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ।
16 और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही के कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुतेरे अपराधों से ऐसा वरदान उत्पन्न हुआ, कि लोग धर्मी ठहरे।
17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कारण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।
18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ।
19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।
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मृतकों का पुनरुत्थान (Resurrection of the dead)
1.भलाई और बुराई के दण्ड के लिए -
●1.Da12:2-
2 और जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उनमें से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये।
●2.Jn5:28-29-
28 इससे अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।
29 जिन्होंने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्होंने बुराई की है वे दंड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे।
●3.Ro2:6-16-
6 वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
7 जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्हें वह अनन्त जीवन देगा।
8 पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, वरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।
9 और क्लेश और संकट हर एक मनुष्य के प्राण पर जो बुरा करता है आएगा, पहिले यहूदी पर फिर यूनानी पर।
10 पर महिमा और आदर और कल्याण हर एक को मिलेगा, जो भला करता है, पहिले यहूदी को फिर यूनानी को।
11 क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता।
12 इसलिये कि जिन्होंने बिना व्यवस्था पाए पाप किया, वे बिना व्यवस्था के नाश भी होंगे, और जिन्होंने व्यवस्था पाकर पाप किया, उनका दण्ड व्यवस्था के अनुसार होगा।
13 क्योंकि परमेश्वर के यहां व्यवस्था के सुनने वाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलने वाले धर्मी ठहराए जाएंगे।
14 फिर जब अन्यजाति लोग जिनके पास व्यवस्था नहीं, स्वभाव ही से व्यवस्था की बातों पर चलते हैं, तो व्यवस्था उनके पास न होने पर भी वे अपने लिये आप ही व्यवस्था हैं।
15 वे व्यवस्था की बातें अपने अपने हृदयों में लिखी हुई दिखते हैं और उनके विवेक भी गवाही देते हैं, और उनकी चिन्ताएं परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती है।
16 जिस दिन परमेश्वर मेरे सुसमाचार के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा मनुष्यों की गुप्त बातों का न्याय करेगा॥
●4.2Th1:6-10-
6 क्योंकि परमेश्वर के निकट यह न्याय है, कि जो तुम्हें क्लेश देते हैं, उन्हें बदले में क्लेश दे।
7 और तुम्हें जो क्लेश पाते हो, हमारे साथ चैन दे; उस समय जब कि प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रगट होगा।
8 और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा।
9 वे प्रभु के साम्हने से, और उसकी शक्ति के तेज से दूर होकर अनन्त विनाश का दण्ड पाएंगे।
10 यह उस दिन होगा, जब वह अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने, और सब विश्वास करने वालों में आश्चर्य का कारण होने को आएगा; क्योंकि तुमने हमारी गवाही की प्रतीति की।
पुनरुत्थित शरीर का गुण/स्वभाव -
1Co15:53-54-
53 क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।
54 और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया।
Phil3:21- वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिस के द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।
मृतकों का सदेह जी उठना -
1Co15:42-44-
42 मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।
43 वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है।
44 स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।
पुनर्जीवित शरीर का स्वभाव -
●1Co15:44-
44 स्वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।
●1Co15:54-
54 और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया।
●Phil3:21-
21 वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिस के द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।
●Rev21:4-
4 और वह उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।
मसीह का पुनरुत्थान उनके निज लोगों के लिए सान्त्वना और उदाहरण -
● Ro8:23-
23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
●1Co15:21-22-
21 क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया।
22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे।
●1Thess4:14-
14 क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।
●1Co6:15-
15 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं? सो क्या मैं मसीह के अंग लेकर उन्हें वेश्या के अंग बनाऊं? कदापि नहीं।
●Ro8:11-
11 और यदि उसीका आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुममें बसा हुआ है; तो जिस ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा।
●Ro14:9-
9 क्योंकि मसीह इसीलिये मरा और जी भी उठा कि वह मरे हुओं और जीवतों, दोनों का प्रभु हो।
●1Jn3:2-
2 हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है। ●1Co15:49-
49 और जैसे हमने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।
●Phil3:21-
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यीशु मसीह का पुनरुत्थान (Resurrection of Christ )
■1Co15:14-
14 और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है।
■Ps16:9-10-
9 इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।
10 क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।
■Ac2:24-28-
24 परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।
25 क्योंकि दाऊद उसके विषय में कहता है, कि मैं प्रभु को सर्वदा अपने साम्हने देखता रहा क्योंकि वह मेरी दाहिनी ओर है, ताकि मैं डिग न जाऊं।
26 इसी कारण मेरा मन आनन्द हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई; वरन मेरा शरीर भी आशा में बसा रहेगा।
27 क्योंकि तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा; और न अपने पवित्र जन को सड़ने ही देगा!
28 तू ने मुझे जीवन का मार्ग बताया है; तू मुझे अपने दर्शन के द्वारा आनन्द से भर देगा।
■Mt20:19 -
19 और उस को अन्यजातियों के हाथ सोंपेंगे, कि वे उसे ठट्ठों में उड़ाएं, और कोड़े मारें, और क्रूस पर चढ़ाएं, और वह तीसरे दिन जिलाया जाएगा।
■Mk9:9 -
9 पहाड़ से उतरते हुए, उस ने उन्हें आज्ञा दी, कि जब तक मनुष्य का पुत्र मरे हुओं में से जी न उठे, तब तक जो कुछ तुम ने देखा है वह किसी से न कहना।
■Mk14:28-
28 परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहिले गलील को जाऊंगा।
■Lk18:33-
33 और उसे कोड़े मारेंगे, और घात करेंगे, और वह तीसरे दिन जी उठेगा।
■Jn2:19-22-
19 यीशु ने उन को उत्तर दिया; कि इस मन्दिर को ढा दो, और मैं उसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा।
20 यहूदियों ने कहा; इस मन्दिर के बनाने में छियालीस वर्ष लगे हें, और क्या तू उसे तीन दिन में खड़ा कर देगा?
21 परन्तु उस ने अपनी देह के मन्दिर के विषय में कहा था।
22 सो जब वह मुर्दों में से जी उठा तो उसके चेलों को स्मरण आया, कि उस ने यह कहा था; और उन्होंने पवित्र शास्त्र और उस वचन की जो यीशु ने कहा था, प्रतीति की।
हमारे पुनरुत्थित प्रभु मसीह यीशु का 10 बार विभिन्न प्रगटीकरण -
l● मरियम मगदलीनी को कब्र के पास दर्शन-
(1)Jn20:11-18-
11 परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोते रोते कब्र की ओर झुककर,
12 दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी।
13 उन्होंने उस से कहा, हे नारी, तू क्यों रोती है? उस ने उन से कहा, वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती कि उसे कहां रखा है।
14 यह कहकर वह पीछे फिरी और यीशु को खड़े देखा और न पहचाना कि यह यीशु है।
15 यीशु ने उस से कहा, हे नारी तू क्यों रोती है? किस को ढूंढ़ती है? उस ने माली समझकर उस से कहा, हे महाराज, यदि तू ने उसे उठा लिया है तो मुझ से कह कि उसे कहां रखा है और मैं उसे ले जाऊंगी।
16 यीशु ने उस से कहा, मरियम! उस ने पीछे फिरकर उस से इब्रानी में कहा, रब्बूनी अर्थात हे गुरू।
17 यीशु ने उस से कहा, मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के पास जाकर उन से कह दे, कि मैं अपने पिता, और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं।
18 मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया, कि मैं ने प्रभु को देखा और उस ने मुझ से ये बातें कहीं।
(2)Mk16:9-11-
9 सप्ताह के पहिले दिन भोर होते ही वह जी उठ कर पहिले पहिल मरियम मगदलीनी को जिस में से उस ने सात दुष्टात्माएं निकाली थीं, दिखाई दिया।
10 उस ने जाकर उसके साथियों को जो शोक में डूबे हुए थे और रो रहे थे, समाचार दिया।
11 और उन्होंने यह सुनकर की वह जीवित है, और उस ने उसे देखा है प्रतीति न की।
ll● अन्य नारियाँ मरियम मगदलीनी, यूहन्ना और याकूब की माता मरियम कब्र से लौटते समय दिखाई दिया -
(1)Mt28:1-10-
1 सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहिले दिन पह फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं।
2 और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ, क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा, और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया, और उस पर बैठ गया।
3 उसका रूप बिजली का सा और उसका वस्त्र पाले की नाईं उज्ज़्वल था।
4 उसके भय से पहरूए कांप उठे, और मृतक समान हो गए।
5 स्वर्गदूत ने स्त्र्यिों से कहा, कि तुम मत डरो: मै जानता हूँ कि तुम यीशु को जो क्रुस पर चढ़ाया गया था ढूंढ़ती हो।
6 वह यहाँ नहीं है, परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है; आओ, यह स्थान देखो, जहाँ प्रभु पड़ा था।
7 और शीघ्र जाकर उसके चेलों से कहो, कि वह मृतकों में से जी उठा है; और देखो वह तुम से पहिले गलील को जाता है, वहाँ उसका दर्शन पाओगे, देखो, मैं ने तुम से कह दिया।
8 और वे भय और बड़े आनन्द के साथ कब्र से शीघ्र लौटकर उसके चेलों को समाचार देने के लिये दौड़ गई।
9 और देखो, यीशु उन्हें मिला और कहा; ‘सलाम’और उन्होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उस को दणडवत किया।
10 तब यीशु ने उन से कहा, मत डरो; मेरे भाईयों से जाकर कहो, कि गलील को चलें जाएं वहाँ मुझे देखेंगे।
(2)Mk16:1-8-
1 जब सब्त का दिन बीत गया, तो मरियम मगदलीनी और याकूब की माता मरियम और शलोमी ने सुगन्धित वस्तुएं मोल लीं, कि आकर उस पर मलें।
2 और सप्ताह के पहिले दिन बड़ी भोर, जब सूरज निकला ही था, वे कब्र पर आईं।
3 और आपस में कहती थीं, कि हमारे लिये कब्र के द्वार पर से पत्थर कौन लुढ़ाएगा?
4 जब उन्होंने आंख उठाई, तो देखा कि पत्थर लुढ़का हुआ है! क्योंकि वह बहुत ही बड़ा था।
5 और कब्र के भीतर जाकर, उन्होंने एक जवान को श्वेत वस्त्र पहिने हुए दाहिनी ओर बैठे देखा, और बहुत चकित हुईं।
6 उस ने उन से कहा, चकित मत हो, तुम यीशु नासरी को, जो क्रूस पर चढ़ाया गया था, ढूंढ़ती हो: वह जी उठा है; यहां नहीं है; देखो, यही वह स्थान है, जहां उन्होंने उसे रखा था।
7 परन्तु तुम जाओ, और उसके चेलों और पतरस से कहो, कि वह तुम से पहिले गलील को जाएगा; जैसा उस ने तुम से कहा था, तुम वहीं उसे देखोगे।
8 और वे निकलकर कब्र से भाग गईं; क्योंकि कपकपी और घबराहट उन पर छा गई थीं और उन्होंने किसी से कुछ न कहा, क्योंकि डरती थीं।
(3)Lk24:1-11-
1 परन्तु सप्ताह के पहिले दिन बड़े भोर को वे उन सुगन्धित वस्तुओं को जो उन्होंने तैयार की थीं, ले कर कब्र पर आईं।
2 और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया।
3 और भीतर जाकर प्रभु यीशु की लोथ न पाई।
4 जब वे इस बात से भौचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए।
5 जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुंह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उन ने कहा; तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढ़ती हो?
6 वह यहां नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उस ने गलील में रहते हुए तुम से कहा था।
7 कि अवश्य है, कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए; और तीसरे दिन जी उठे।
8 तब उस की बातें उन को स्मरण आईं।
9 और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और, और सब को, ये बातें कह सुनाईं।
10 जिन्हों ने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उन के साथ की और स्त्रियां भी थीं।
11 परन्तु उन की बातें उन्हें कहानी सी समझ पड़ीं, और उन्होंने उन की प्रतीति न की।
III● शमौन पतरस को पुनरुत्थान के दिन दिखाई दिया -
(1)Lk24:34-
34 वे कहते थे, प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है।
(2)1Co15:5-
5 और कैफा को तब बारहों को दिखाई दिया।
IV● इम्माऊस गाँव जाने वाले मार्ग पर 02 जन(शिष्यों) को पुनरुत्थान के दिन दर्शन -
(1)Lk24:13-35-
13 देखो, उसी दिन उन में से दो जन इम्माऊस नाम एक गांव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था।
14 और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे।
15 और जब वे आपस में बातचीत और पूछताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उन के साथ हो लिया।
16 परन्तु उन की आंखे ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहिचान न सके।
17 उस ने उन से पूछा; ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते चलते आपस में करते हो? वे उदास से खड़े रह गए।
18 यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नाम एक व्यक्ति ने कहा; क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उस में क्या क्या हुआ है?
19 उस ने उन से पूछा; कौन सी बातें? उन्होंने उस से कहा; यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था। 20 और महायाजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया।
21 परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्त्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है।
22 और हम में से कई स्त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं।
23 और जब उस की लोथ न पाई, तो यह कहती हुई आईं, कि हम ने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्हों ने कहा कि वह जीवित है।
24 तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उस को न देखा।
25 तब उस ने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों!
26 क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे?
27 तब उस ने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्र शास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।
28 इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।
29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है। तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया।
30 जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उस ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।
31 तब उन की आंखे खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया।
32 उन्होंने आपस में कहा; जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्र शास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?
33 वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उन के साथियों को इकट्ठे पाया।
34 वे कहते थे, प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है।
35 तब उन्होंने मार्ग की बातें उन्हें बता दीं और यह भी कि उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय क्योंकर पहचाना।
(2)Mk16:12-13-
12 इस के बाद वह दूसरे रूप में उन में से दो को जब वे गांव की ओर जा रहे थे, दिखाई दिया।
13 उन्होंने भी जाकर औरों को समाचार दिया, परन्तु उन्होंने उन की भी प्रतीति न की।
V● 11 प्रेरितों(थोमा (दिदुमुस) की अनुपस्थिति में) व अन्य लोग जो यरुशलेम में पुनरुत्थान के दिन सन्ध्या के समय मौजूद थे -
Jn20:19-24-
19 उसी दिन जो सप्ताह का पहिला दिन था, सन्ध्या के समय जब वहां के द्वार जहां चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले।
20 और यह कहकर उस ने अपना हाथ और अपना पंजर उन को दिखाए: तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए।
21 यीशु ने फिर उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूं।
22 यह कहकर उस ने उन पर फूंका और उन से कहा, पवित्र आत्मा लो।
23 जिन के पाप तुम क्षमा करो वे उन के लिये क्षमा किए गए हैं जिन के तुम रखो, वे रखे गए हैं॥
24 परन्तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तो उन के साथ न था।
VI● प्रेरितों (थोमा (दिदुमुस) की उपस्थिति में ) को द्वितीय दर्शन -
(1)Mt16:14-18-
14 उन्होंने कहा, कितने तो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला कहते हैं और कितने एलिय्याह, और कितने यिर्मयाह या भविष्यद्वक्ताओं में से कोई एक कहते हैं।
15 उस ने उन से कहा; परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?
16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।
17 यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि हे शमौन योना के पुत्र, तू धन्य है; क्योंकि मांस और लोहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है।
18 और मैं भी तुझ से कहता हूं, कि तू पतरस है; और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।
(2)Lk24:33-40-
33 वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उन के साथियों को इकट्ठे पाया।
34 वे कहते थे, प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है।
35 तब उन्होंने मार्ग की बातें उन्हें बता दीं और यह भी कि उन्होंने उसे रोटी तोड़ते समय क्योंकर पहचाना॥
36 वे ये बातें कह ही रहे ये, कि वह आप ही उन के बीच में आ खड़ा हुआ; और उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले।
37 परन्तु वे घबरा गए, और डर गए, और समझे, कि हम किसी भूत को देखते हैं।
38 उस ने उन से कहा; क्यों घबराते हो और तुम्हारे मन में क्यों सन्देह उठते हैं?
39 मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वहीं हूं; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।
40 यह कहकर उस ने उन्हें अपने हाथ पांव दिखाए।
(3)Jn20:26-28-
26 आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था, और द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा, तुम्हें शान्ति मिले। 27 तब उस ने थोमा से कहा, अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।
28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर।
(4)1Co15:5-
5 और कैफा को तब बारहों को दिखाई दिया।
VII● तिबिरियास के समुद्र तट पर शिष्यों को तीसरी बार दर्शन दिए -
Jn21:1-14-
1 इन बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियास झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया और इस रीति से प्रगट किया।
2 शमौन पतरस और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, और गलील के काना नगर का नतनएल और जब्दी के पुत्र, और उसके चेलों में से दो और जन इकट्ठे थे।
3 शमौन पतरस ने उन से कहा, मैं मछली पकड़ने को जाता हूं: उन्होंने उस से कहा, हम भी तेरे साथ चलते हैं: सो वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा।
4 भोर होते ही यीशु किनारे पर खड़ा हुआ; तौभी चेलों ने न पहचाना कि यह यीशु है।
5 तब यीशु ने उन से कहा, हे बाल को, क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है? उन्होंने उत्तर दिया कि नहीं।
6 उस ने उन से कहा, नाव की दाहनी ओर जाल डालो, तो पाओगे, तब उन्होंने जाल डाला, और अब मछिलयों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके।
7 इसलिये उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, यह तो प्रभु है: शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा।
8 परन्तु और चेले डोंगी पर मछिलयों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, कोई दो सौ हाथ पर थे।
9 जब किनारे पर उतरे, तो उन्होंने कोएले की आग, और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी।
10 यीशु ने उन से कहा, जो मछिलयां तुम ने अभी पकड़ी हैं, उन में से कुछ लाओ।
11 शमौन पतरस ने डोंगी पर चढ़कर एक सौ तिर्पन बड़ी मछिलयों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा, और इतनी मछिलयां होने से भी जाल न फटा।
12 यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है।
13 यीशु आया, और रोटी लेकर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी।
14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए।
VIII●11 शिष्यों और एक ही समय 500 से अधिक भाईयों को गलील में दिखाई दिए -
(1)1Co15:6-
6 फिर पांच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिन में से बहुतेरे अब तक वर्तमान हैं पर कितने सो गए।
(2)Mt28:16-20-
16 और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था।
17 और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्देह हुआ।
18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।
19 इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।
20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।
IX● याकूब और सब प्रेरितों को दिखाई दिये-
1Co15:7-
7 फिर याकूब को दिखाई दिया तब सब प्रेरितों को दिखाई दिया।
X● यीशु शिष्यों के देखते देखते स्वर्ग पर आरोहित कर लिए गए -
(1)Mk16:19-
19 निदान प्रभु यीशु उन से बातें करने के बाद स्वर्ग पर उठा लिया गया, और परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया।
(2)Lk24:50-52-
50 तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी।
51 और उन्हें आशीष देते हुए वह उन से अलग हो गया और स्वर्ग से उठा लिया गया।
52 और वे उस को दण्डवत करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए।
(3)Ac1:6-11-
6 सो उन्हों ने इकट्ठे होकर उस से पूछा, कि हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्त्राएल को राज्य फेर देगा?
7 उस ने उन से कहा; उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं।
8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।
9 यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया।
10 और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तो देखो, दो पुरूष श्वेत वस्त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए।
11 और कहने लगे; हे गलीली पुरूषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।
●यीशु ने उनसे आमने- सामने बातचीत की और वे उन्हें छुए -
●Mt28:9-
9 और देखो, यीशु उन्हें मिला और कहा; ‘सलाम’और उन्होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उस को दणडवत किया।
●Lk24:39-
39 मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वहीं हूं; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।
●Jn20:27-
27 तब उस ने थोमा से कहा, अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो।
●यीशु ने शिष्यों के साथ खाया-पीया -
Lk24:42-43 -
42 उन्होंने उसे भूनी मछली का टुकड़ा दिया।
43 उसने लेकर उनके साम्हने खाया।
●Jn21:12-13-
12 यीशु ने उनसे कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उससे पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है।
13 यीशु आया, और रोटी लेकर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी।
● पुनरुत्थान के बारे में बतलाया गया है -
1.पिता परमेश्वर -
●Ps16:10-
10 क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।
●Ac2:24-
24 परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया ; क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।
●Ac3:15-
15 और तुमने जीवन के कर्ता को मार डाला, जिसे परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया; और इस बात के हम गवाह हैं।
●Ro8:11-
11 और यदि उसीका आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुममें बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुममें बसा हुआ है जिलाएगा।
●Eph1:20-
20 जो उसने मसीह के विषय में किया, कि उसको मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्थानों में अपनी दाहिनी ओर।
●Col2:12-
12 और उसी के साथ बपतिस्मा में गाड़े गए, और उसी में परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास करके, जिसने उसको मरे हुओं में से जिलाया, उसके साथ जी भी उठे।
●Heb13:20-
20 अब शान्तिदाता परमेश्वर जो हमारे प्रभु यीशु को जो भेड़ों का महान रखवाला है सनातन वाचा के लोहू के गुण से मरे हुओं में से जिला कर ले आया।
2. यीशु मसीह स्वयं अपने बारे में कहते हैं - ●Jn2:19-
19 यीशु ने उन को उत्तर दिया; कि इस मन्दिर को ढा दो, और मैं उसे तीन दिन में खड़ा कर दूंगा।
●Jn10:18-
18 कोई उसे मुझसे छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूं: मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है: यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है।
3.पवित्र आत्मा -
●1Pe3:18-
18 इसलिये कि मसीह ने भी, अर्थात अधर्मियों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया, ताकि हमें परमेश्वर के पास पहुँचाए: वह शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।
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