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क्रुस पर यीशु मसीह के दायें-बायें दो कुकर्मी
-Lk23:39-43-
39 जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा, "क्या तू मसीह नहीं ? तो फिर अपने आप को और हमें बचा।"
40 इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, "क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है,
41 और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया।"
42 तब उसने कहा, "हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।"
43 उसने उससे कहा, "मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।"
-Luke 23 : 39-43 -
39 One of the criminals who hung there hurled insults at him: “Aren’t you the Messiah? Save yourself and us!”
40 But the other criminal rebuked him. “Don’t you fear God,” he said, “since you are under the same sentence?
41 We are punished justly, for we are getting what our deeds deserve. But this man has done nothing wrong.”
42 Then he said, “Jesus, remember me when you come into your kingdom.”
43 Jesus answered him, “Truly I tell you, today you will be with me in paradise.” |
वचनों का व्याख्यान |
2.दो कुकर्मियों/डाकुओं का चरित्र-चित्रण - |
प्रस्तावना :--
- बाइबल के शोधकर्ता वैज्ञानिकों के अनुसार 3 April 33 AD में यीशु का क्रूस बलिदान का एक ऐतिहासिक घटना घटित हुआ । यरूशलेम के निकट, उत्तरी फाटक के पास का वह स्थान जो " Golgotha" (in Aramaic) पहाड़ अर्थात् "खोपड़ी का जगह" (Place of Skull) कहलाता है। चौथवीं ( 04) शताब्दी से इस स्थान को "Calvary" (in Latin) के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ पर यीशु को "क्रूस -आरोपण" किया गया।यीशु के दायें और बायें में एक एक डाकू लटकाए गए थे । आइए, इस घटनाक्रम पर दृष्टिगत रखते हए वचनों पर चिंतन व मनन करें।l
✔Lk23:39-
39 जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्दा करके कहा, "क्या तू मसीह नहीं ? तो फिर अपने आप को और हमें बचा।" |
दो कुकर्मी/अपराधी का गुनाह -
यीशु के दायें और बायें लटकाए गए दोनों अपराधी Jerusalem - Jericho Highway पर राहगीरों से लूट -पाट व मारपीट और चोरी - डकैती किया करते थे। जिसके कारण यात्रियों में भय, दहशत तथा आतंक (terror) फैला हुआ था ।
- इन्होंने ही एक यात्री को लूट व मारपीट कर अधमरा छोड़ दिया था । कई राहगीर उस मार्ग से गुजरे ; पर किसी ने भी उस व्यक्ति की सहायता / परवाह नहीं किया। एक भला सामरी यात्री ने उस घायल व्यक्ति का मदद किया और उनका सेवा- शुश्रूषा किया था ।यीशु ने एक भले सामरी का दृष्टांत सुनाया था --
Lk10:29-37.
- और सामाजिक/धार्मिक स्थानों में दंगा-फसाद , बलवा और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में भी शामिल थे।
- Mt.27:38;
Mk.15:27. में इन अपराधियों को डाकू व लूटेरे भी कहा गया है । जिसके कारण इन अपराधियों को यीशु के साथ क्रूस पर लटकाए गए थे । |
निन्दक कुकर्मी (Criminal)-
✔ क्या तू मसीह नहीं ? -----हाँ ।
किन्तु एक कुकर्मी द्वारा यीशु का निन्दा कर अपमान व उपहास करने लगा।जैसा कि Lk23:35-38 .पद में वर्णित है ।
(a) रोमी साम्राज्य के राज्यपाल
(b) महायाजक -
(c) महासभा के अध्यक्ष और पदाधिकारी तथा सिपाही
(d) सरदार (Ruler)
(e) जनता
के द्वारा भी अपमान किया गया। |
कुकर्मी, यह भली-भांति जानता था कि यीशु में चंगाई करने की अदभुत सामर्थ्य है। यीशु अपने सेवकाई के दौरान बहुत से चमत्कारी कार्य लोगों को दिखलाया ।
(a) नाना प्रकार के रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को चंगाई दी-
(b) अन्धों को दृष्टि दान प्रदान किया और लंगड़ों को चलने - फिरने का सामर्थ्य व बल दिया।
(c) अपदूतग्रस रोगियों के दुष्टात्माओं को निकाला ।
(d) मृतकों को जिलाया-
(e) यीशु के ऐसे चमत्कारिक कार्यों को देखने और सुनने के बावजूद भी वह कुकर्मी अपने ह्रदय में यीशु के प्रति विश्वास नहीं ला पाया । क्योंकि कुकर्मी के मन में विश्वास का अभाव था और यीशु को मसीह मानने पर संदेह किया । |
इसलिये उसने यीशु का निन्दा करके कहा " क्या तू मसीह नहीं ? तो फिर अपने आप को और हमें बचा ।" |
मसीह (ख्रीष्ट ) का तात्पर्य -
✔एक इब्रानी(अरामेइक) शब्द मा- शी- अह, जिसका अर्थ है -- अभ्यंजित ( अभिषिक्त ) |
✔o बाइबल के पूर्वार्ध अर्थात् पुराना नियम में परमेश्वर ने पाप के कारण मनुष्यों की दुर्गति देखकर पृथ्वी पर एक मसीह को भेजने की प्रतिज्ञा की । oमसीह मनुष्यों को पापों से मुक्त करेंगे और स्वर्ग का राज्य स्थापित करेंगे, दाऊद के वंश में उत्पन्न होंगे और इस्राएल के राजा कहलायेंगे ।
✔o बाइबल के उत्तरार्ध अर्थात् नया नियम में यीशु को वही मसीह माना गया है। |
-- सुसमाचारों में --
-Mt1:1-
-Mt1:16-18-
->16 और याकूब से यूसुफ उत्पन्न हुआ; जो मरियम का पति था जिस से यीशु जो मसीह कहलाता है उत्पन्न हुआ॥
17 इब्राहीम से दाऊद तक सब चौदह पीढ़ी हुई और दाऊद से बाबुल को बन्दी होकर पहुंचाए जाने तक चौदह पीढ़ी और बन्दी होकर बाबुल को पहुंचाए जाने के समय से लेकर मसीह तक चौदह पीढ़ी हुई॥
18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई।
->Mk1:1-
1 परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह के सुसमाचार का आरम्भ।
-Lk11:11-
-Jn1:17 -
संहिता तो मूसा के द्वारा दी गयी है, किन्तु अनुग्रह और सत्य यीशु मसीह द्वारा मिला है ।
-Jn1:41, 45-
-Jn11:27-
Jn20:31 -
इनका ही विवरण दिया गया है, जिससे तुम विश्वास करो कि यीशु ही मसीह, परमेश्वर के पुत्र हैं और विश्वास करने से उनके नाम द्वारा जीवन प्राप्त करो।
--पतरस का विश्वास --
->Mt16:16-
16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है।
- मसीह "आने वाले "-
Mt11:3. या प्रभु के नाम पर आने वाले भी कहलाते हैं -
Mt21:9. |
यीशु का मसीह होने का संदेह -
✔Mt27:44-
44 इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उस की निन्दा करते थे॥
✔Mk15:32-
32 इस्राएल का राजा मसीह अब क्रूस पर से उतर आए कि हम देखकर विश्वास करें: और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उस की निन्दा करते थे॥ |
Lk23:40-41-
- पश्चातापी कुकर्मी -
पश्चातापी कुकर्मी अपने अपराधों व गुनाहों को यीशु मसीह के सम्मुख मान लिया कि --
1. Christ's Deity - मसीह ही परमेश्वर है ।यीशु का ईश्वरत्व (ईश्वरीय गुण) को मान लिया।
2. Christ's Humanity - मसीह का मानवता(मानवीय गुण ) को स्वीकार किया ।
3 . Christ's Sinless Perfection - मसीह का निष्कलंकता व पवित्रता को स्वीकार किया । यीशु मसीह का पूर्णतया निर्दोष/निष्पाप /बेगुनाह /पापमुक्त होने को मान लिया ।
4 . Christ's Lordship - मसीह का प्रभुत्व/ आधिपत्य / स्वामित्व को स्वीकार किया ।
5 . Christ's Kingship - मसीह को "इस्राएल का राजा"(यहूदियों का राजा) होने को स्वीकार किया।
6 . Christ's Redeeming Qualities- मसीह में निहित पाप- मुक्ति अर्थात् अपराधों की क्षमा के गुणों के अधिकार को स्वीकार किया ।
✔Lk23:42-
42 तब उसने कहा, "हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।"
6. Christ's Redeeming Qualities - मसीह का पाप- मुक्ति के अधिकार स्वीकार किया । |
क्रूस पर लटकाए गए पश्चातापी कुकर्मी का अदभुत विशेषता यह रहा कि उसने अपने अपराधों को मानकर मन फिराया और यीशु पर विश्वास किया था कि यीशु ही मसीह है - जो आने वाला था। वही हमारा उध्दारक और मुक्तिदाता है - स्वीकार किया। |
यीशु का अपराध/गुनाह --
---> यहूदियों ने यीशु को इसलिए प्राणदण्ड दिलाया कि उन्होंने परमेश्वर का पुत्र होने का दावा किया ।
-- Jn19:7--
7 यहूदियों ने उस को उत्तर दिया, कि हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उस ने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र बनाया।
---> और मनुष्य होकर भी अपने को परमेश्वर माना ।
o Jn10:33--
33 यहूदियों ने उस को उत्तर दिया, कि भले काम के लिये हम तुझे पत्थरवाह नहीं करते, परन्तु परमेश्वर की निन्दा के कारण और इसलिये कि तू मनुष्य होकर अपने आप को परमेश्वर बनाता है। |
Lk23:43-
43 उसने उससे कहा, "मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।"
43 Jesus answered him, “Truly I tell you, today you will be with me in paradise.” |
"Paradise " (स्वर्गलोक )
-> Death (मृत्यु )
मनुष्य के अस्तित्व की यह पहली स्थिति मृत्यु पश्चात समाप्त हो जाती है , जबकि देह कब्र / मिट्ठी में चली जाती है तथा आत्मा अधोलोक में चली जाती है । मृत्यु अगले जीवन में प्रवेश करने का द्वार है ।
धर्मी और अधर्मी मनुष्य की मृत्यु -
1-Body (शरीर ) = क्रब
2-Soul (आत्मा ) = अधोलोक |
-> Sheol/Hades ( अधोलोक ) (the unseen world) देह रहित आत्माओं के निवास स्थान है । यहाँ सभी आत्माएँ अपने अपने होश में रहती है । धर्मी स्वर्गलोक में आनन्दित हैं ता अधर्मी पीड़ा जनक स्थान में तड़प रहे हैं ।
1- "Paradise " (स्वर्गलोक )
- "Great Gulf" (गहरा गड्ढा )
2- "Tartarus" (पीड़ा जनक स्थान ) |
->Final Judgement -
1- Heaven (स्वर्ग )
- अनन्त जीवन
2- Hell/Gehenna (नरक) (the place of permanent punishment )
- अनन्त मृत्यु - Second Death - |
-Ge2:8- 8 और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक वाटिका लगाई; और वहां आदम को जिसे उसने रचा था, रख दिया।
-Ge13:10- 10 तब लूत ने आंख उठा कर, यरदन नदी के पास वाली सारी तराई को देखा, कि वह सब सिंची हुई है। जब तक यहोवा ने सदोम और अमोरा को नाश न किया था, तब तक सोअर के मार्ग तक वह तराई यहोवा की बाटिका, और मिस्र देश के समान उपजाऊ थी।
-Abraham's bosom -
✔Lk16:22-23-
22 और ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर इब्राहीम की गोद में पहुंचाया; और वह धनवान भी मरा; और गाड़ा गया।
23 और अधोलोक में उस ने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाई, और दूर से इब्राहीम की गोद में लाजर को देखा।
✔Levi18:10-11-
✔Ps 14:3-
-2Co12:3-
3 मैं ऐसे मनुष्य को जानता हूँ न जाने देह सहित, न जाने देह रहित परमेश्वर ही जानता है।
-Rev2:7-
7 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा ॥
-1Pe3:19- 19 उसी में उस ने जाकर कैदी आत्माओं को भी प्रचार किया।
-1Pe4:16- 16 पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे।
-Eph4:7-10-
7 पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है।
8 इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्धुवाई को बान्ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए।
9 (उसके चढ़ने से, और क्या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था।
10 और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश से ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे)।
-2Co5:6,8-
6 सो हम सदा ढाढ़स बान्धे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
7 क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
8 इसलिये हम ढाढ़स बान्धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।
--पश्चाताप --
-यूहन्ना बपतिस्ता ने पश्चाताप का उपदेश दिया और लोग अपने पाप स्वीकार करते हुए उस से पश्चाताप का बपतिस्मा ग्रहण करते थे ।
Mt3:1.
-यीशु ने भी यह कहते हुए अपने उपदेशों का प्रारम्भ किया, "पश्चाताप करो; स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है "
Mt4 :17.
-वह पापियों को पश्चाताप के लिए बुलाने आये थे ।
Mt9:13.
-उन्होंने पश्चाताप की आवश्यकता पर बहुत बल दिया ।
Lk13:1-5. o Faith and Promise ---
-Little Faith -
Lk12:28-
28 इसीलिये जब मैदान की घास को, जो आज यहाँ है और जिसे कल ही भाड़ में झोक दिया जायेगा, परमेश्वर ऐसे वस्त्रों से सजाता है तो ओ अल्प विश्वासियो, तुम्हें तो वह और कितने ही अधिक वस्त्र पहनायेगा।
Mt8:26-
26 तब यीशु ने उनसे कहा, “अरे अल्प विश्वासियों! तुम इतने डरे हुए क्यों हो?” तब उसने खड़े होकर तूफान और झील को डाँटा और चारों तरफ़ शांति छा गयी।
Mt14:31-
31 यीशु ने तत्काल उसके पास पहुँच कर उसे सँभाल लिया और उससे बोला, “ओ अल्पविश्वासी, तूने संदेह क्यों किया?”
Mt16:8 -
8 वे क्या सोच रहे हैं, यीशु यह जानता था, सो वह बोला, “ओ अल्प विश्वासियों, तुम आपस में अपने पास रोटी नहीं होने के बारे में क्यों सोच रहे हो Mt17:20 -
20 यीशु ने उन्हें बताया, “क्योंकि तुममें विश्वास की कमी है। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, यदि तुममें राई के बीज जितना भी विश्वास हो तो तुम इस पहाड़ से कह सकते हो ‘यहाँ से हट कर वहाँ चला जा’ और वह चला जायेगा। तुम्हारे लिये असम्भव कुछ भी नहीं होगा।
Lk7:2-10 - सूबेदार का यीशु पर इतना विश्वास था कि उसका बीमार दास चँगा हो जायेगा।
Mt27:46-
Mk15:34 -
Ps22:1 -
Isa53:5 - |
पश्चाताप का उदाहरण -
-निनिवे -
Mt12:41.
40 यूनुस 03 रात दिन जल-जन्तु के पेट में रहा, वैसे ही मनुष्य का पुत्र 03 रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा।
41 नीनवे के लोग न्याय के दिन इस युग के लोगों के साथ उठकर उन्हें दोषी ठहराएंगे, क्योंकि उन्होंने यूनुस का प्रचार सुनकर, मन फिराया और देखो, यहां वह है जो यूनुस से भी बड़ा है।
-पतरस -
Mt26:75.
74 तब वह धिक्कार देने और शपथ खाने लगा, कि मैं उस मनुष्य को नहीं जानता; और तुरन्त मुर्ग ने बांग दी।
75 तब पतरस को यीशु की कही हुई बात स्मरण आई की मुर्ग के बांग देने से पहिले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा और वह बाहर जाकर फूट फूट कर रोने लगा॥
-ज़क्कई -
Lk19:8.
7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है।
8 ज़क्कई ने खड़े होकर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं।
9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है।
-पापिनी स्त्री -
Lk7:36-50.
-खोया हुआ लड़का -
Lk15:8-10.
8 या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए; तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहार कर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे?
9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि मेरे साथ आनन्द करो, क्योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है।
10 मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है। |
-✔Ac1:9-
9 यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया। |
✔Ac1:3-
3 और उस ने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पके प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और 40 दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा: और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। |
✔Lk3:17-
17 उसका सूप, उसके हाथ में है; और वह अपना खलिहान अच्छी तरह से साफ करेगा; और गेहूं को अपने खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्तु भूसी को उस आग में जो बुझने की नहीं जला देगा। |
हम सभी पापी हैं और पाप में जन्में हैं।आइए, हम भी इस कुकर्मी के भाँति अपने पापों को स्वीकार करें और मान लेवें कि प्रभु यीशु मसीह हमें भी पश्चातापी कुकर्मी के भाँति स्वर्गलोक में ले जाएंगे और हमारी आत्मा Tartarus ( पीड़ा जनक स्थान ) में पड़ने से बचाये जा सकेंगे। जैसा कि परमेश्वर ने
✔Ro.6:23 - में वचन के अनुसार परमेश्वर ने अनन्त जीवन देने का प्रतिज्ञा किया है जैसा कि लिखा है-
23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है॥ |
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