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दोनों आगमन के दौरान मसीह की शान्ति की सेवकाई (मुक्ति /उद्धार का शुभ संदेश )
1. प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूँ; कि बन्दियों के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करुँ;
2.कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करुँ; कि सब विलाप करनेवालों को शान्ति दूँ ।
3. और सिय्योन के विलाप करनेवालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बाँध दूँ, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊँ और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊॅ; जिस से वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएं और जिससे उसकी महिमा प्रगट हो ।
4. तब वे बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे, पूर्वकाल से खण्डहरों में वे फिर घर बनाएँगे; उजड़े हुए हों वे फिर नये सिरे से बसाएंगे । The Year of the Lord’s Favor
Isa.61:1-4 ~
1The Spirit of the Sovereign Lord is on me, because the Lord has anointed me to proclaim good news to the poor.He has sent me to bind up the brokenhearted, to proclaim freedom for the captives and release from darkness for the prisoners,
2 to proclaim the year of the Lord’s Favor and the day of vengeance of our God, to comfort all who mourn,
3 and provide for those who grieve in Zion—to bestow on them a crown of beauty instead of ashes, the oil of joy instead of mourning, and a garment of praise instead of a spirit of despair.They will be called oaks of righteousness, a planting of the Lord for the display of his splendor.
4 They will rebuild the ancient ruins and restore the places long devastated; they will renew the ruined cities |
वचनों का व्याख्यान |
Isa61:1> " The Spirit of the Lord God is upon me" प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है. ......
यह वचन यीशु के जीवन की बपतिस्मा ग्रहण करने के समय पर आत्मा का उतरने के संबंध में है - जो यशायाह नबी द्वारा हजारों वर्षों पूर्व भविष्यवाणी की थी ।
Isa11:1-2 --
1तब यिशै के ठूँठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जोड़ में से एक शाखा निकालकर फलवन्त होगी ।
2. यहोवा का आत्मा, बुद्धि और समझ का आत्मा, युक्ति और पराक्रम का आत्मा, और ज्ञान और यहोवा के भय का आत्मा उस पर ठहरा रहेगा ।
Isa42:1.--- मेरे दास को देखो जिसे मैं सम्भाले हूँ, मेरे चुने हए को , जिससे मेरा जी प्रसन्न है, मैंने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह जाति जाति के लिये न्याय प्रगट करेगा । |
Mt3:13-17---
13 उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्मा लेने आया।
14 परन्तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, कि मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?
15 यीशु ने उस को यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली।
16 और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर की नाईं उतरते और अपने ऊपर आते देखा।
17 और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं। |
Mk1:9-11.----
9 उन दिनों में यीशु ने गलील के नासरत से आकर, यरदन में यूहन्ना से बपतिस्मा लिया।
10 और जब वह पानी से निकलकर ऊपर आया, तो तुरन्त उस ने आकाश को खुलते और आत्मा को कबूतर की नाई अपने ऊपर उतरते देखा।
11 और यह आकाशवाणी हई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूं। |
Lk.3:21-22---
21 जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया, और यीशु भी बपतिस्मा लेकर प्रार्थना कर रहा था, तो आकाश खुल गया।
22 और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में कबूतर की नाईं उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूं। |
Jn.1:31-34-----
31 और मैं तो उसे पहिचानता न था, परन्तु इसलिये मैं जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि वह इस्त्राएल पर प्रगट हो जाए।
32 और यूहन्ना ने यह गवाही दी, कि मैं ने आत्मा को कबूतर की नाईं आकाश से उतरते देखा है, और वह उस पर ठहर गया।
33 और मैं तो उसे पहिचानता नहीं था, परन्तु जिस ने मुझे जल से बपतिस्मा देने को भेजा, उसी ने मुझ से कहा, कि जिस पर तू आत्मा को उतरते और ठहरते देखे; वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देनेवाला है।
34 और मैं ने देखा, और गवाही दी है, कि यही परमेश्वर का पुत्र है। |
किन्तु आत्मा तो हमेशा से यीशु के साथ रहा --- पवित्र आत्मा , मसीह का आत्मा है-
1.पवित्र आत्मा के विरुद्ध निन्दा --
Mt.12:31- इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, पर आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी। Mk1.3:29- परन्तु जो कोई पवित्रात्मा के विरूद्ध निन्दा करे, वह कभी भी क्षमा न किया जाएगा: वरन वह अनन्त पाप का अपराधी ठहरता है। |
2 . पवित्र आत्मा का शिक्षा ---
(a)Lk.12:12-- क्योंकि पवित्र आत्मा उसी घड़ी तुम्हें सिखा देगा, कि क्या कहना चाहिए।
(b)Jn.14:26 ----परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। |
3 . पवित्र आत्मा, मसीह की गवाही देगा --
Jn.15:26-- परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूंगा, अर्थात सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा। |
4. पवित्र आत्मा, सत्य का मार्ग बताएगा --
--Jn.16:7-15--
7 तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।
8 और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।
9 पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।
10 और धामिर्कता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं,
11 और तुम मुझे फिर न देखोगे: न्याय के विषय में इसलिये कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है।
12 मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।
13 परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।
14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।
15 जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिये मैं ने कहा, कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा। |
5. पवित्रात्मा की महिमा हो ---
--Eph.1:14-- वह उसके मोल लिए हुओं के छुटकारे के लिये हमारी मीरास का बयाना है, कि उस की महिमा की स्तुति हो। |
6. पवित्रात्मा को शोकित मत करो ---
--Eph.1.4:30--- और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। |
7. पवित्रात्मा प्यासा है---
--1Th.5:19-- आत्मा को न बुझाओ। |
8. पवित्रात्मा हमें बचाता है---
Ac.7:51--- जैसा तुम्हारे बाप दादे करते थे, वैसे ही तुम भी करते हो। |
9 . पवित्रात्मा हमें सब बातें सिखाता है ---
--Jn.14:26--- परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।
--Jn15:26-- परन्तु जब वह सहायक आएगा, जिसे मैं तुम्हारे पास पिता की ओर से भेजूंगा, अर्थात सत्य का आत्मा जो पिता की ओर से निकलता है, तो वह मेरी गवाही देगा।
--Jn.16:7---तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा। |
10. पवित्रात्मा, यीशु की महिमा करेगा---
----Jn.16:14----वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।
"Anointed"( अभिषेक )-- यह परमेश्वर का असीम आशीष व कार्य का प्रतीकात्मक चिन्ह है ---
Ps.23:5-- तू मेरे सताने वालों के साम्हने मेरे लिये मेज बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है।
----Hebrews.1:2-3---- इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उस ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्टि रची है।
3 वह उस की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है, और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊंचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा। प्रेममय शुभ सन्देश यह है कि यीशु मसीह - गैर- मसीहियों ,समाज से बहिष्कृत लोग तथा खेदित, दुःखित व पीड़ित लोगों के लिये और समस्त मानव कल्याण के लिये पाप-क्षमा के माध्यम से अनन्त जीवन की एक नई आशा लेकर आया है ।
"To bring good news to the afflicted " The Massiah's message will be one of hope and forgiveness to the outcast, ostracised, and oppressed.
--Isa.35:5-6-- तब अन्धों की आंखे खोली जाएंगी और बहिरों के कान भी खोले जाएंगे;
6 तब लंगड़ा हरिण की सी चौकडिय़ां भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे। क्योंकि जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरूभूमि में नदियां बहने लगेंगी । यशायाह नबी ने मसीह के विशेष कार्यो को जो वह करनेवाला था --- की भविष्यवाणी किया कि ---
1.कंगालों में शुभ सन्देश का प्रचार करुँ ।
2 .बन्दियों के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करुँ ।
3. यहोवा के प्रसन्न रहने का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करुँ ।
4. सब विलाप करनेवालों को शान्ति दूँ ।
5.सिय्योन के विलाप करनेवालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बाँध दूँ।
6 .मसीह की सामर्थ्य भरे कार्यों के द्वारा उसकी महिमा प्रगट हो ।
---Isa.61:2> "यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष "---
---Lev.25:10---और उस पचासवें वर्ष को पवित्र करके मानना, और देश के सारे निवासियों के लिये छुटकारे का प्रचार करना; वह वर्ष तुम्हारे यहां जुबली कहलाए; उस में तुम अपनी अपनी निज भूमि और अपने अपने घराने में लौटने पाओगे।
---"यहोवा के पलटा के दिन "---
--Ro.1:3--अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह के विषय में प्रतिज्ञा की थी, जो शरीर के भाव से तो दाउद के वंश से उत्पन्न हुआ।
---Isa.61:3> वचनों के प्रकाशन में विशेष मनन-ध्यान योग्य बातें है--
1.सिर पर की राख के स्थान पर सुन्दर पगड़ी बाँध दूँ ।
2.विलाप के स्थान पर हर्ष का तेल लगाऊँ।
3 . उदासी के स्थान पर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊँ । इसी तरह अन्य वचन का प्रकाशन में भी विशेष ध्यान देने योग्य बातें हैं --
---Isa. 61:7--- तुम्हारी नामधराई की सन्ती दूना भाग मिलेगा, अनादर की सन्ती तुम अपने भाग के कारण जयजयकार करोगे; तुम अपने देश में दूने भाग के अधिकारी होगे; और सदा आनन्दित बने रहोगे।
---"Garland....ashes." ---
----Ezk.24:17----- लम्बी सांसें ले तो ले, परन्तु वे सुनाईं न पड़ें; मरे हुओं के लिये भी विलाप न करना। सिर पर पगड़ी बान्धे और पांवों में जूती पहने रहना; और न तो अपने होंठ को ढांपना न शोक के योग्य रोटी खाना।
-"हर्ष के तेल "(The oil of gladness )
---P's. 45:7--- तू ने धर्म से प्रीति और दुष्टता से बैर रखा है। इस कारण परमेश्वर ने हां तेरे परमेश्वर ने तुझ को तेरे साथियों से अधिक हर्ष के तेल से अभिषेक किया है।
" The mantle of praise"
Here is an OT example of clothing used as a metaphor for attitude and spiritual position.
" जिससे वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएं ।
---Jer.17:7-8---
7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।
8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।
----Isa.60:1-2----
1 उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है।
2 देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है; परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा।
Isa.61:4>"They will rebuild the ancient ruins" It is hard for a non-Jew to imagine the intensity of the feeling that is connected with the Promised Land.
----Isa.49:8---- यहोवा यों कहता है, अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सुन ली, उद्धार करने के दिन मैं ने तेरी सहायता की है; मैं तेरी रक्षा कर के तुझे लोगों के लिये एक वाचा ठहराऊंगा, ताकि देश को स्थिर करे और उजड़े हुए स्थानों को उनके अधिकारियों के हाथ में दे दे; और बंधुओं से कहे, बन्दीगृह से निकल आओ;
--Isa.58:12-- और तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नेव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करने वाला पड़ेगा॥
---Isa.60:10--- परदेशी लोग तेरी शहरपनाह को उठाएंगे, और उनके राजा तेरी सेवा टहल करेंगे; क्योंकि मैं ने क्रोध में आकर तुझे दु:ख दिया था, परन्तु अब तुझ से प्रसन्न हो कर तुझ पर दया की है। इस वचन के पद की तथ्य स्वतंत्रता व मुक्ति के अधिकार से सम्बध्द है जो यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा हमारे टूटे मन-हदय में एक नई उमंग भर देता है, और एक नई आशा की किरण दिखाई दी और नई जीवन जीने के लिये प्ररेणा देती है --
1 . बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे ।
2 . पुराने खण्डहरों में वे फिर घर बनाएँगे ।
3 . उजड़े हुए हों वे फिर नये सिरे से बसाएंगे ।
Isa.61:4 के अन्तिम पन्तियों में लेखक मैसोपोटामिया की बन्धवाई से वापसी की घटना क्रम को बतलाया है ।यहां पर यशायाह नबी यह बताना चाहता है कि हमें अपने अपने बुरे कर्मों व पापों से फिर कर परमेश्वर के संगति एवं प्रेम में सदा -सदा के लिये सुदृढ़ बनते जाना है । |
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