|| यीशु ने कहा, "देखो, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ। मेरा पुरस्कार मेरे पास है और मैं प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का प्रतिफल दूँगा। मैं अल्फा और ओमेगा; प्रथम और अन्तिम; आदि और अन्त हूँ।" Revelation 22:12-13     
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पतरस का उपदेश


 
पतरस का उपदेश [Ac10:34-48.]

34 तब पतरस ने मुंह खोलकर कहा; 
35 अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, वरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।

36 जो वचन उस ने इस्त्राएलियों के पास भेजा, जब कि उस ने यीशु मसीह के द्वारा (जो सब का प्रभु है) शान्ति का सुसमाचार सुनाया। 

37 वह बात तुम जानते हो जो यूहन्ना के बपतिस्मा के प्रचार के बाद गलील से आरम्भ करके सारे यहूदिया में फैल गई। 
38 कि परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ से अभिषेक किया: वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा; क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था। 
39 और हम उन सब कामों के गवाह हैं; जो उस ने यहूदिया के देश और यरूशलेम में भी किए, और उन्होंने उसे काठ पर लटकाकर मार डाला। 
40 उस को परमेश्वर ने तीसरे दिन जिलाया, और प्रगट भी कर दिया है। 
41 सब लोगों को नहीं वरन उन गवाहों को जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से चुन लिया था, अर्थात हम को जिन्हों ने उसके मरे हुओं में से जी उठने के बाद उसके साथ खाया पीया। 
42 और उस ने हमें आज्ञा दी, कि लोगों में प्रचार करो; और गवाही दो, कि यह वही है; जिसे परमेश्वर ने जीवतों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है।

43 उस की सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते हें, कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, उस को उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी॥ ✔अन्य जातियों पर पवित्र आत्मा उतरना-

44 पतरस ये बातें कह ही रहा था, कि पवित्र आत्मा वचन के सब सुनने वालों पर उतर आया। 
45 और जितने खतना किए हुए विश्वासी पतरस के साथ आए थे, वे सब चकित हुए कि अन्यजातियों पर भी पवित्र आत्मा का दान उंडेला गया है।

46 क्योंकि उन्होंने उन्हें भांति भांति की भाषा बोलते और परमेश्वर की बड़ाई करते सुना। 
47 इस पर पतरस ने कहा; क्या कोई जल की रोक कर सकता है, कि ये बपतिस्मा न पाएं, जिन्हों ने हमारी नाईं पवित्र आत्मा पाया है 
48 और उस ने आज्ञा दी कि उन्हें यीशु मसीह ने नाम में बपतिस्मा दिया जाए: तब उन्होंने उस से बिनती की कि कुछ दिन हमारे साथ रह॥

पतरस का उपदेश की व्याख्यान
पतरस, यीशु के 12 चेलों में प्रथम स्थान पर रहा और 12 चेलों का अगुवा भी रहा । यीशु अपने जन - सेवा के कार्यक्षेत्र में पतरस को हमेशा अपनी संगति में रखा । फिर भी पतरस, यीशु के जीवन- काल में जब-जब परीक्षा में पड़ा असफल ही रहा।किन्तु यीशु के पुनरुत्थान के पश्चात पतरस को यीशु ने दर्शन दिया और इसके बाद से पतरस अपने जीवन - पर्यन्त यीशु ही मसीह है तथा धर्म - प्रचार के कार्य करने में कभी भी असफल नहीं हुआ ।और यीशु मसीह के मिशन को यहूदिया के देश में निरन्तर आगे बढ़ाता और सुदृढ़ करता रहा ।
I . परमेश्वर का न्याय 
[Ac10:34-35 ] Ac10:34-35 के अनुसार परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता---इस सत्य की शिक्षा पुराना नियम में दी गई है--
(1) Dt.10:17-- क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओ का प्रभु है, वह महान पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।18 वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है।
(2) 2 Ch.19:7-- अब यहोवा का भय तुम में बना रहे; चौकसी से काम करना, क्योंकि हमारे परमेश्वर यहोवा में कुछ भी कुटिलता नहीं है; और न वह किसी का पक्ष करता और न घूस लेता है।
(3)Ro2:9 -11-- और क्लेश और संकट हर एक मनुष्य के प्राण पर जो बुरा करता है आएगा, पहले यहूदी पर फिर यूनानी पर ; 10 परन्तु महिमा और आदर और कल्याण हर एक को मिलेगा, जो भला करता है, पहले यहूदी को फिर यूनानी को।11 क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता।
(4)Gal.2:6> फिर भी लोग कुछ समझे जाते थे (वे चाहे कैसे भी थे मुझ इस से कुछ काम नहीं; परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता)--उनसे जो कुछ समझे जाते थे , मुझे कुछ भी नहीं प्राप्त हुआ।
(5)स्वामी और दास [Eph.6:9] हे स्वामियों, तुम भी धमकियाँ देना छोड़कर उनके साथ वैसा ही व्यवहार करो; क्योंकि तुम जानते हो कि उन का और तुम्हारा दोनों का स्वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता।
(6)पारिवारिक जीवन के नियम [Col.3:25] क्योंकि जो बुरा करता है वह अपनी बुराई का फल पाएगा , वहाँ किसी का पक्षपात नहीं।
(7) एक जीवित आशा [1Pe.1:7] और यह इसलिए है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशवान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा और महिमा और आदर का कारण ठहरे।
2. शान्ति का सुसमाचार [Ac10:36]
(1) कि अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठनेवालों को ज्योति दें, और हमारे पाँवों को कुशल के मार्ग में सीधे चलाए। --- Lk1:79.
(2)"आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शान्ति हो।"--Lk2:14.
(3)परमेश्वर से मेल [Ro5:1] अत: जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
(4) मसीह में एक [Eph.2:17] उसने आकर तुम्हें जो दूर थे और उन्हें जो निकट थे, दोनों को मेलमिलाप का सुसमाचार सुनाया।
(5) सारा अधिकार [Mt.28:18] यीशु ने उनके पास आकर कहा, " स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।
(6) उध्दार सबके लिये [Ro.10:12] यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालों के लिये उध्दार है।
3. आश्चर्यकर्मो से विश्वास उत्पन्न करना [Ac.10:38]
(1) बीमारी से चंगाई [Mt.4:23] यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उन के आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों को हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।
(2)[Jn.3:2] उसने (नीकुदेमुस) रात को यीशु के पास आकर उससे कहा, " हे रब्बी, हम जानते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से गुरु होकर आया है, क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो तो नहीं दिखा सकता।"
(3)[Ac.2:22] हे इस्त्राएलियों, ये बातें सुनो : यीशु नासरी एक मनुष्य था जिसका परमेश्वर की ओर से होने का प्रमाण उन सामर्थ्य कामों और आश्चर्य के कामों और चिन्हों से प्रगट है, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बीच उसके द्वारा कर दिखाए जिसे तुम आप ही जानते हो।
4.यीशु की मृत्यु की गवाही [Ac.10:39] 
(1)[Lk.24:48] तुम इन सब बातों के गवाह हो। 
(2)[Ac.5:30] हमारे बापदादों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुमने क्रूस पर लटकाकर मार डाला था।
5. मृत्यु पर विजय [Ac.10:40] (1)[Ac.2:24] परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बंधनों से छुड़ाकर जिलाया ; क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।
6.यीशु, जी उठने के बाद उसके साथ खाया पीया[Ac.10:41] 
(1) [Jn.14:19]और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा , परन्तु तुम मुझे देखोगे; इसलिये कि मैं जीवित हूँ , तुम भी जीवित रहोगे। (2)यीशु का चेलों को दिखाई देना --
[Lk.24:39-43] मेरे हाथ और पाँव को देखो कि मैं वही हूँ।मुझे छूकर देखो , क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।40 यह कहकर उसने उन्हें अपने हाथ पाँव दिखाए।41 जब आनन्द के मारे उनको प्रतीति न हुई, और वे आश्चर्य करते थे, तो उसने उनसे पूछा ,"क्या तुम्हारे पास कुछ भोजन है? " 42 उन्होंने उसे भुनी हुई मछली का टुकड़ा दिया।43 उसने लेकर उनके सामने खाया।
7.जीवतों और मृतकों का न्याय- [Ac.10:42] 
(1) [Lk.16:28]क्योंकि मेरे 05 भाई हैं; वह उनके सामने इन बातों की गवाही दे, ऐसा न हो कि वे भी इस पीड़ा की जगह में आएँ। 
(2)पुत्र का अधिकार [Jn.5:22.27] पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है। 27 वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिए कि वह मनुष्य का पुत्र है। 
(3)[2Ti.4:1-2] परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, और उसके प्रगट होने और राज्य की सुधि दिलाकर मैं तुझे आदेश देता हूँ 2 कि तू वचन का प्रचार कर, समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता और शिक्षा के साथ उलाहना दे और डांट और समझा। 
(4)[1Pe.4:5-6] पर वे उसको जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करने को तैयार है, लेखा देंगे।6 क्योंकि मरे हुओं को भी सुसमाचार इसी लिये सुनाया गया कि शरीर में तो मनुष्यों के अनुसार उनका न्याय हो, पर आत्मा में वे परमेश्वर के अनुसार जीवित रहें।
8. विश्वास द्वारा पापों की क्षमा [Ac.10:43] 
(1)[Lk.24:47] और यरूशलेम से लेकर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा। 
(2)[Ac. 2:38]पतरस ने उनसे कहा, " मन फिराओ , और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
पवित्र आत्मा का उतरना
पवित्र आत्मा के विषय में यूहन्ना बपतिस्ता देनेवाले ने पहिले से कहा था--- 
[Mt.3:11] मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूँ , परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझसे शक्तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं।वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। इसके लिए यीशु ने प्रतिज्ञा किया था--- 
[Ac.1:4-5] और उनसे मिलकर उन्हें आज्ञा दी,"यरुशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिसकी चर्चा तुम मुझसे सुन चुके हो।5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।" 
और पतरस तथा पौलुस ने इसके बारे में कहा था--- 
[Ac.11:15-16] जब मैं बातें करने लगा, तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था । 16 तब मुझे प्रभु का यह वचन स्मरण आया, तो उसने कहा था, "यूहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया, परन्तु तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।
[1Co.12:13] क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो क्या यूनानी, क्या दास हो क्या स्वतंत्र, एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया और हम सबको एक ही आत्मा पिलाया गया ।
यह ऐतिहासिक घटना पिन्तेकुस्त के दिन घटी जबकि जीवित हो उठनेवालों और महिमान्वित यीशु ने अपने शिष्यों को प्रतिज्ञा के अनुसार पहिले पवित्र आत्मा दिया और इस प्रकार उसने उन्हें एक आत्मा में अर्थात कलीसिया में सम्मिलित कर लिया।
अन्यजातियों पर पवित्र आत्मा का उतरना [Ac.10:44]
(1)[Ac.15:8] मन के जाँचने वाले परमेश्वर ने उनको भी हमारे समान पवित्र आत्मा देकर उनकी गवाही दी। 
(2)[Ac.11:15] जब मैं बातें करने लगा, तो पवित्र आत्मा उन पर उसी रीति से उतरा जिस रीति से आरम्भ में हम पर उतरा था। [Ac.10:45]
[Ac.10:45]
(1)[Ac.2:33] इस प्रकार परमेश्वर के दाहिने हाथ से सर्वोच्च पद पाकर, और पिता से वह पवित्र आत्मा प्राप्त करके जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी, उसने यह उंडेल दिया है जो तुम देखते और सुनते हो।
[Ac.10:46] 
(1)[Mk.16:17] विश्वास करनेवालों में ये चिन्ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे, नई नई भाषा बोलेंगे। 
(2)[Ac.2:4] वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे।
[Ac.10:47] 
(1)फिलिप्पुस और कूश देश का अधिकारी [Ac.8:36] मार्ग में चलते - चलते वे किसी जल की जगह पहुँचे।तब खोजे ने कहा, "देख यहाँ जल है अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रोक है। 
(2)पतरस द्वारा अपने कार्य का स्पष्टीकरण [Ac.11:17-18] अतः जब परमेश्वर ने उन्हें भी वही दान दिया, जो हमें प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने से मिला था; तो मैं कौन था जो परमेश्वर को रोक सकता? " 18 यह सुनकर वे चुप रहे, और परमेश्वर की बड़ाई करके कहने लगे, " तब तो परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी जीवन के लिये मन फिराव का दान दिया है।"
[Ac.10:48] 
(1) [1Co.1:14-17] मैं परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ कि क्रिस्पुस और गयुस को छोड़ मैं ने तुम में से किसी को भी बपतिस्मा नहीं दिया।15 कहीं ऐसा न हो कि कोई कहे कि तुम्हें मेरे नाम पर बपतिस्मा मिला।16 और हाँ, मैं ने स्तिफनास के घराने को भी बपतिस्मा दिया; इनको छोड़ मैं नहीं जानता कि मैं ने और किसी को बपतिस्मा दिया।17 क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, वरन् सुसमाचार सुनाने को भेजा है, और यह भी शब्दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे। 
(2)[Ac.2:38] पतरस ने उनसे कहा, " मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
पवित्र आत्मा का दान 
[Ac10:44]-- पवित्र आत्मा. .... इन मन फिराए अन्यजातियों को जल के बपतिस्मा (पद 48) से पहले ही पवित्र आत्मा का दान दे दिया गया। अन्य अन्य भाषा में बोलना इस दान की प्रमाणिकता थी (पद46), जो हाथ रखे जाने से बिल्कुल परे था। यह सब इसलिए हुआ ताकि पतरस के साथ यहूदी भाईयों के समक्ष यह प्रगट हो कि परमेश्वर ने इन अन्यजातियों को यहूदियों के ही समान कलीसिया में स्वीकार किया है, क्योंकि इन्होंने भी मसीह पर विश्वास किया था। (पद43)

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