|| यीशु ने कहा, "देखो, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ। मेरा पुरस्कार मेरे पास है और मैं प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का प्रतिफल दूँगा। मैं अल्फा और ओमेगा; प्रथम और अन्तिम; आदि और अन्त हूँ।" Revelation 22:12-13     
Home

My Profile

Topics

Words Meaning

Promises of God

Images

Songs

Videos

Feed Back

Contact Us

Visitor Statistics
» 1 Online
» 11 Today
» 2 Yesterday
» 13 Week
» 137 Month
» 5628 Year
» 41442 Total
Record: 15396 (02.03.2019)

यीशु की गिरफ्तारी और पतरस का इंकार


 

 

18042024(गुरुवार) – मिसेकोरदियुसुदोमिने सप्ताह (प्रभु की दया- Psalm:23)

भजन संहिता 23:1-6

(Mt26:47-56; Mk14:43-50; Jn18:3-12)

[1]यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।

[2]वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है;

[3]वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई करता है।

[4]चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।

[5]तू मेरे सतानेवालों के सामने मेरे लिये मेज़ बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है।

[6]निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूंगा।

-------------------------------------------------------------

लूका 22:47-62 –  यीशु की गिरफ्तारी और पतरस का इंकार

यीशु मसीह को यहूदा इस्कारियोती द्वारा चूमा लेकर धोखे से पकड़वाया जाना -

[47]वह यह कह ही रहा था कि एक भीड़ आई, और उन बारहों में से एक जिस का नाम यहूदा था उनके आगे आगे आ रहा था, वह यीशु के पास आया कि उसका चूमा ले।

[48]यीशु ने उससे कहा, “हे यहूदा, क्या तू चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है?”

[49]उसके साथियों ने जब देखा कि क्या होनेवाला है, कहा, “हे प्रभु, क्या हम तलवार चलाएं?”

[50]और उनमें से एक ने महायाजक के दास पर चलाकर उसका दाहिना कान उड़ा दिया

[51]इस पर यीशु ने कहा; “अब बस करो।” और उसका कान छूकर उसे अच्छा किया

[52]तब यीशु ने प्रधान याजकों; और मन्दिर के पहरूओं के सरदारों और पुरनियों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियां लिए हुए निकले हो?

[53]जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अन्धकार का अधिकार है।”

पतरस का इंकार-

(Mt 26:57,58,69-75; Mk14:53,54,66-72; Jn18:12-18,25-27)

[54]फिर वे उसे पकड़कर ले चले, और महायाजक के घर में लाए और पतरस दूर ही दूर उसके पीछे पीछे चलता था।

[55]और जब वे आंगन में आग सुलगाकर इकट्ठे बैठे, तो पतरस भी उनके बीच में बैठ गया।

[56]और एक दासी उसे आग के उजियाले में बैठे देखकर और उस की ओर ताककर कहने लगी, “यह भी तो उसके साथ था।”

[57]परन्तु उसने यह कहकर इन्कार किया, कि “हे नारी, मैं उसे नहीं जानता।”

[58]थोड़ी देर बाद किसी और ने उसे देखकर कहा, “तू भी तो उन्हीं में से है।” पतरस ने कहा; “हे मनुष्य मैं नहीं हूं।”

[59]कोई घंटे भर के बाद एक और मनुष्य दृढ़ता से कहने लगा, “निश्चय यह भी तो उसके साथ था; क्योंकि यह गलीली है।”

[60]पतरस ने कहा, “हे मनुष्य, मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है!” वह कह ही रहा था कि तुरन्त मुर्ग ने बांग दी।

[61]तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उस ने कही थी: “आज मुर्ग के बांग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।”

[62]और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोया।

Jesus Arrested

47 While he was still speaking a crowd came up, and the man who was called Judas, one of the Twelve, was leading them. He approached Jesus to kiss him, 48 but Jesus asked him, “Judas, are you betraying the Son of Man with a kiss?”

49 When Jesus’ followers saw what was going to happen, they said, “Lord, should we strike with our swords?” 50 And one of them struck the servant of the high priest, cutting off his right ear.

51 But Jesus answered, “No more of this!” And he touched the man’s ear and healed him.

52 Then Jesus said to the chief priests, the officers of the temple guard, and the elders, who had come for him, “Am I leading a rebellion, that you have come with swords and clubs? 53 Every day I was with you in the temple courts, and you did not lay a hand on me. But this is your hour—when darkness reigns.”

Peter Disowns Jesus

54 Then seizing him, they led him away and took him into the house of the high priest. Peter followed at a distance. 55 But when they had kindled a fire in the middle of the courtyard and had sat down together, Peter sat down with them. 56 A servant girl saw him seated there in the firelight. She looked closely at him and said, “This man was with him.”

57 But he denied it. “Woman, I don’t know him,” he said.

58 A little later someone else saw him and said, “You also are one of them.”

“Man, I am not!” Peter replied.

59 About an hour later another asserted, “Certainly this fellow was with him, for he is a Galilean.”

60 Peter replied, “Man, I don’t know what you’re talking about!” Just as he was speaking, the rooster crowed. 61 The Lord turned and looked straight at Peter. Then Peter remembered the word the Lord had spoken to him: “Before the rooster crows today, you will disown me three times.” 62 And he went outside and wept bitterly.

------------------------------------------------------------------

प्रस्तावना:-

पूर्वी यरूशलेम में जैतून पर्वत के तल पर केद्रोन नाले के पार एक बगीचा है। इस बगीचा में जैतून के कई छोटे छोटे पेड़-पौधे हैं, जो एक-दूसरे से सटे हुए हैं तथा पौष्पिक पौधों, फलों, और हरियाली की विविधताओं से भरा हुआ है  और  यह बगीचा गतसमनी के नाम से पहचाना जाता है।

यह गतसमनी बगीचा एक ऐसा स्थान था, जहां यीशु अपने प्रेरितों के साथ प्रार्थना के लिए  अक्सर जाया करता था (लूका 22:39; यूहन्ना 18:2)। जैसा कि लिखा है -

लूका 21:37 - और वह दिन को मन्दिर में उपदेश करता था; और रात को बाहर जाकर जैतून नाम पहाड़ पर रहा करता था।

लूका 22:40,46 -

[40]उस जगह पहुंचकर उस ने उन से कहा; प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।

[46] उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो। “आरामाईक(Aramaic ) में, गेथसेमनी (Gethsemane) शब्द का अर्थ है ‘जैतून का कोल्हू”। जब जैतून को कोल्हू में कुचला जाता है, तो जो तेल बहता है वह खून की तरह लाल होता है।

गतसमनी बाग में यीशु का पसीना खून की बूँदें बनकर गिरता है।

“जब एक व्यक्‍ति हद-से-ज़्यादा तनाव में होता है, तो उसकी धमनियाँ फट सकती हैं और उसका खून पसीने की ग्रंथियों में मिल सकता है। त्वचा फट सकती है और पसीना खून की बूँदें बनकर गिर सकता है। हालाँकि ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन यह मुमकिन है।”

इसी बगीचा में नए नियम के चार सुसमाचारों के अनुसार, यीशु मसीह को पीड़ा से गुजरना पड़ा था । और इसी बगीचे में यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाये जाने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था। वहां वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए थे (मरकुस 14:26)।

---------------------------------------------------------------------

 

            वचनों का व्याख्यान

-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

 

[47]वह यह कह ही रहा था कि एक भीड़ आई, और उन बारहों में से एक जिस का नाम यहूदा था उनके आगे आगे आ रहा था, वह यीशु के पास आया कि उसका चूमा ले।

[48]यीशु ने उससे कहा, “हे यहूदा, क्या तू चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है?”

वह यह कह ही रहा था – उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो  (लूका 22:46)।

यहूदा-

1.यीशु मसीह का भाई यहूदा, जो यहूदा की पत्री वचन का लेखक माना जाता है (यहूदाह, Jude/Judas)- (मर.6:3)।

 यीशु के भाई भी पहिले उसे (यीशु को) परमेश्वर का पुत्र और मसीह नहीं मानते थे (यहू.7:5),

परन्तु पुनरुत्थान ने अवश्य ही उनके मन को परिवर्तित किया। वे लोग यरूशलेम की कलीसिया के संस्थापक सदस्य थे (प्रेरि.1:14,1कुरि.15:7)।

2.यहूदा इस्कारियोती (तद्धै,यहूदाह)

चुम्बन (Kiss)-

इस्राइलियों तथा उस क्षेत्र के अन्य लोगों में चुम्बन लेने की प्रथा बहुत प्राचीन काल से थी।

•यह सम्बन्धियों, मित्रों प्रेमिका व प्रेमी का एक चिन्ह था- उत्प.29:11, श्रेष्ठगीत1:2.

•यह राजाओं के प्रति सम्मान का भी चिन्ह था-1शमू.10:1,भ.सं.2:12,मत्ती 26:49.

•यह मूर्ति के प्रति प्रजा के भाव को भी प्रकट करता था – 1राजा19:18,होने 13:2.

•नया नियम के समय में मसीहियों में चुम्बन लेकर नमस्कार करने की एक प्रथा बन गई थी – रोमियों16:16,1पत.5:14.

 

[49]उसके साथियों ने जब देखा कि क्या होनेवाला है, कहा, “हे प्रभु, क्या हम तलवार चलाएं?”.   

लूका 22:36-38 -

[36]उस ने उन से कहा, परन्तु अब जिस के पास बटुआ हो वह उसे ले, और वैसे ही झोली भी, और जिस के पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले।

[37]क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि यह जो लिखा है, कि वह अपराधियों के साथ गिना गया, उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।

[38]उन्होंने कहा; हे प्रभु, देख, यहां दो तलवारें हैं: उस ने उन से कहा; बहुत हैं।

 [50]और उनमें से एक ने महायाजक के दास पर चलाकर उसका दाहिना कान उड़ा दिया।

यूहन्ना 18:10 - शमौन पतरस ने तलवार, जो उसके पास थी, खींची और महायाजक के दास पर चलाकर, उसका दाहिना कान उड़ा दिया, उस दास का नाम मलखुस था।

अरामी नाम “कैफा” और यूनानी नाम “पतरस” दोनों ही का अर्थ “चट्टान” है।

जिस तलवार का प्रयोग पतरस ने महायाजक के दास (सेवक) पर वार करने के लिए किया था वह वास्तव में एक कटार थी, जो एक छोटी,सीधी तलवार के समान थी।

मलखुस नाम का अर्थ राजा है। वह नबातिया का निवासी हो सकता है। उसने काइफा महायाजक की सेवा की।

[51]इस पर यीशु ने कहा; “अब बस करो।” और उसका कान छूकर उसे अच्छा किया।

[52]तब यीशु ने प्रधान याजकों; और मन्दिर के पहरूओं के सरदारों और पुरनियों से, जो उस पर चढ़ आए थे, कहा, “क्या तुम मुझे डाकू जानकर तलवारें और लाठियां लिए हुए निकले हो?

प्रधान याजकों और मंदिर के पहलुओं के सरदार और पुरनियों प्रधान याजकों तथा अन्य अगुओं ने एक सभा बनाई थी,जिसे रोमियो ने कुछ स्थानीय मामलों के फैसले लेने की अनुमति दे रखी थी। इन प्रधान याजकों को भ्रम से महायाजक नहीं समझना चाहिए (लूका 3:2;22:54) पहलुओं के सरदार यहूदी पुरुष होते थे जो मंदिर की सुरक्षा तथा वहां की व्यवस्था बनाए रखने में सहायता करते थे।

[53]जब मैं मन्दिर में हर दिन तुम्हारे साथ था, तो तुम ने मुझ पर हाथ न डाला; पर यह तुम्हारी घड़ी है, और अन्धकार का अधिकार है।”

लूका 22: 53 – अंधकार- अंधकार का अर्थ शैतान और दुष्टता की शक्ति से है, अर्थात् जो परमेश्वर के पीछे नहीं चलते या परमेश्वर के कामों का विरोध करते हैं।

[54]फिर वे उसे पकड़कर ले चले, और महायाजक के घर में लाए और पतरस दूर ही दूर उसके पीछे पीछे चलता था।

लूका 22: 54 – हन्ना ई.स.6 से15 तक यहूदी महायाजक था। उसका दामाद कैफा ई.स.18 से 37 तक महायाजक था।

[55]और जब वे आंगन में आग सुलगाकर इकट्ठे बैठे, तो पतरस भी उनके बीच में बैठ गया।

यीशु को गिरफ्तार करने वाले उसे महायाजक कैफा के पास ले गए, जहाँ व्यवस्था के शिक्षक और बुजुर्ग इकट्ठे हुए थे।  लेकिन पतरस कुछ दूरी पर उसका पीछा करता हुआ महायाजक के आँगन तक पहुँच गया। वह अंदर जाकर जहां पर आग सुलगाकर बैठे हुए लोगों के साथ बैठ गया। जब महासभा कैफा के सामने यीशु पर झूठा आरोप लगा रही थी, तो पतरस दूर से देख रहा था और यीशु की भविष्यवाणी पर ध्यान नहीं दिया।(मत्ती 26:57-58)।

[56]और एक दासी उसे आग के उजियाले में बैठे देखकर और उस की ओर ताककर कहने लगी, “यह भी तो उसके साथ था।”

[57]परन्तु उसने यह कहकर इन्कार किया, कि “हे नारी, मैं उसे नहीं जानता।”

पहला इंकार पतरस ने तब किया जब आग सुलगाकर बैठे हुए लोगों के साथ में एक दासी ने पतरस को देखकर कहा कि यह भी तो उसके साथ था। प्रत्युत्तर में पतरस ने स्पष्ट रूप से इंकार किया कि हे नारी, मैं उसे नहीं जानता।

[58]थोड़ी देर बाद किसी और ने उसे देखकर कहा, “तू भी तो उन्हीं में से है।” पतरस ने कहा; “हे मनुष्य मैं नहीं हूं।”

दूसरा इंकार पतरस ने तब किया जब किसी और व्यक्ति ने उसे देखकर कहा, तू भी तो उन्हीं में से है । पतरस ने अपने प्रत्युत्तर में उस मनुष्य से कहा – मैं नहीं हूं।

[59]कोई घंटे भर के बाद एक और मनुष्य दृढ़ता से कहने लगा, “निश्चय यह भी तो उसके साथ था; क्योंकि यह गलीली है।”

लूका 22: 59 – पतरस गलील से आया था, सम्भवतः वहां के लोगों के बोलने का लाहजा यरूशलेम के लोगों के बोलने से भिन्न था। इसीलिए ये लोग बता सकते थे कि पतरस कहां का था।

[60]पतरस ने कहा, “हे मनुष्य, मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है!” वह कह ही रहा था कि तुरन्त मुर्ग ने बांग दी।

तीसरा इंकार एकाध घंटे के बाद में एक और मनुष्य ने पतरस से कहा कि निश्चय तुम भी यीशु के साथ में था तब पतरस ने कहा कि हे मनुष्य, मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है। इस प्रकार पतरस ने प्रभु यीशु मसीह को लोगों के मध्य में पहचानने से साफ- साफ इंकार किया।

[61]तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उस ने कही थी: “आज मुर्ग के बांग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।”

जैसे ही पतरस ने महायाजक कैफा के आंगन में अपने को यीशु के साथ न होने से तीसरी बार इंकार किया – प्रभु यीशु मसीह ने पतरस को देखा तभी मुर्ग ने बांग दिया।

[62]और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोया।

मुर्गे ने बांग दी तब पतरस को याद आया कि यीशु ने कहा था कि मुर्ग के बांग देने के पहले तुम मुझे पहचानने से तीन बार इंकार करोगे। फिर वह बाहर जाक फूट-फूट कर रोया - इन शब्दों में अति करुणा का भाव निहित है ! पतरस ने अपनी ईमानदारी, अपने दृढ़ निश्चय, अपने दृढ़ संकल्प और संपूर्ण भरोसा के आधार पर कहा कि वह कभी भी इनकार नहीं करेगा। लेकिन उस पर मनुष्यों का भय हावी हो गया और डर के मारे उसके शरीर की कमज़ोरी ने उसे जकड़ लिया, और आरोप के दबाव में, उसका संकल्प टूट गया। इस तरह से वह अपनी ग़लती और कमज़ोरी को पहचानते हुए, “वह बाहर गया, और रोया” और उसने पश्चाताप करके फिर से प्रभु यीशु मसीह के मिशन कार्य में वापस लौटा।

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


Disclaimer     ::     Privacy     ::     Login
Copyright © 2019 All Rights Reserved