|| यीशु ने कहा, "देखो, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ। मेरा पुरस्कार मेरे पास है और मैं प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्मों का प्रतिफल दूँगा। मैं अल्फा और ओमेगा; प्रथम और अन्तिम; आदि और अन्त हूँ।" Revelation 22:12-13     
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शकेम में यहोशू का अंतिम आदेश


 

28072024(रविवार) यहोशू 24:11-25 (I.मत्ती13:44-46.II.प्रे.क्रि.17:22-34) शकेम में यहोशू का अन्तिम आदेश

यहोशू 24:11-25

[11]तब तुम यरदन पार हो कर यरीहो के पास आए, और जब यरीहो के लोग, और एमोरी, परिज्जी, कनानी, हित्ती, गिर्गाशी, हिब्बी, और यबूसी तुम से लड़े, तब मैं ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया।

 “‘Then you crossed the Jordan and came to Jericho. The citizens of Jericho fought against you, as did also the Amorites, Perizzites, Canaanites, Hittites, Girgashites, Hivites and Jebusites, but I gave them into your hands.

[12]और मैं ने तुम्हारे आगे बर्रों को भेजा, और उन्होंने एमोरियों के दोनों राजाओं को तुम्हारे साम्हने से भगा दिया; देखो, यह तुम्हारी तलवार वा धनुष का काम नहीं हुआ।

I sent the hornet ahead of you, which drove them out before you—also the two Amorite kings. You did not do it with your own sword and bow.

[13]फिर मैं ने तुम्हें ऐसा देश दिया जिस में तुम ने परिश्रम न किया था, और ऐसे नगर भी दिए हैं जिन्हें तुम ने न बसाया था, और तुम उन में बसे हो; और जिन दाख और जलपाई के बगीचों के फल तुम खाते हो उन्हें तुम ने नहीं लगाया था।

 So I gave you a land on which you did not toil and cities you did not build; and you live in them and eat from vineyards and olive groves that you did not plant.’

[14]इसलिये अब यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो; और जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार और मिस्र में करते थे, उन्हें दूर करके यहोवा की सेवा करो।

 “Now fear the Lord and serve him with all faithfulness. Throw away the gods your forefathers worshiped beyond the River and in Egypt, and serve the Lord.

[15]और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा।

But if serving the Lord seems undesirable to you, then choose for yourselves this day whom you will serve, whether the gods your forefathers served beyond the River, or the gods of the Amorites, in whose land you are living. But as for me and my household, we will serve the Lord.”

[16]तब लोगों ने उत्तर दिया, यहोवा को त्यागकर दूसरे देवताओं की सेवा करनी हम से दूर रहे;

Then the people answered, “Far be it from us to forsake the Lord to serve other gods!

[17]क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा वही है जो हम को और हमारे पुरखाओं को दासत्व के घर, अर्थात् मिस्र देश से निकाल ले आया, और हमारे देखते बड़े बड़े आश्चर्य कर्म किए, और जिस मार्ग पर और जितनी जातियों के मध्य में से हम चले आते थे उनमें हमारी रक्षा की;

 It was the Lord our God himself who brought us and our fathers up out of Egypt, from that land of slavery, and performed those great signs before our eyes. He protected us on our entire journey and among all the nations through which we जातियों traveled.

[18]और हमारे साम्हने से इस देश में रहनेवाली एमोरी आदि सब को निकाल दिया है; इसलिये हम भी यहोवा की सेवा करेंगे, क्योंकि हमारा परमेश्वर वही है।

And the Lord drove out before us all the nations, including the Amorites, who lived in the land. We too will serve the Lord, because he is our God.”

[19]यहोशू ने लोगों से कहा, तुम से यहोवा की सेवा नहीं हो सकती; क्योंकि वह पवित्र परमेश्वर है; वह जलन रखनेवाला ईश्वर है; वह तुम्हारे अपराध और पाप क्षमा न करेगा।

Joshua said to the people, “You are not able to serve the Lord. He is a holy God; he is a jealous God. He will not forgive your rebellion and your sins.

[20]यदि तुम यहोवा को त्यागकर पराए देवताओं की सेवा करने लगोगे, तो यद्दपि वह तुम्हारा भला करता आया है तौभी वह फिरकर तुम्हारी हानि करेगा और तुम्हारा अन्त भी कर डालेगा।

If you forsake the Lord and serve foreign gods, he will turn and bring disaster on you and make an end of you, after he has been good to you.”

[21]लोगों ने यहोशू से कहा, नहीं; हम यहोवा ही की सेवा करेंगे।

But the people said to Joshua, “No! We will serve the Lord.”

[22]यहोशू ने लोगों से कहा, तुम आप ही अपने साक्षी हो कि तुम ने यहोवा की सेवा करनी अंगीकार कर ली है। उन्होंने कहा, हां, हम साक्षी हैं।

Then Joshua said, “You are witnesses against yourselves that you have chosen to serve the Lord.”

“Yes, we are witnesses,” they replied.

[23]यहोशू ने कहा, अपने बीच पराए देवताओं को दूर करके अपना अपना मन इस्राएल के परमेश्वर की ओर लगाओ।

“Now then,” said Joshua, “throw away the foreign gods that are among you and yield your hearts to the Lord, the God of Israel.”

[24]लोगों ने यहोशू से कहा, हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही की सेवा करेंगे, और उसी की बात मानेंगे।

And the people said to Joshua, “We will serve the Lord our God and obey him.”

[25]तब यहोशू ने उसी दिन उन लोगों से वाचा बन्धाई, और शकेम में उनके लिये विधि और नियम ठहराया।

On that day Joshua made a covenant for the people, and there at Shechem he drew up for them decrees and laws.

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आज 9वां- त्रिणितातिस सप्ताह का आरम्भ है, जिसमें हम त्रिएक परमेश्वर अर्थात् पिता परमेश्वर और पुत्र परमेश्वर और पवित्र आत्मा परमेश्वर का गुणगान करते हैं।

1.1ला- त्रिणितातिस रविवार 02.06.2024 से 25वां- त्रिणितातिस रविवार 17.11.2024 तक का सप्ताह अर्थात् कुल 181दिन तक की अवधि है। त्रिएक परमेश्वर का गुणानुवाद करने के लिए शुभ अवसर का समय हैं।

त्रिएक परमेश्वर का मूल सिद्धान्त है कि एक परमेश्वर में तीन व्यक्ति हैं, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा। जैसा कि त्रिएक(Trinity) का शाब्दिक अर्थ है – एक में तीन चीजों या तीन व्यक्तियों का विद्यमानता से है।

2. दिनांक 28.07.1914ई. से प्रथम विश्व युद्ध का प्रारंभ।

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यहोशू [Joshua] का परिचय

यहोशू को अंग्रेजी में Joshua, हेब्रू (Hebrew) में यहोशुवा (Yehoshua) के नाम से  जाना जाता है।

यहोशू, एप्रैम के गोत्र के नून का पुत्र है, जिसका वास्तविक नाम होशे है। होशे (Hosea) नाम का शाब्दिक अर्थ है - ‘बचाओ’। लेकिन मूसा ने उसे "यहोशू" कहा। यहोशू नाम का अर्थ है – “यहोवा बचाता है” - Yahweh is salvation.  यह आमतौर पर अंग्रेजी में "जोशुआ"- Joshua  नाम से जाना जाता है। बाइबल में वह निर्गमन से पहले मिस्र में पैदा हुआ था ।

जन्म – गोशेन (निचली मिस्र- Lower Egypt) से

प्राचीन मिस्र – Ancient Egypt.

मृत्यु – कनान (canan) –110 वर्ष की आयु में (यहोशू 24:29)।

यहोशू 1:1 के अनुसार,  परमेश्वर ने यहोशू को मूसा के बाद इस्राएलियों के नेता के रूप में नियुक्त किया और साथ ही उसे अपने जीवनकाल के दौरान अजेयता का आशीर्वाद भी दिया।

यहोशू को इस्राएल के बारह जासूसों में से एक रूप में पहचाना गया है, जिन्हें मूसा ने कनान  की भूमि का पता लगाने के लिए भेजा था।  

यहोशू 1:13 - जो बात यहोवा के दास मूसा ने तुम से कही थी, कि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें विश्राम देता है, और यही देश तुम्हें देगा, उसकी सुधि करो। 

 और मूसा की मृत्यु के बाद, उसने कनान की विजय में इस्राएली जनजातियों का नेतृत्व किया, और जनजातियों को भूमि आवंटित की। यहोशू 24:29  के अनुसार यहोशू की मृत्यु 110 वर्ष की आयु में हुई।

इस्राएल के अस्तित्व में आने से बहुत पहले (उत्पत्ति 12:1-3; 15:18-20) यहोवा ने इस्राएल के साथ जो वाचा स्थापित की थी वह अब्राम के साथ शुरू हुई थी। यहोवा ने मूसा (निर्गमन 24) और यहोशू (यहोशू 24) और यहोयादा (2 राजा 11) और हिजकिय्याह (2 इतिहास 29:10 और योशिय्याह (2 राजा 23:3) और दाऊद (2 शमूएल 7:12-17) के साथ इस वाचा को नवीनीकृत किया। ).

यह पुस्तक बेबीलोन के निर्वासन के दौरान लिखी गई थी - जब यरूशलेम और मंदिर खंडहर थे।

यहोशू की पुस्तक का रूपरेखा

फिलिस्तीन पश्चिमी एशिया में एक भौगोलिक क्षेत्र है जिसे आमतौर पर इज़राइल, वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और कुछ परिभाषाओं में, पश्चिमी जॉर्डन के कुछ हिस्सों को शामिल करने के लिए माना जाता है। बाइबल में फिलीस्तीन को कैन्नन कहा गया है और उससे पहले ग्रीक इसे फलस्तिया कहते थे। रोमन इस क्षेत्र को जुडया प्रान्त के रूप में जानते थे।

कनान एक प्राचीन शब्द है जिसका अर्थ है वर्तमान इजराइल , पश्चिमी तट और गाजा पट्टी , तथा समीपवर्ती तटीय भूमि और लेबनान , सीरिया और जॉर्डन के कुछ भाग।

  1. प्रतिज्ञात देश (कनान) में प्रवेश करना - (1:1–5:15)             
  2. प्रतिज्ञात देश (कनान) पर अधिकार करना -           (6:1–12:24)                               
  3. प्रतिज्ञात देश (कनान) की भूमि का बंटवारा करना -  (13:1–21:45)
  4. प्रतिज्ञात देश (कनान) में प्रभु की सेवा करना   -             (22:1–24:33)

जोशुआ का वैश्विक संदेश (The Global Message of Joshua)

1.एक नए युग की शुरुआत् (The Beginnings of a New Era )

यहोशू की पुस्तक के साथ, छुटकारे के इतिहास का एक युग समाप्त हो जाता है और एक नया युग शुरू होता है। पहली पीढ़ी के इस्राएल के नेता और सिनाई वाचा के मध्यस्थ मूसा की मृत्यु हो गई है (यहोशू 1:1;  व्यवस्थाविवरण 34:1-12)। प्रभु ने यहोशू को मूसा का स्थान लेने और दूसरी पीढ़ी के इस्राएल को वादा किए गए देश में ले जाने के लिए नियुक्त किया (यहोशू 1:1-16)। यहोशू की पुस्तक का मूल उद्देश्य इस्राएल के लिए यह दस्तावेज तैयार करना था कि कैसे प्रभु ने अब्राहम से किया अपना वादा पूरा किया, ताकि उसके वंशजों को वादा किए गए देश में लाया जा सके (यहोशू 1:6; 21:43-45;  उत्पत्ति 12:1-7; 13:14-15; 15:7-21)। यहोशू 1 : 1 ;  व्यवस्थाविवरण 34:1-12 यहोशू की पुस्तक का मूल उद्देश्य इस्राएल के लिए यह दस्तावेज तैयार करना था कि कैसे प्रभु ने अब्राहम से किया अपना वादा पूरा किया, कि वह उसके वंशजों को वादा किए गए देश में ले जाएगा ( यहोशू 1:6; 21:43–45 ; उत्पत्ति 12:1–7; 13:14–15; 15:7–21 )

2.सृष्टिकर्ता-राजा की वापसी (The Return of the Creator-King)

3.सारी पृथ्वी का धर्मी न्यायाधीश

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                         वचन का व्याख्यान

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[11]तब तुम यरदन पार हो कर यरीहो के पास आए, और जब यरीहो के लोग, और एमोरी, परिज्जी, कनानी, हित्ती, गिर्गाशी, हिब्बी, और यबूसी तुम से लड़े, तब मैं ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया।

यरदन नदी के पार – यहोशू3:14-17, 4;10-12,23; भज.114:3,5.

यहोशू 3:14-17 -

[14]सो जब प्रजा के लोगों ने अपने डेरों से यरदन पार जाने को कूच किया, और याजक वाचा का सन्दूक उठाए हुए प्रजा के आगे आगे चले,

[15]और सन्दूक के उठाने वाले यरदन पर पहुंचे, और सन्दूक के उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के तीर के जल में डूब गए (यरदन का जल तो कटनी के समय के सब दिन कड़ारों के ऊपर ऊपर बहा करता है),

[16]तब जो जल ऊपर की ओर से बहा आता था वह बहुत दूर, अर्थात् आदाम नगर के पास जो सारतान के निकट है रूककर एक ढेर हो गया, और दीवार सा उठा रहा, और जो जल अराबा का ताल, जो खारा ताल भी कहलाता है, उसकी ओर बहा जाता था, वह पूरी रीति से सूख गया; और प्रजा के लोग यरीहो के साम्हने पार उतर गए।

[17]और याजक यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाए हुए यरदन के बीचोंबीच पहुंचकर स्थल पर स्थिर खड़े रहे, और सब इस्राएली स्थल ही स्थल पार उतरते रहे, निदान उस सारी जाति के लोग यरदन पार हो गए।

यहोशू 4:23 - क्योंकि जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने लाल समुद्र को हमारे पार हो जाने तक हमारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा था, वैसे ही उसने यरदन का भी जल तुम्हारे पार हो जाने तक तुम्हारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा;

यरीहो के नागरिक उनके विरुद्ध लड़े – यहोशू 6:1-27,10:1,11:23 नेह 9:24,25, भजन.78:54,55,105:44; प्रेरितों 7:45, 13:19.

यहोवा इस्राएल के शक्तिशाली शत्रुओं की समीक्षा करता है, जिन्हें मानवीय दृष्टि से अपेक्षाकृत अप्रशिक्षित और छोटी सेना द्वारा पराजित नहीं किया जा सकता था। 

इस प्रकार मैंने उन्हें तुम्हारे हाथ में दे दिया  - मैंने उन्हें परमेश्वर की शक्ति दी और तुम्हारे हाथ को इस्राएल की जिम्मेदारी दी। 

[12]और मैं ने तुम्हारे आगे बर्रों को भेजा, और उन्होंने एमोरियों के दोनों राजाओं को तुम्हारे साम्हने से भगा दिया; देखो, यह तुम्हारी तलवार वा धनुष का काम नहीं हुआ। 

निर्गमन 23:28 - “मैं तुम्हारे आगे बर्रों को भेजूंगा जो तुम्हारे आगे से हिव्वियों, कनानी लोगों और हित्तियों को भगा देंगे

व्य.7:20 - “इसके अलावा, यहोवा तुम्हारा परमेश्वर उनके खिलाफ बर्रे भेजेगा, जब तक कि जो लोग बच जाएंगे और तुमसे छिप जाएंगे वे नष्ट हो जाएंगे।

भजन 44:3-6 ( इस्राएल के शत्रुओं पर यहोवा की प्रभुता ) क्योंकि उन्होंने अपनी तलवार के बल से देश नहीं पाया, और न उनके अपने भुजबल ने उनको बचाया ; परन्तु तेरे (यहोवा के) दाहिने हाथ और तेरी भुजा और तेरे दर्शन के प्रकाश ही के द्वारा, क्योंकि तू ने उन पर अनुग्रह किया। 4 हे परमेश्वर, तू ही मेरा राजा है; याकूब को विजय की आज्ञा दे। 5 तेरे द्वारा हम अपने द्रोहियों को पीछे धकेलेंगे; तेरे नाम के द्वारा हम अपने विरोधियों को रौंद डालेंगे। 6 क्योंकि मैं अपने धनुष पर भरोसा न रखूंगा, न अपनी तलवार से बचाऊंगा। 

व्यवस्थाविवरण 1:44 - तब उस पहाड़ के निवासी एमोरियों ने तुम्हारा साम्हना करने को निकलकर मधुमक्खियों की नाईं तुम्हारा पीछा किया, और सेईर देश के होर्मा तक तुम्हें मारते मारते चले आए।

"हॉरनेट" का उपयोग पवित्रशास्त्र में केवल 3 बार किया गया है – निर्ग.23:28, व्य.7:20, यहोशू24:12.

यहां पर हॉरनेट से आशय – आतंक, भय और डर से है।

और इसने एमोरियों के दो राजाओं ( सीहोन और ओग ) को तुम्हारे सामने से खदेड़ दिया, लेकिन तुम्हारी तलवार या धनुष से नहीं  - जीत यहोवा की थी। उनकी जीत पूरी तरह से अनुग्रह से हुई थी, न कि स्वयं के प्रयास से। वह यह नहीं कह रहा है कि इस्राएल ने लड़ाई नहीं की या तलवारों का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि यह कि उन्होंने एक अधिक शक्तिशाली दुश्मन को इसलिए हराया क्योंकि परमेश्वर ने हस्तक्षेप किया था।

[13]फिर मैं ने तुम्हें ऐसा देश दिया जिस में तुम ने परिश्रम किया था, और ऐसे नगर भी दिए हैं जिन्हें तुम ने बसाया था, और तुम उन में बसे हो; और जिन दाख और जलपाई के बगीचों के फल तुम खाते हो उन्हें तुम ने नहीं लगाया था।

  • मैंने तुम्हें एक देश दिया है : यहोशू 21:45 
  • शहर :यहोशू 11:13 व्य.6:10-12; 8:7 नीति वचन 13: 22

संबंधित अंश:

  व्य.6:10- 15 “फिर जब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे उस देश में पहुंचाए, जिसके देने की शपथ उसने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, तेरे पूर्वजों से खाई थी, कि वह तुझे देगा; अर्थात् बड़े बड़े और सुन्दर नगर जो तू ने नहीं बनाए, 11 और घर जो सब अच्छी वस्तुओं से भरे हों, जो तू ने नहीं भरे, और खुदे हुए कुण्ड जो तू ने नहीं खोदे, और दाख की बारियां और जलपाई के वृक्ष जो तू ने नहीं लगाए, और तू खाकर तृप्त हो, 12 तब सावधान  रहना, कि तू उस यहोवा को न भूल जाना, जो तुझे मिस्र देश से, अर्थात् दासत्व के घर से निकाल लाया है ( यही समस्या तब होती है, जब हम भौतिक रूप से समृद्ध होते हैं) । 13 “ केवल अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना , और उसी की उपासना करना, और उसके नाम की शपथ खाना । नहीं तो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का क्रोध तुम पर भड़केगा, और वह तुम्हें पृथ्वी पर से मिटा देगा। 

 

परमेश्वर का उपहार भूमि व शहर

मैंने तुम्हें वह भूमि दी जिस पर तुमने मेहनत नहीं की, और ऐसे शहर दिए जिन्हें तुमने नहीं बनाया, और तुम उनमें रहते हो; तुम उन गदाख की बारियों और जैतून के पेड़ों से खाते हो जिन्हें तुमने नहीं लगाया  -  (यहोशू 24:3, 4,8,11,13)। यह वचन  इस्राएल के प्रति परमेश्वर के मुफ़्त, बिना योग्यता के अनुग्रह पर ज़ोर देती है। परमेश्वर ने इस्राएल को कनानियों को लूटने और कनानियों के शहरों और कृषि पर नियंत्रण करने की अनुमति दी। 

प्रतिज्ञात देश यहोवा की ओर से एक अवांछित अनुग्रह उपहार था जिसका उद्देश्य एक ऐसे लोगों की स्थापना करना था जो राष्ट्रों के प्रति उसके चरित्र और प्रेम को प्रतिबिंबित करेंगे।

संक्षेप में, यहोशू 24:3-13 से परमेश्वर इस्राएल की ओर से अपने महान कार्यों पर जोर दे रहा था, जिसका स्पष्ट अर्थ था कि इस्राएल ने जो भी महानता अनुभव की थी, वह उनके प्रयासों पर आधारित नहीं थी, बल्कि परमेश्वर की अनुग्रहपूर्ण सक्षमता पर आधारित थी। परमेश्वर की दया और कृपा के कारण इस्राएल विश्व इतिहास में इस क्षण पर खड़ा था!

यहोशू 24:14-15. यहोवा से डरो और उसकी सेवा करो

[14]इसलिये अब यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो; और जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार और मिस्र में करते थे, उन्हें दूर करके यहोवा की सेवा करो।

[15]और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा।

 

यहोशू लोगों को बताता है कि यहोवा के साथ उनके रिश्ते में उनसे क्या अपेक्षा की जाती है -

"इसलिए अब यहोवा का भय मानो" (पद 14ए)। कभी-कभी लोग ईश्वर से डरते हैं क्योंकि उन्होंने कुछ गलत किया है और प्रतिशोध से डरते हैं, लेकिन "ईश्वर  से डरने" का अर्थ अक्सर पूरी तरह से अलग होता है - श्रद्धा और विश्वास जो आज्ञाकारिता की ओर ले जाते हैं।

•प्रभु का भय मानने का अर्थ केवल प्रभु और प्रभु की सेवा करना है (व्यवस्थाविवरण 6:13)।

व्यवस्थाविवरण 6:13 - अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना, और उसी के नाम की शपथ खाना।
•यह परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना है (व्यवस्थाविवरण 28:58)।

व्यवस्थाविवरण 28:58 - यदि तू इन व्यवस्था के सारे वचनों के पालने में, जो इस पुस्तक में लिखें है, चौकसी करके उस आदरणीय और भययोग्य नाम का, जो यहोवा तेरे परमेश्वर का है भय न माने,
• प्रभु का भय "ज्ञान की शुरुआत" है, इस अर्थ में कि जो व्यक्ति ईश्वर से डरता है वह ईश्वर द्वारा निर्देश के लिए खुला रहेगा (नीतिवचन 1:7)।

नीतिवचन 1:7 - यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है; बुद्धि और शिक्षा को मूढ़ ही लोग तुच्छ जानते हैं।
•यह अक्सर परमेश्वर की शक्ति को कार्य में देखने का परिणाम होता है (निर्गमन 14:31)।

निर्गमन 14:31 - और यहोवा ने मिस्रियों पर जो अपना पराक्रम दिखलाता था, उसको देखकर इस्राएलियों ने यहोवा का भय माना और यहोवा की और उसके दास मूसा की भी प्रतीति की॥


•प्रभु के भय के लिए धार्मिकता (प्रेरितों के काम 10:22), परमेश्वर के प्रति वफादार सेवा और झूठे देवताओं की अस्वीकृति (यहोशू 24:14) की आवश्यकता होती है।
•प्रभु का भय ईश्वर की दया को सुनिश्चित करता है (लूका 1:50), और परिणामस्वरूप आध्यात्मिक समृद्धि मिलती है (प्रेरितों 9:31)।

लूका 1:50 - और उस की दया उन पर, जो उस से डरते हैं, पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।

भजन संहिता 33:18 - देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है,

भजन संहिता 33:20-22 -

[20]हम यहोवा का आसरा देखते आए हैं; वह हमारा सहायक और हमारी ढाल ठहरा है।

[21]हमारा हृदय उसके कारण आनन्दित होगा, क्योंकि हम ने उसके पवित्र नाम का भरोसा रखा है।

[22]हे यहोवा जैसी तुझ पर हमारी आशा है, वैसी ही तेरी करूणा भी हम पर हो।

और ईमानदारी (तमम्) और सच्चाई से उसकी सेवा करो" (एमेट) (व. 14बी)। तमम् शब्द का अर्थ है "पूर्ण होना, समाप्त करना, निष्कर्ष निकालना।" अपने मूल में, यह शब्द ख़त्म करने या बंद करने का अर्थ रखता है”। इस शब्द का प्रयोग अन्यत्र दोषरहित भेड़ या ईमानदार जीवन का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इस वचन में तमम्  शब्द का अर्थ बिना किसी अपवाद के ईश्वर की सेवा करना है। इसका अर्थ है ईश्वर को समर्पित जीवन। ‘एमेट' शब्द का अर्थ है "सच्चाई" और "विश्वासयोग्यता।" सत्य और निष्ठा ईश्वर के लक्षण हैं, इसलिए ईश्वरीय लोगों को इन गुणों को प्रकट करने की आवश्यकता है। सत्य और निष्ठा अलग-अलग हैं, लेकिन संबंधित हैं। एक व्यक्ति जो वफादार है वह न केवल सच बोलेगा, बल्कि एक सच्चा जीवन भी जीएगा - इस अर्थ में कि व्यक्ति का जीवन हर सनक और प्रलोभन के अधीन होने के बजाय एक सीधे और संकीर्ण मार्ग पर चलेगा। जो व्यक्ति 'ईमेट' है वह दृढ़-चट्टान-स्थिर होगा।

जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के पार मिस्र में करते थे, उन्हें दूर करो; और यहोवा की सेवा करो ” (v. 14c)। जिस तरह एक जागीरदार से अपने राजा की वफादारी से सेवा करने की उम्मीद की जाती है, उसी तरह एक व्यक्ति जो तमऔर एमेट  में यहोवा की सेवा करता है , उससे विशेष रूप से यहोवा की सेवा करने की उम्मीद की जाएगी। दायीं या बायीं ओर मुड़ना नहीं चाहिए - गुप्त पूजा के लिए छिपी हुई कोई मूर्ति नहीं होनी चाहिए - यहोवा के प्रति उनकी निष्ठा से ऊपर कोई निष्ठा नहीं होनी चाहिए और ऐसी कोई निष्ठा नहीं होनी चाहिए जो यहोवा के प्रति उनकी निष्ठा के साथ संघर्ष करती हो।

(फरात) नदी के पार के पूर्वज तेरह और उसका परिवार होंगे। हालाँकि हम उन विशिष्ट उदाहरणों के बारे में नहीं जानते हैं जहाँ इज़राइल ने मिस्र में अन्य देवताओं की पूजा की थी, लैव्यव्यवस्था कहता है, "वे अब बकरी-राक्षसों के लिए अपने बलिदान नहीं चढ़ा सकते, जिनके साथ वे वेश्यावृत्ति करते हैं" (लैव्यव्यवस्था 17:7) - और व्यवस्थाविवरण कहता है, “उन्होंने उसे अजीब देवताओं से ईर्ष्या करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने घृणित कामों से उसे क्रोध दिलाया” (व्यवस्थाविवरण 32:16)। और, निःसंदेह, इस्राएलियों को सोने का बछड़ा बनाने और उसकी पूजा करने से पहले मिस्र से बहुत समय नहीं हुआ था (निर्गमन 32)।

यदि यहोवा की सेवा करना तुम्हें बुरा लगता है, तो आज चुन लो कि तुम किसकी सेवा करोगे; क्या वे देवता जिनकी पूजा तुम्हारे पुरखा नदी के उस पार करते थे, या एमोरियों के देवता, जिनके देश में तुम रहते हो ” (पद 15ए)। यह निर्णय का समय है! यहोशू ने इन लोगों को निर्णय लेने की चुनौती दी - बाड़ के एक तरफ या दूसरी तरफ जाने के लिए - खुद को पूरे दिल से यहोवा या जिसे भी वे पसंद करते हों, उसके प्रति समर्पित कर दें। उनके पास एक विकल्प है, लेकिन हो सकता है कि वे सीमा पार करने का विकल्प न चुनें। यहोशू ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए जोर देकर कहा कि वे अपना निर्णय "आज ही" लें।

"परन्तु जहाँ तक मेरी और मेरे घराने की बात है, हम यहोवा की सेवा करेंगे" (पद्य 15बी)। जोशुआ नेतृत्व के एक बुनियादी सिद्धांत का पालन करता है - उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करना। वह और उसका परिवार अपने निजी जीवन में प्रदर्शित करेंगे कि उन्होंने यहोवा की सेवा करना चुना है। ऐसा करने से, वे बाड़ पर बैठे लोगों को बाड़ के यहोवा की ओर ले जाने की आशा करते हैं। वे अपने व्यक्तिगत उदाहरण से पूरे इज़राइल राष्ट्र को प्रभावित करने की आशा करते हैं। अगली कविता बताती है कि वे सफल होंगे - हालाँकि हम हिब्रू इतिहास की बाद की घटनाओं से जानते हैं कि लोग चंचल और अक्सर बेवफा हो जाएंगे।

यहोशू 24:16-18. हम भी यहोवा की सेवा करेंगे-

16 लोगों ने उत्तर दिया, यह हम से दूर रहे कि हम यहोवा को त्यागकर दूसरे देवताओं की उपासना करें17 क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा ही है जो हम को और हमारे पुरखाओं को मिस्र देश से अर्थात दासत्व के घर से निकाल ले आया, और हमारे साम्हने बड़े बड़े चिन्ह दिखाए, और जिस मार्ग में हम चलते थे उस स्यान में हमारी रक्षा करता रहा। उन सब देशों के बीच में से जिनके बीच से होकर हम गुज़रे। 18 यहोवा ने हमारे साम्हने से देश के सब लोगोंको अर्यात् एमोरियोंको भी जो उस देश में रहते थे निकाल दिया। इसलिये हम भी यहोवा की उपासना करेंगे; क्योंकि वह हमारा परमेश्वर है।

"लोगों ने उत्तर दिया, 'यह हम से दूर रहे कि हम यहोवा को त्यागकर दूसरे देवताओं की सेवा करें'" (पद 16)। लोगों ने जोशुआ की चुनौती का सकारात्मक जवाब दिया। वे ऐसा प्रतीत करते हैं मानो यह पहले से ही निष्कर्ष था कि वे किसी भी अन्य देवता को त्याग देंगे और विशेष रूप से यहोवा की सेवा करेंगे, लेकिन ऐसा शायद ही हो। वे अतीत में बेवफा रहे हैं, और हम जानते हैं कि वे भविष्य में भी बेवफा होंगे—लेकिन फिलहाल उन्होंने प्रभु यहोवा के साथ अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है।

"क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा ही है जो हम को और हमारे पुरखाओं को मिस्र देश से अर्थात दासत्व के घर से निकाल ले आया, और हमारे साम्हने बड़े बड़े चिन्ह दिखाए, और जिस मार्ग से हम चले उस स्यान में हमारी रक्षा की, और उन सब लोगों के बीच जिनके बीच से होकर हम गुजरे थे ” (पद 17)। इस बात के प्रमाण के रूप में कि वे यहोवा की सेवा करने की अपनी प्रतिज्ञा को निभाना चाहते हैं, लोग उन आशीर्वादों के इतिहास को याद करते हैं जो उन्हें यहोवा के हाथ से प्राप्त हुए हैं। वे, विशेष रूप से, निर्गमन और जंगल के माध्यम से उनकी लंबी यात्रा को याद करते हैं। यहोवा अतीत में उनके प्रति वफादार रहे हैं, इसलिए उनके पास अपने भविष्य के लिए उन पर भरोसा करने का कारण है।

यहोवा ने हमारे साम्हने से सब लोगों को, वरन उस देश में रहनेवाले एमोरियोंको भी निकाल दिया। इसलिये हम भी यहोवा की उपासना करेंगे; क्योंकि वह हमारा परमेश्वर है ” (पद 18)। लोग कनान और आसपास की भूमि के निवासियों को संदर्भित करने के लिए एमोराइट्स शब्द का उपयोग करते हैं। अभी हाल ही में भगवान ने वादा किए गए देश के निवासियों पर जीत की एक श्रृंखला प्रदान की थी (अध्याय 6-12), इसलिए वे लोगों के दिमाग में ताज़ा रहेंगे।

यहोशू 24: 19-20: यहोवा एक पवित्र ईश्वर है-

19 यहोशू ने लोगों से कहा, तुम यहोवा की सेवा नहीं कर सकते; क्योंकि वह एक पवित्र (हिब्रू: qadosh ) भगवान है। वह एक ईर्ष्यालु (हिब्रू: कन्नो ) भगवान है। वह तुम्हारी अवज्ञा और तुम्हारे पापों को क्षमा नहीं करेगा। 20 यदि तुम यहोवा को त्यागोगे, और पराए देवताओं की उपासना करोगे, तो वह तुम्हारी भलाई करने के बाद फिरकर तुम्हारी बुराई करेगा, और तुम्हें नष्ट कर देगा।”

“यहोशू ने लोगों से कहा, 'तुम यहोवा की सेवा नहीं कर सकते; क्योंकि वह एक पवित्र ( कदोश ) ईश्वर है'' (v. 19a)। क़दोश  शब्द किसी ऐसी चीज़ को दर्शाता है जो पवित्र या पवित्र है - अलग या अलग रखी गई है।

हिब्रू धर्मग्रंथों में पवित्रता पर जोर दिया गया है जो जलती हुई झाड़ी के पास मूसा के वृत्तांत से शुरू होता है। परमेश्वर ने मूसा से कहा, “करीब मत आओ। अपने पैरों से अपनी जूतियां उतार लो, क्योंकि जिस स्यान पर तुम खड़े हो वह पवित्र भूमि है” (निर्गमन 3:5)। वह वचन हमें पवित्रता के अर्थ का संकेत देता है। साधारण मिट्टी से अधिक सामान्य और कम पवित्र कुछ भी नहीं लग सकता, लेकिन प्रभु ने मूसा से कहा कि जिस साधारण मिट्टी पर वह खड़ा था वह पवित्र भूमि थी। हालाँकि वह आयत इतने शब्दों में ऐसा नहीं कहती है, लेकिन इसका तात्पर्य यह है कि जिस ज़मीन पर मूसा खड़ा है वह ईश्वर की उपस्थिति के कारण पवित्र है। ईश्वर पवित्र है, और ईश्वर की उपस्थिति उन सभी को पवित्र करती है जिन्हें वह छूता है - यहाँ तक कि मूसा के पैरों के नीचे की मिट्टी भी।

वह जलती हुई झाड़ी प्रकरण हमें आगे बताता है कि ईश्वर उन लोगों से अपेक्षा करता है जो स्वयं को पवित्र परिस्थितियों में पाते हैं, वे पवित्र की उपस्थिति में श्रद्धापूर्वक कार्य करके प्रतिक्रिया दें। जलती हुई झाड़ी के प्रकरण में, मूसा को अपने और जलती हुई झाड़ी के बीच दूरी बनाए रखकर अपनी श्रद्धा प्रदर्शित करनी थी। उसे उस पवित्र भूमि के प्रति श्रद्धा दिखाने के लिए अपनी सैंडल भी उतारनी थी जिस पर उसने खुद को खड़ा पाया था।

हिब्रू धर्मग्रंथ लगातार ईश्वर और ईश्वर के नाम को पवित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

हिब्रू शब्द, क़दोश , का अर्थ इस अर्थ में पवित्र है कि ईश्वर ने किसी व्यक्ति या वस्तु को पवित्र उद्देश्य के लिए अलग रखा है। इस प्रकार विश्रामदिन पवित्र है, क्योंकि परमेश्वर ने विश्रामदिन को विश्राम और आराधना के दिन के रूप में स्थापित किया है। इज़राइल पवित्र है क्योंकि ईश्वर ने इज़राइल को ईश्वर की वाचा वाले लोगों के रूप में चुना है। तम्बू और मंदिर पवित्र हैं, क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें लोगों की पूजा करने और परमेश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने के स्थानों के रूप में अलग रखा है। याजक और लेवी पवित्र हैं क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें अपनी सेवा के लिये अलग रखा है।

सारी पवित्रता व्युत्पन्न है—परमेश्वर की पवित्रता से व्युत्पन्न। विश्रामदिन पवित्र है क्योंकि परमेश्वर ने इसे ऐसा बनाया है। तम्बू और मन्दिर परमेश्वर की उपस्थिति के कारण पवित्र हैं। इस्राएल राष्ट्र को पवित्र होना चाहिए क्योंकि वे परमेश्वर के साथ वाचा के रिश्ते में हैं।

लैव्यव्यवस्था 10:10 कहता है कि हारून और उसके वंशजों (याजकों) को "पवित्र और सामान्य के बीच, और अशुद्ध और शुद्ध के बीच अंतर करना है।"

ईश्वर द्वारा पवित्र लोगों के रूप में चुना जाना एक बड़ा सम्मान है, लेकिन यह दायित्वों के साथ-साथ विशेषाधिकार भी प्रदान करता है। परमेश्वर की पवित्र प्रजा के रूप में, इस्राएल का एक पवित्र प्रजा के रूप में जीने का दायित्व है। इसके लिए परमेश्वर के नियमों का पालन करना आवश्यक है। यहूदी कानून कुछ विस्तार से बताता है कि ईश्वर अपने लोगों से ईश्वर के लोगों के रूप में चुने जाने के जवाब में क्या करने की अपेक्षा करता है।

इस आयत में आश्चर्य की बात यह है कि यहोशू इन लोगों से कहता है कि वे प्रभु की सेवा नहीं कर सकते। उसने तो बस उन्हें प्रभु की सेवा करने के लिए बुलाया है (पद 14), तो अब वह क्यों कहेगा कि वे ऐसा नहीं कर सकते। ऐसा प्रतीत होता है कि जोशुआ केवल मानव और परमात्मा-पवित्र और अपवित्र के बीच की दूरी पर जोर देने की कोशिश कर रहा है। ऐसा भी प्रतीत होता है कि वह इन लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि यह कहना खतरनाक बात हो सकती है कि आप परमेश्वर की सेवा करेंगे। परमेश्वर पवित्र और ईर्ष्यालु हैं, इसलिए जो व्यक्ति कहता है कि वह परमेश्वर की सेवा करेगा और फिर ऐसा करने में विफल रहता है, वह गंभीर परिणाम भुगतने की उम्मीद कर सकता है।

“वह एक ईर्ष्यालु ( क़न्नो ) भगवान है। वह तुम्हारी अवज्ञा और तुम्हारे पापों को क्षमा नहीं करेगा” (पद 19बी)। एक बार फिर हमें यहोशू के इस कथन पर आश्चर्य हुआ कि ईश्वर उनके पापों को क्षमा नहीं करेगा। यह उन सभी चीज़ों के विपरीत है जो हमने ईश्वर के बारे में कहीं और सुनी हैं - कि ईश्वर दयालु है - कि ईश्वर पापियों को छुटकारा दिलाना चाहता है।

एक बार फिर, ऐसा प्रतीत होगा कि यहोशू केवल उस निर्णय की गंभीरता पर जोर देने की कोशिश कर रहा है जो वह इन इज़राइलियों के सामने रख रहा है। वे प्रभु की सेवा करने के अपने निर्णय को हल्के में लेने का साहस नहीं करते, क्योंकि प्रभु एक ईर्ष्यालु ईश्वर हैं।

क़न्नो  इस शब्द का प्रयोग ईर्ष्या या जोश के लिए किया जा सकता है। प्रभु अपने लोगों को हल्के में नहीं लेते, बल्कि उनके प्रति अपने प्रेम में भावुक हैं—इज़राइल और यहोवा के बीच मौजूद रिश्ते के प्रति उत्साही हैं। जब यहोशू इन लोगों से कहता है कि ईश्वर एक ईर्ष्यालु ईश्वर है, तो वह उनसे कह रहा है कि वे आग से खेल रहे हैं - यदि उनकी प्रतिबद्धता कुल से कम है। ईश्वर आधे-अधूरे मन वाले धर्म को स्वीकार नहीं करेगा।

"यदि तुम यहोवा को त्यागोगे, और पराए देवताओं की उपासना करोगे, तो वह तुम्हारी भलाई करने के बाद फिरकर तुम्हारी बुराई करेगा, और तुम्हें नष्ट कर देगा " (पद 20)। श्लोक 2-13 में, यहोवा ने इस्राएलियों को उन आशीषों का संक्षिप्त सारांश दिया जो इस्राएल ने यहोवा के साथ अपने संबंधों के माध्यम से प्राप्त किए थे। यहोवा ने इस्राएलियों को उन आशीषों का संक्षिप्त सारांश दिया जो इस्राएल ने यहोवा के साथ अपने संबंधों के माध्यम से प्राप्त किए थे। यहोवा ने अतीत में इस्राएल के लिए महान कार्य किए थे, इसलिए उससे भविष्य में भी उनके लिए महान कार्य करने की उम्मीद की जा सकती है।

लेकिन यह कविता उस तस्वीर का दूसरा पक्ष प्रस्तुत करती है। यदि वे बेवफा हो जाते हैं, तो वाचा का आशीर्वाद अभिशाप में बदल जाएगा। यहोवा उन्हें दण्ड देगा और उनका अन्त कर देगा।

हमें ध्यान देना चाहिए कि, इस समय के बाद इज़राइल के इतिहास में, हम देखेंगे कि इज़राइल बार-बार यहोवा को त्याग रहा है—और यहोवा इसराइल को बार-बार दंडित कर रहा है। हालाँकि, हमें यह याद रखने की ज़रूरत है कि यहोवा ने इस्राएल को जो सज़ा दी थी, उसका उद्देश्य प्रतिशोध के बजाय छुटकारा दिलाने वाला था। यहोवा न केवल यरूशलेम को नष्ट करने और लोगों को निर्वासन में ले जाने के लिए नबूकदनेस्सर को खड़ा करेगा। उचित समय में, वह इस्राएलियों को अपनी मातृभूमि में लौटने और यरूशलेम के पुनर्निर्माण की स्वतंत्रता देने के लिए साइरस को भी खड़ा करेगा। वह मुक्ति पैटर्न इज़राइल और यहोवा के बीच चल रहे संबंधों में विशिष्ट होगा।

यहोशू 24:21-25. आप स्वयं अपने विरुद्ध गवाह हैं

21 लोगों ने यहोशू से कहा, नहीं; परन्तु हम यहोवा की सेवा करेंगे।” 22 यहोशू ने लोगोंसे कहा, तुम आप ही गवाह हो, कि तुम ने यहोवा की सेवा करने के लिथे उसे चुन लिया है। उन्होंने कहा, "हम गवाह हैं।23 इसलिये अब पराए देवताओं को जो तुम्हारे बीच में हैं दूर करो, और अपना मन इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर लगाओ। 24 लोगों ने यहोशू से कहा, हम अपके परमेश्वर यहोवा की उपासना करेंगे, और उसका शब्द सुनेंगे। 25 तब यहोशू ने उसी दिन उन लोगोंसे वाचा बान्धी, और शकेम में उनके लिथे विधि और नियम बनाया।

लोगों ने यहोशू से कहा, 'नहीं; परन्तु हम यहोवा की सेवा करेंगे'' (पद 21)। लोग यहोवा की सेवा के प्रति अपने समर्पण की पुष्टि करते हैं।

"यहोशू ने लोगों से कहा, 'तुम अपने ही विरुद्ध गवाह हो, कि तुम ने यहोवा की सेवा करने के लिये उसे चुन लिया है।उन्होंने कहा, 'हम गवाह हैं'” (पद 22)। "गवाह" शब्द आमतौर पर कानूनी कार्यवाही से जुड़ा होता है। गवाह यह स्थापित करने में मदद करते हैं कि वास्तव में क्या हुआ था। एक विश्वसनीय गवाह होने के लिए, एक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से उस कार्रवाई का अवलोकन करना होगा जिसके बारे में वह गवाही दे रहा है। मूसा के अनुसार किसी व्यक्ति को अपराध के लिए दोषी ठहराने के लिए दो गवाहों की गवाही की आवश्यकता होती है।

यहोशू स्थापित करता है कि इन लोगों ने देखा है कि यहाँ क्या हुआ है - उन्होंने यहोवा और केवल यहोवा की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता में स्वेच्छा से भाग लिया है। यदि वे उस प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें अपने खिलाफ गवाह के रूप में काम करना होगा। उनकी बेवफाई के परिणामस्वरूप चाहे कुछ भी हो, वे यहोवा को दोष देने की स्थिति में नहीं होंगे।

इसलिये अब जो पराये देवता तुम्हारे बीच में हैं उन्हें दूर करो, और अपना मन इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर लगाओ ” (पद 23)। यहोशू की मांग है कि वे विदेशी देवताओं को दूर कर दें। तात्पर्य यह है कि उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है।

यहोशू यह भी मांग करता है कि वे "अपने हृदयों को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर झुकाएँ।" शारीरिक रूप से, हमारा दिल हमारे अस्तित्व के मूल में है, जो मोटे तौर पर हमारे धड़ के केंद्र में स्थित है। ये लोग हृदय को न केवल भौतिक शरीर का, बल्कि संपूर्ण व्यक्ति का केंद्र मानते थे। हृदय उनकी विचार प्रक्रियाओं, उनकी भावनाओं और उनके निर्णयों को नियंत्रित करता है। अपने हृदयों को यहोवा की ओर झुकाने का अर्थ है कि वे यहोवा से अपने सारे मन, प्राण और शक्ति से प्रेम करेंगे (व्यवस्थाविवरण 6:5)।

"लोगों ने यहोशू से कहा, ' हम अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा करेंगे, और उसकी बात सुनेंगे '" (पद 24)। लोग एक बार फिर यहोवा के प्रति और उस प्रतिबद्धता की विशिष्ट प्रकृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।

"तब यहोशू ने उसी दिन लोगों से वाचा बान्धी, और शकेम में उनके लिये एक विधि और नियम बनाया " (पद 25)। संविदा दो पक्षों के बीच एक समझौता है। अनिवार्य रूप से कानूनी अनुबंध, अनुबंध आम तौर पर यह वर्णन करते हैं कि प्रत्येक पक्ष के लिए क्या आवश्यक है और वे लाभ जिनका प्रत्येक पक्ष आनंद लेने की उम्मीद कर सकता है। मानवीय अनुबंधों के उदाहरणों में दो व्यक्तियों के बीच समझौते से लेकर दो या दो से अधिक देशों के बीच संधि तक सब कुछ शामिल होगा। प्राचीन दुनिया में, अनुबंध बाध्यकारी समझौते थे, और अनुबंध में प्रवेश करने वाले लोग आम तौर पर शपथ खाकर और अनुष्ठान बलिदान देकर एक अनुबंध की पुष्टि करते थे।

यहोवा और इस्राएल के बीच अनुबंधों को नियमित रूप से रक्त बलिदान द्वारा पुष्टि की जाती थी (उत्पत्ति 15:9-11; निर्गमन 24:5-8; 29:38-46; मैथ्यू 26:28; इब्रानियों 9:15-22 भी देखें)। यहोवा और इस्राएल के बीच की वाचा बहुआयामी थी, लेकिन यहोवा ने अब्राम को दिए अपने वादे में इसके आवश्यक प्रावधानों का सारांश दिया:


“अपने देश, और अपने कुटुम्बियों, और अपने पिता के घर से निकलकर
उस देश में चले जाओ जो मैं तुम्हें दिखाऊंगा।

मैं तुमसे एक महान राष्ट्र बनाऊंगा.
मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा और तुम्हारा नाम महान करूँगा।
आप आशीर्वाद बनेंगे.
जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीर्वाद दूंगा,
और जो तुझे शाप दे, उसे मैं शाप दूंगा।
पृय्वी के सारे कुल तुम्हारे कारण आशीष पाएँगे।”
(उत्पत्ति 12:1-3)

यह आयत हमें बताती है कि यहोशू ने लोगों के साथ एक वाचा बाँधी। यह कहना अधिक सटीक हो सकता है कि यहोशू ने इस्राएलियों और यहोवा के बीच एक वाचा बाँधी - लोगों को यहोवा द्वारा निर्धारित उदार शर्तों के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने के लिए राजी किया। जबकि लोगों ने यहोशू की उपस्थिति में अपनी प्रतिबद्धताएं कीं, उनका संबंध यहोशू से नहीं है, जो जल्द ही मर जाएगा, बल्कि यहोवा से है।

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